विचार / लेख

अन्याय व शोषण के खिलाफ लडऩे व आवाज उठाना वाला ही इतिहास बनाता है
07-Jun-2022 2:12 PM
अन्याय व शोषण के खिलाफ लडऩे व आवाज उठाना वाला ही इतिहास बनाता है

-आर.के. जैन

आज 7 जून है और 129 साल पहले आज ही के दिन एक भारतीय बैरिस्टर मोहन दास कर्मचंद गाँधी को दक्षिण अफ्रीका में उनके साथ घटी एक घटना ने उनकी जिंदगी की दिशा व दशा बदल दी थी और दुनिया उनकी तुलना बुद्ध और ईशा से करनी लगी थी ।

सत्य, अहिंसा, शांति, सद्भाव व प्रेम को यदि कोई  एक शाब्दिक नाम है तो वह गांधीजी का नाम है जिनकी आज जयंती है। पूरी दुनिया इस महामानव को भगवान बुद्ध, ईसा की श्रेणी में रखती हैं क्योंकि गांधीजी ने पूरी दुनिया को वह रास्ता दिखाया है जिस पर चलकर हम विश्व शांति की कल्पना कर सकते हैं। साम्राज्यवादी ताकतों के अन्याय, शोषण, दमन के विरुद्ध लड़ाई बिना हथियारों के लडक़र कैसे जीती जा सकती है यह गांधीजी ने करके दिखाया है। कहते है कि हर इंसान की जिंदगी में कभी न कभी वह क्षण जरूर आता है जो उसके जीवन की दशा और दिशा बदलकर उसे महामानव की श्रेणी में ला सकता है और उसे इतिहास में अमर कर देता है। मैं गांधीजी के जीवन के उसी क्षण को याद कर रहा हूँ।

दिनांक 7 जून 1893 की रात एक भारतीय को दक्षिण अफ्ऱीका में ट्रेन से धक्के मारकर एक स्टेशन ‘पीटर मॉरिट्जबर्ग’पर फेंक दिया गया था। उस व्यक्ति का कसूर यह था कि वह एक अश्वेत था जो रेलवे के प्रथम श्रेणी कोच में बैठा हुआ था। उस यात्री के पास प्रथम श्रेणी का टिकट भी था। बुरी तरह अपमानित होने के बाद सारी रात वह व्यक्ति प्लेटफॉर्म पर बैठा रहा और सोचता रहा कि आखिर उसका कसूर क्या था। क्या अश्वेत पैदा होना एक गुनाह है। चमड़ी के रंग के कारण क्या वह अपमान, अन्याय व दोयम दर्जे के नागरिक बने रहने के लिए अभिशप्त है। सारी रात वह सोचता रहा और अब उसे अपने जीवन का लक्ष्य मिल गया था। उसने ठान लिया कि वह इस अन्याय के खिलाफ लड़ेगा व आवाज उठायेगा भले ही उसकी जान क्यों न चली जाये। वह जानता था कि पारम्परिक हथियारों के बल पर यह लड़ाई कभी कामयाब नहीं हो सकती, पर सत्याग्रह, अहिंसा और आत्म बलिदान के बल पर यह लड़ाई जरूर जीती जा सकती है। वह व्यक्ति अगले 21 वर्षों तक दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद, अन्याय और शोषण के खिलाफ लोगों को एकजुट कर एक ताकतवर व निरंकुश सरकार से तमाम तरह की यातनाएँ सहता हुआ लड़ता रहा और अपनी लड़ाई में काफी हद तक विजयी रहा। भारत लौटने से पहले वह वहां के लोगों को जीवन का उद्देश्य व लक्ष्य भी समझा आया था ।

दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटकर गांधीजी ने हमें सत्य, अहिंसा, सत्याग्रह के मार्ग पर चलकर कैसे आजादी दिलाई यह पूरी दुनिया ने देखा है ।
वह व्यक्ति जिसे पूरी दुनिया आज बापू या महात्मा गांधी के नाम से जानती है के साथ अगर ट्रेन वाली घटना नहीं घटती तो शायद बापू भी गुमनाम रह जाते । अन्याय व शोषण के खिलाफ लडऩे व आवाज उठाना वाला ही इतिहास बनाता है और हमेशा के लिए अमर हो जाता है ।
 

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news