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मृदंगम
13-Jun-2022 10:23 AM
दक्षिण भारतीय शास्त्रीय संगीत में एक ताल वाद्य है मृदगम, जिसे मृदंग भी कहा जाता है। यह वाद्य लकड़ी के षट्कोणाकार बेलन जैसा बना होता है। बेलन के दोनों सिरों पर चमड़े की गोल और आड़ी पट्टिïयां और रस्सियां होती हैं। चमड़े की आड़ी रस्सियों में लकड़ी के टुकड़े फंसाकर सिरों पर मढ़े हुए चमड़े में वांछित तनाव पैदा किया जाता है।
मृृदंग के प्रत्येक मुख पर लेई का लेप लगाकर निश्चित सुर नीचे मिलाया जाता है। दाहिने सिरे पर सियाही का लेप किया जाता है। मृदंग को गले में लटकाकर या गोद में रखकर उसके दोनों सिरों पर हथेली और अंगुलियों का प्रहार कर बजाया जाता है। कर्नाटक संगीत में यद्यपि इसे संगत के ताल वाद्य के रूप में बजाया जाता है। इसी से मिलता-जुलता वाद्य पखावज उत्तरी भारत में बजाया जाता है।