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क्वाड सम्मेलन से पहले चीन फिर हुआ नाराज़, कर दी बड़ी भविष्यवाणी
23-May-2022 3:49 PM
क्वाड सम्मेलन से पहले चीन फिर हुआ नाराज़, कर दी बड़ी भविष्यवाणी

photo/PIB

जापान की राजधानी टोक्यो में मंगलवार को होने वाले क्वाड सम्मेलन के लिए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जापान पहुंच चुके हैं.

उनके अलावा इस संगठन के बाक़ी तीन देशों अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान के राष्ट्राध्यक्ष भी इस बैठक में शामिल होने जा रहे हैं.

माना जाता है कि भारत-प्रशांत क्षेत्र में चीन के दबदबे को कम करने के लिए चार देशों के इस संगठन का गठन हुआ है. इस संगठन के गठन के बाद से ही लगातार ऐसे समझौते हो रहे हैं जो भारत-प्रशांत क्षेत्र में चीन के प्रभाव कम कर सके.

क्वाड को लेकर चीन हमेशा मुखर रहा है और वो लगातार इसको अपने ख़िलाफ़ साज़िश बता रहा है.

चीन ने एक बार फिर क्वाड को लेकर बयान दिया है और कहा है कि यह नाकाम होकर रहेगा.

चीन ने क्या कहा
पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ज़रदारी चीन के दौरे पर गए थे जहां पर रविवार को उन्होंने चीनी समकक्ष वांग यी से मुलाक़ात की.

ग्वांगझू में इस मुलाक़ात के बाद संयुक्त प्रेस कॉन्फ़्रेंस के दौरान वांग यी से क्वाड सम्मेलन को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि अमेरिका की भारत-प्रशांत क्षेत्र की रणनीति 'विफल होने को बाध्य' है और बीजिंग को 'सीमित' करने के लिए इसे वॉशिंगटन तेज़ी से बढ़ावा दे रहा है.

उन्होंने अमेरिका की भारत-प्रशांत रणनीति को एशिया-प्रशांत की मौजूदगी को मिटाने की कोशिश बताया है और कहा कि यह क्षेत्रीय सहयोग के एक ढांचे को नकारता है और कई दशकों से इस क्षेत्र में सभी देशों ने शांतिपूर्ण विकास की जो एक रफ़्तार बनाई है, उस पर नकारात्मक असर डालता है.

वांग ने कहा, "इस रणनीति का सार विभाजन पैदा करना, टकराव को भड़काना और शांति को कमज़ोर करना है. कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता है कि यह किस तरह से बना है या दिखाई देता है, यह विफल होने के लिए ही गठित हुआ है."

उन्होंने कहा कि 'भारत-प्रशांत रणनीति' ख़ासकर के एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए अधिक से अधिक सतर्कता और चिंता पैदा कर रही है.

चीन इस क्षेत्र को एशिया-प्रशांत क्षेत्र कह रहा है और उसका कहना है कि यह भारत-प्रशांत सामरिक अवधारणा के विरुद्ध है.

अमेरिका की इस रणनीति को डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल के दौरान प्रसिद्धि मिली थी और जो बाइडन के कार्यकाल में भी इसे बढ़ाया गया.

उन्होंने कहा कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र को एक भू-राजनीतिक क्षेत्र की जगह एक शांतिपूर्ण विकास की जगह बनना चाहिए, एशिया- प्रशांत को एक गुट, नेटो या शीत युद्ध बनाना कभी सफल नहीं हो पाएगा.

अमेरिका, जापान, भारत और ऑस्ट्रेलिया को एक मंच पर लाने वाले क्वाड संगठन के उद्देश्यों में एक मुक्त और स्वतंत्र भारत-प्रशांत क्षेत्र शामिल है जबकि बीजिंग इसे 'एशियन नेटो' की संज्ञा दे चुका है और कहता है कि इसका उद्देश्य उसके उदय को रोकना है.

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पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ज़रदारी अपने पहले विदेश दौरे पर चीन पहुंचे हैं. इस मुलाक़ात के बाद बिलावल ने बताया कि दोनों देश एक खुले और समावेशी क्षेत्रीय सहयोग ढांचे को मज़बूत करने, शीत युद्ध की मानसिकता और टकराव के बजाय बातचीत और परामर्श के ज़रिए मुद्दों को हल करने में विश्वास रखते हैं जिनमें आपसी सम्मान हो.

संसाधन संपन्न क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य पैंतरेबाज़ियों के बाद अमेरिका, भारत और कई विश्व ताक़तें एक खुले भारत-प्रशांत की वकालत करते रहे हैं.

चीन विवादित दक्षिण चीन सागर के पूरे हिस्से पर दावा करता रहा है जबकि ताइवान, फ़िलीपींस, ब्रूनेई, मलेशिया और वियतनाम इसके कई हिस्सों पर दावा करते हैं.

बीजिंग ने दक्षिण चीन सागर में कृत्रिम द्वीप और सैन्य प्रतिष्ठान स्थापित किए हैं. पूर्वी चीन सागर में चीन का जापान के साथ क्षेत्रीय विवाद भी है.

वांग ने कहा कि भारत-प्रशांत रणनीति 'स्वतंत्रता और खुलेपन' के नाम पर अमेरिका की 'पकाई हुई है.'

उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र के लोगों को अमेरिका को कह देना चाहिए एशिया में पुराने पड़ चुके शीत युद्ध के परिदृश्य को कभी नहीं दोहराया जाना चाहिए और दुनिया में जो उथल-पुथल और युद्ध हो रहा है, वह इस क्षेत्र में कभी नहीं होना चाहिए.

चीनी विदेश मंत्री न कहा कि चीन जैसे देश इस क्षेत्र में क्षेत्रीय सहयोग को मज़बूत करने के लिए अनुकूल पहलों को देखकर ख़ुश हैं लेकिन विभाजित टकराव पैदा करने की साज़िश का विरोध करता है.

"सबसे पहले हमें एक बड़ा सवाल खड़ा करते हुए इसके पीछे के छिपे मक़सद को देखना चाहिए. मुक्त व्यापार को बढ़ावा देना चाहिए और संरक्षणवाद के भेष में इसको अपनाना नहीं चाहिए."

क्या है क्वाड?
क्वाड शब्द 'क्वाड्रीलेटरल सुरक्षा वार्ता' के क्वाड्रीलेटरल (चतुर्भुज) से लिया गया है. इस समूह में भारत के साथ अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं.

क्वाड जैसे समूह को बनाने की बात पहली बार 2004 की सुनामी के बाद हुई थी जब भारत ने अपने और अन्य प्रभावित पड़ोसी देशों के लिए बचाव और राहत के प्रयास किए और इसमें अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान भी शामिल हो गए थे.

लेकिन इस आइडिया का श्रेय जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंज़ो आबे को दिया जाता है. 2006 और 2007 के बीच आबे क्वाड की नींव रखने में कामयाब हुए और चतुर्भुज सुरक्षा वार्ता की पहली अनौपचारिक बैठक वरिष्ठ अधिकारीयों के स्तर पर अगस्त 2007 में मनीला में आयोजित की गई.

उसी साल क्वाड के चार देशों और सिंगापुर ने मालाबार के नाम से बंगाल की खाड़ी में एक नौसैनिक अभ्यास में हिस्सा लिया था. इस सब पर चीन ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए क्वाड देशों से यह बताने को कहा था कि क्या क्वाड एक बीजिंग विरोधी गठबंधन है? क्वाड को एक झटका और लगा जब कुछ समय बाद ही ऑस्ट्रेलिया इससे अलग हो गया.

दस साल बाद 2017 में मनीला में आसियान शिखर सम्मेलन के दौरान 'भारत-ऑस्ट्रेलिया-जापान-अमेरिका' संवाद के साथ क्वाड वापस अस्तित्व में आया.

यह बैठक इन देशों के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के मनीला पहुंचने से कुछ घंटे पहले हुई. यह वार्ता इस दृष्टि से भी महत्वपूर्ण थी कि उस समय भारत और चीन के बीच डोकलाम में गतिरोध चल रहा था.

2017 में गति मिलने के बाद क्वाड के विदेश मंत्री अक्टूबर 2020 में टोक्यो में मिले और कुछ ही महीनों बाद बीते साल मार्च में जो बाइडन के अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के कुछ ही हफ़्तों बाद अमेरिका ने क्वाड के वर्चुअल शिखर सम्मलेन की मेज़बानी की. (bbc.com)

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