सामान्य ज्ञान
विधान परिषद कुछ भारतीय राज्यों में लोकतंत्र की ऊपरी प्रतिनिधि सभा है। इसके सदस्य अप्रत्यक्ष चुनाव के द्वारा चुने जाते हैं। कुछ सदस्य राज्यपाल के द्वारा मनोनीत किए जाते हैं। विधान परिषद विधानमंडल का अंग है। इसके सदस्यों का कार्यकाल छह वर्षों का होता है लेकिन प्रत्येक दो साल पर एक तिहाई सदस्य हट जाते हैं।
भारतीय संविधान के अनुसार संसद के दो सदनों लोकसभा तथा रायसभा के समान ही रायों में भी विधानसभा तथा विधान परिषद का प्रावधान है। संविधान के अनुच्छेद 168 के तहत विधान परिषद के गठन का प्रावधान किया गया है तथा अनुच्छेद 169 में विधान परिषद के सृजन एवं उत्पादन की विधि व्यवस्था कर दी गई है। 1950 के पश्चात संविधान के अनुच्छेद 168 और 169 के तहत विधान परिषदों की स्थापना की गई। 1956 में रायों के पुर्नगठन के बाद से उत्तरप्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक और जम्मू-कश्मीर इन 8 प्रान्तों में विधान परिषदें कार्य कर रही थीं। 1969 में पश्चिम बंगाल की ज्योति बसु की नेतृत्ववाली वाम मोर्चा सरकार द्वारा विधान परिषद को सफेद हाथी पालने की विलासिता निरूपित करते हुए इसे आम आदमी पर आर्थिक बोझ मानकर संविधान के अनुच्छेद 169 के अंर्तगत विधान परिषद भंग कर दी गई थी। वाम मोर्चा के इस कदम का देश के काफी लोगों ने स्वागत किया था। वाम मोर्चे का अनुसरण करते हुए 1985 में एन.टी. रामाराव के नेतृत्व में तेलगूदेशम द्वारा आंध्र प्रदेश तथा 1986 में अन्ना द्रमुक के संस्थापक एम.जी. रामचन्द्रन द्वारा तमिलनाडु में अनुच्छेद 169 के तहत विधान परिषदें भंग कर दी गई। किन्तु आंध्रप्रदेश में स्व. राजशेखर रेड्डी के नेतृत्व में कांग्रेस द्वारा सत्तारूढ़ होते ही विधान परिषद पुर्नजीवित कर दी गई। तेलगूदेशम के नेता चन्द्रबाबू नायडू का कहना है कि जनमत हासिल करके पुन: सत्ता में आते ही वे आंध्रप्रदेश में विधान परिषद भंग कर देंगे। इस प्रकार वर्तमान में 6 राज्यों में ही विधान परिषदें अस्तित्व में हैं।