विचार / लेख
-अपूर्व भारद्वाज
पोस्ट का शीर्षक देखकर चौकिये मत...मैं नफरती नूपुर का बिल्कुल भी बचाव करने नहीं आया हूँ। मैं आपको यहां असली अपराधी बताने आया हूँ। आज भारत पूरे विश्व में जो शर्म झेल रहा है उसका असली अपराधी है 2013 के बाद से बीजेपी के संगठन में आया बकलोल, नॉन सीरियस और उत्पाती कलचर।
2013 के पहले की डिबेट या प्रेस कांफ्रेंस उठाकर देख लीजिए आपको बीजेपी की ओर से सुषमा स्वराज, रविशंकर प्रसाद, अरुण जेटली, शाहनवाज और निर्मला सीतारमण जैसे प्रवक्ता प्राइम टाइम न्यूज शोज में डिबेट करते हुए मिलेंगे। कभी-कभी उन बहस का स्तर संसद के स्तर से भी ऊंचा होता था। वे इतनी तर्क और तथ्यों से बात करते थे कि आप उनसे असहमत होते हुए भी उनका सम्मान करते थे लेकिन 2013 के मध्य से सब कुछ बदल गया।
2013 के विधानसभा चुनाव के ठीक पहले बीजेपी में साहब को प्रधानमंत्री पद के लिए नामित करती है फिर मोटा भाई को यूपी में संगठन का प्रभार दिया जाता है, इसी के साथ शुरू होता है। संबित पात्रा, नूपुर शर्मा, गौरव भाटिया और नवीन कुमार जिंदल जैसे लंपट बकरबाजों का बीजेपी के मीडिया सेल में प्रवेश और गोदी मीडिया में अंजना, अमिश और अमन चोपड़ा जैसे नान सिरियस एंकर्स का प्रमोशन।
यह सब पूरी प्लानिंग से हो रहा था। आईटी सेल और गोदी मीडिया का डेडली कॉम्बिनेशन विपक्ष के हर तर्क और तथ्य को नेस्तनाबूद कर रहा था। हर तर्क को जुमले से हराना, हर तथ्य की इतिहास से तुलना कर देना, एक सोची-समझी स्ट्रेटजी का हिस्सा था। जब वो किसी बहस को हारते हुए दिखते तो वो किसी भी गंभीर बहस को गली-चौराहों पे होने वाली ठिठोली में बदल देते थे। लोग मूल मुद्दे को भूलकर हँसी में लग जाते थे।
इसे मैं टैबलायड स्ट्रेटजी बोलता हूं। लंदन के शाम के अखबार हर गंभीर मुद्दे की ऐसे ही हवा निकाल देते हंै। दुनिया की सारी कट्टरपंथी राष्ट्रवादी पार्टियां यही रणनीति फालो करती हैं। वो धर्म से लेकर सारे मुद्दों को इतने नीचे स्तर पर ले जाती हंै कि उस समाज का पूरा स्तर ही नीचे चला जाता है। ट्रम्प, एर्डोगन और पुतिन ने अपने अपने देश में यही किया और अपने संगठन और मीडिया में ऐसे लंपट लोगों की जमकर नियुक्तियां की।
एक बार हिलेरी क्लिंटन ने कहा था कि अगर आप अपने आंगन में पड़ोसी के लिए सांप पालते हैं तो इसकी कोई गारंटी नहीं है कि वो आपको नहीं डसेंगे। आज इन जहरीले प्रवक्ताओं ने अपनी पार्टी के साथ-साथ पूरे देश को डस लिया है, पर इसके जिम्मेदार वो नहीं, इनको पालने वाले सपेरे हैं जिनके इशारों पर यह दिन-रात नाचते हंै और पूरे देश में जहर फैलाते हैं।