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बिलावल भुट्टो ज़रदारी पाकिस्तान का विदेश मंत्री बनने के बाद पहली बार चीन क्यों पहुंचे
23-May-2022 8:59 AM
बिलावल भुट्टो ज़रदारी पाकिस्तान का विदेश मंत्री बनने के बाद पहली बार चीन क्यों पहुंचे

पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ज़रदारी चीन के दो दिवसीय दौरे पर हैं. वो शनिवार रात चीन के ग्वांगझू पहुंच गए हैं.

बिलावल भुट्टो ने शनिवार को ट्वीट करके बताया, ''मेरे पहले द्विपक्षीय दौरे के लिए ग्वांगझू में कदम रखा है. आज पाकिस्तान और चीन के राजनयिक संबंधों की 71वीं वर्षगांठ भी है. पाकिस्तान-चीन संबंधों पर गहरी चर्चा के लिए स्टेट काउंसलर और विदेश मंत्री वांग यी से मिलने वाला हूं.''

चीन दौरे पर बिलावल भुट्टो अपने चीनी समकक्ष वांग यी के साथ पाकिस्तान-चीन संबंधों पर चर्चा करेंगे. पाकिस्तान में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान के सत्ता से हटने के बाद नए विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो की ये पहली चीन यात्रा है. पद संभालने के बाद विदेश में ये उनका पहला द्विपक्षीय दौरा भी है.

बिलावल भुट्टो के साथ इस दौरे में विदेश राज्य मंत्री और वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल होंगे.

पाकिस्तान विदेश मंत्रालय के मुताबिक इस दौरे पर उनकी चीन के स्टेट काउंसलर और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ मुलाक़ात होगी. इस दौरान वो द्विपक्षीय संबंधों के सभी पहलुओं की समीक्षा करेंगे जिसमें पाकिस्तान और चीन के बीच मज़बूत व्यापार और आर्थिक सहयोग पर विशेष ध्यान दिया जाएगा.

पाकिस्तान ने कहा है कि विदेश मंत्री की ये यात्रा पाकिस्तान और चीन की रणनीतिक साझेदारी को और मज़बूत करने, इकोनॉमिक कॉरिडोर को आगे बढ़ाने और द्वपक्षीय सहयोग के नए मौके तलाशने में मदद करेगा.

चीन के सरकारी अख़बार ग्लोबल टाइम्स ने चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन के हवाले से लिखा है कि अप्रैल में पद संभालने के बाद ये बिलावल भुट्टो की पहली विदेश यात्रा है और उन्होंने चीन को अपनी पहली जगह के लिए चुना है. इस दौर पर चीन-पाकिस्तान कॉरिडोर की तेज़ प्रगति को लेकर भी चर्चा होगी. बड़े क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मसलों पर दोनों पक्ष विचारों का आदान-प्रदान करेंगे.

वांग वेनबिन ने कहा कि रणनीतिक साझेदार होने के नाते चीन और पाकिस्तान के लिए बड़े मसलों पर संवाद और समन्वय में सुधार करना ज़रूरी है ताकि क्षेत्र में परिवर्तन, जोख़िमों और चुनौतियों से निपटा जा सके.

बिलावल भुट्टो का चीन दौरा कुछ कारणों से अहम बताया जा रहा है. पहला ये कि पद संभालने के बाद बिलावल भुट्टो का ये पहला चीन दौरा है और इससे ठीक पहले चीनी नागरिकों पर हमला हो चुका है. सरकार में मौजूद राजनीतिक दल विपक्ष में रहते पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान को विदेश नीति और देश में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर निशाना बनाते रहे हैं.

लेकिन, चीनी नागरिकों पर चरमपंथी हमले, चीन-अमेरिका में तनाव और रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच मौजूदा सरकार के विदेश मंत्री के सामने भी कई चुनौतियां होने वाली हैं.

26 अप्रैल को पाकिस्तान के सिंध प्रांत में कराची यूनिवर्सिटी में एक महिला ने आत्मघाती बम धमाके में खुद की जान ले ली थी. इस हमले में तीन चीनी नागरिक भी मारे गए थे. इसकी ज़िम्मेदारी बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी ने ली थी जो पाकिस्तान में चीनी प्रभाव का विरोध करती रही है.

ग्लोबल टाइम्स लिखता है कि 27 अप्रैल को पद संभालने के बाद बिलावल भुट्टो चरमपंथी हमले में चीनी पीड़ितों को सांत्वना देने के लिए चीनी दूतावास पहुंचे थे. उन्होंने कहा था कि वो इन हमलों की निंदा करते हैं और पाकिस्तान की कैबिनेट ने चीनी नागरिकों की सुरक्षा बढ़ाने का फ़ैसला किया है.

वहीं, सीपीईसी परियोजना में देरी भी दोनों देशों के बीच चिंता का विषय है. समाचार एजेंसी एएनआई ने एक मीडिया रिपोर्ट के हवाले से दावा किया है कि सीपीईसी परियोजनाओं में हो रही देरी की वजह से पाकिस्तान और चीन दोनों ही देशों में हताशा बढ़ रही है.

ख़बर के अनुसार सीपीईसी के तहत बड़े प्रोजेक्ट्स को फंड मिलने में दिक्कत हो रही है. वहीं, पाकिस्तान सरकार ने सीपीईसी अथॉरिटी को भी ख़त्म कर दिया है, जिसका गठन बिना रुकावट तेज़ी से विकास के लक्ष्य को हासिल करने के लिए किया गया था.

ख़बर के अनुसार, चीन वादे के मुताबिक बुनियादी ढांचे से जुड़ी परियोजनाओं के लिए फंड जारी करने में आनाकानी कर रहा है और चीनी कंपनियों ने भी सीपीईसी परियोजनाओं के लिए बिजली उत्पादन बंद कर दिया है. ये कंपनियां बकाए के भुगतान की मांग कर रही हैं.

दूसरी ओर पाकिस्तान भी अपने राजस्व का बड़ा हिस्सा सीपीईसी परियोजनाओं के कर्ज़ चुकाने में खर्च कर रहा है. हालांकि, इसके बावजूद ये परियोजनाएं या तो लंबित हैं या फिर विफल रही हैं. चीन की ओर से कई बड़े प्रोजेक्ट्स के आखिरी चरण में फंड रोके जाने से भी पाकिस्तान पर दबाव बढ़ा है.

ऐसे में चीन को उसके नागरिकों की सुरक्षा के लिए आश्वस्त करना और चीन की बेल्ट एंड रोड परियोजना को तेज़ी से आगे बढ़ाने के लिए समाधान खोजना भी बिलावल भुट्टो के लिए बड़ी ज़िम्मेदारी होगी.

ये दौरा इसलिए भी अहम हो जाता है क्योंकि 21 मई को चीन और पाकिस्तान के रणनीतिक संबंधों की 71वीं वर्षगांठ थी. पाकिस्तान में इस वर्षगांठ को खासतौर पर मनाया गया.

पाकिस्तान की सूचना एवं प्रसारण मंत्री मरियम औरंगज़ेब इस मौके पर इस्लामाबाद में चीनी दूतावास पहुंचीं और वहां केक काटा. उन्होंने कहा कि हम इस दिन को एतिहासिक दिन मानते हैं.

मरियम औरंगज़ेब ने कहा कि पाकिस्तान-चीन संबंध पाकिस्तान के लिए ना सिर्फ़ आर्थिक और मानवीय विकास लाए हैं बल्कि क्षेत्रीय संपन्नता लाने में भी योगदान दिया है. उन्होंने कहा कि चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर एक ऐतिहासिक रणनीतिक साझेदारी का उदाहरण है.

उन्होंने कराची में हुए चरमपंथी हमले को लेकर कहा कि 'हम दोषियों को सज़ा देकर रहेंगे. पूरा सुरक्षा ढांचा खुद प्रधानमंत्री की निगरानी में है.'

71वीं वर्षगांठ के मौके पर बिलावल भुट्टो का पाकिस्तान दौरा दोनों देशों के संबंधों की गहराई प्रदर्शित करने और उन्हें अधिक मज़बूती देने का एक मौका भी होगा. (bbc.com)

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