सामान्य ज्ञान
योजना आयोग को मार्च 1950 में भारत सरकार के एक प्रस्ताव के द्वारा स्थापित किया गया था। इसका गठन सरकार द्वारा घोषित उद्देश्यों को जनता के हित में सेवा तथा रोजगार अवसर बढ़ाना और देश के संसाधनों में सतत वृद्धि से लोगों के जीवन स्तर में तेजी लाने के लिए किया गया था। पंडित जवाहर लाल नेहरू योजना आयोग के प्रथम अध्यक्ष और गुलजारी लाल नंदा प्रथम उप सभापति थे।
योजना आयोग का कार्यकाल केंद्र सरकार के कार्यकाल के साथ ही समाप्त होता है इसलिए योजना आयोग के सभी सदस्यों को केंद्र सरकार के साथ ही इस्तीफा देना होता है। योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने 17 मई 2014 को इस्तीफा दिया । मोंटेक सिंह अहलूवालिया के अलावा योजना आयोग के पूर्णकालिक सदस्य थे- बीके चतुर्वेदी, सौमित्र चौधरी, सईदा हमीद, नरेन्द्र जाधव, अभिजीत सेन, मिहिर शाह, कश्मीर कस्तूरीरंगन और अरुण माइरा। इन सभी सदस्यों ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। अब नई सरकार के गठन के साथ ही योजना आयोग के सदस्यों की नियुक्तियां की जाएंगी।
मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने योजना आयोग के उपाध्यक्ष पद पर 10 वर्षों तक सेवा की। उन्होंने 6 जुलाई 2004 को उपाध्यक्ष का कार्यभार ग्रहण किया। उन्होंने योजना आयोग के अंतर्गत तेजी से अधिक समावेशी विकास और सतत विकास की दिशा में 11 वीं पंचवर्षीय योजना (2007-12) और 12 वीं पंचवर्षीय योजना (2012-17) के शीर्षकों का मसौदा तैयार किया। इसके अलावा, 10 क्तवीं पंचवर्षीय योजना को बेहतर ढंग से लागू करने दौरान आधा नेतृत्व किया था। उन्हें योजना आयोग के उपाध्यक्ष बनने के बाद कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया था। वे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में स्वतंत्र मूल्यांकन कार्यालय के पहले निदेशक थे। उन्हें भारतीय अर्थव्यवस्था में उनके योगदान के लिए पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया।