सामान्य ज्ञान

भारत में नमक उद्योग
23-May-2022 8:36 AM
भारत में नमक  उद्योग

भारतीय नमक उद्योग ने पिछले छह दशकों में तेजी से विकास किया है। आजादी के समय जहां हम नमक का आयात करते थे, वहीं आज 120 नमक उत्पादक देशों में से सालाना 24 मिलियन टन औसतन वार्षिक उत्पादन के साथ भारत तीसरे स्थान पर है। भारतीय नमक उद्योग घरेलू 18 मिलियन टन की आवश्यकता को पूरा करने के बाद 20 देशों को 5 मिलियन टन नमक का निर्यात करता है।

देश में बनने वाले कुल नमक का 70 प्रतिशत समुद्री पानी और 28 प्रतिशत भूमिगत समुद्री पानी से और शेष 2 प्रतिशत झीलों के जल/नमक की चट्टानों से बनता है। भारत में सेंधा नमक का एक मात्र स्रोत हिमाचल प्रदेश में स्थिति मंडी है। देश के कुल नमक उत्पादन में गुजरात, तमिलनाडु और राजस्थान की 96 प्रतिशत भागीदारी है। गुजरात कुल उत्पादन में 75 प्रतिशत, तमिलनाडु 11 प्रतिशत और राजस्थान 10 प्रतिशत का योगदान करते है। इसके अतिरिक्त अन्य राज्य जैसे आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल, गोवा, हिमाचल प्रदेश और दीव और दमन में भी नमक का उत्पादन होता है। कुल उत्पादन का 62 प्रतिशत बड़े नमक निर्माताओं, 28 प्रतिशत लघु निर्माताओं और शेष मध्यम स्तर के निर्माताओं द्वारा किया जाता है।

ज्यादातर नमक का उत्पादन सिर्फ निजी क्षेत्र द्वारा किया जा रहा है। भारतीय नमक उद्योग ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, फ्रांस और अमेरिका आदि के अधिक मशीनीकरण की तुलना में अधिक श्रमसाध्य तकनीकों का प्रयोग करता है। भारत आवश्यकता से अधिक उत्पादित औसतन 35 लाख टन नमक का निर्यात करता है। भारत से जापान, बांग्लादेश, इंडोनेशिया, दक्षिण कोरिया, उत्तरी कोरिया, मलेशिया, संयुक्त अरब अमीरात, वियतनाम और कतर आदि को नमक का आयात किया जाता है।

भारत में कुल नमक उत्पादन का लगभग 30 प्रतिशत मानव और पशुओं द्वारा उपयोग किया जाता है और यह विभिन्न बीमारियों से लडऩे के लिए जरूरी सूक्ष्म पोषक तत्वों का वाहक है। नमक कई रासायनिक उद्योगों में मूल तत्व के रूप में भी आवश्यक है। विश्व स्तर पर कुल उत्पादित नमक का 60 प्रतिशत रासायनिक उद्योग द्वारा कच्चे माल के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। मुख्य तौर पर इसका इस्तेमाल क्लोरिन, कास्टिक सोडा और सोडा ऐश में किया जाता है, जहां इसका उपयोग विभिन्न प्रक्रियाओं जैसे ऑग्रेनिक सिंथेसिस, पोलीमर, पेट्रो कैमिकल्स और पेट्रोलियम रिफाइनिंग आदि में किया जाता है। इसके साथ ही इसका उपयोग डी-आईसिंग, पानी के शुद्धिकरण और कूलेंट जैसे प्रयोगों के लिए भी किया जाता है।

  नमक जितना अधिक शुद्ध होता है उसका उतना ही अधिक मूल्य होता है। नमक में मैग्निशियम सॉल्ट की अशुद्धियों के कारण नमी के चलते नमक के टुकड़े बनने के साथ-साथ इसके परिवहन में यह अनचाहा बोझ भी बन जाता है। पिछले कई वर्षों में नमक के क्षेत्र में कई आविष्कार हुए है। वैज्ञानिक एवं उद्योगिक अनुसंधान परिषद के अंर्तगत केंद्रीय नमक एवं समुद्री रसायन अनुसंधान संस्थान नमक के अनुसंधान में कार्यरत एक प्रमुख संस्थान है, जिसने उच्च शुद्धता के नमक उत्पादन में कम खर्च वाली तकनीकों के विकास में सराहनीय योगदान दिया है।

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