अंतरराष्ट्रीय

अमेरिका: गर्भपात पर सुप्रीम कोर्ट ने पलटा 50 साल पुराना फ़ैसला
24-Jun-2022 9:51 PM
अमेरिका: गर्भपात पर सुप्रीम कोर्ट ने पलटा 50 साल पुराना फ़ैसला

गर्भपात को महिला के हक़ बनाने की मांग करने वाले संगठन कोर्ट के इस फ़ैसले से नाराज़ हैं. उनका कहना है कि महिला के शरीर से जुड़ा फ़ैसला सरकार का नहीं हो सकता.

अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फ़ैसले में गर्भपात को क़ानूनी तौर पर मंज़ूरी देने वाले पांच दशक पुराने फ़ैसले को पलट दिया है. माना जा रहा है कि इसके बाद अब महिलाओं के लिए गर्भपात का हक क़ानूनी नहीं रहेगा और इसे लेकर राज्य अपने-अपने अलग नियम बना सकते हैं.

कोर्ट ने पचास साल पुराने रो बनाम वेड मामले में आए फ़ैसले को पलट दिया है जिसके ज़रिए गर्भपात कराने को क़ानूनी करार दिया गया था और कहा गया था कि संविधान गर्भवती महिला को गर्भपात से जुड़ा फ़ैसला लेने का हक़ देता है.

अबॉर्शन के क़ानूनी हक़ के मामले में भारत क्या अमेरिका से बेहतर है
कुछ सप्ताह पहले इस मामले के फ़ैसले से जुड़ा एक दस्तावेज़ लीक हुआ था जिसके बाद ये चर्चा शुरू हो गई ती कि कोर्ट इसके हक में फ़ैसला दे सकती है.

जानकार कहते हैं कि कोर्ट का ये फ़ैसला अमेरिका में गर्भपात के हक़ को बदल देगा क्योंकि इसके बाद हर राज्य अब इसे लेकर अपने नियम बना सकेगा.

माना जा रहा है कि इसके बाद आधे से अधिक अमेरिकी राज्य गर्भपात क़ानून को लेकर नए प्रतिबंध लागू कर सकते हैं.

13 राज्य पहले ही ऐसे क़ानून पारित कर चुके हैं जो गर्भपात को ग़ैरक़ानूनी करार देते हैं, ये क़ानून सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद स्वत: लागू हो जाएंगे. उम्मीद की जा रही है कि कुछ और राज्य भी जल्द इससे जुड़े प्रतिबंध लागू कर सकते हैं.

क्या है रो हनाम वेड मामला?

  • 1971 में गर्भपात कराने में नाकाम रही एक महिला की तरफ़ से सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई. इसे रो बनाम वेड मामला कहा गया.
  • इसमें गर्भपात की सुविधाओं तक आसान पहुंच की गुहार लगाई गई और कहा गया कि गर्भधारण और गर्भपात के मामले में फ़ैसला महिला का होना चाहिए न कि सरकार का.
  • दो साल बाद 1973 में कोर्ट ने फ़ैसला दिया. गर्भपात को क़ानूनी करार दिया और कहा गया कि संविधान गर्भवती महिला को गर्भपात से जुड़ा फ़ैसला लेने का हक़ देता है.
  • इसके बाद अस्पतालों के लिए महिलाओं को गर्भपात की सुविधा देना बाध्यकारी हो गया.
  • फ़ैसले ने अमेरिकी महिला को गर्भधारण के पहले तीन महीनों में गर्भपात कराने का क़ानूनी हक़ दिया. हालांकि दूसरे ट्राइमेस्टर यानी चौथे से लेकर छठे महीने में गर्भपात को लेकर पाबंदियां लगाई गईं.
  • लेकिन इसके बाद मामले ने तूल पकड़ा. धार्मिक समूहों के लिए ये बड़ा मुद्दा था क्योंकि उनका मानना था कि भ्रूण को जीवन का हक़ है.
  • इस मुद्दे पर डेमोक्रेटिक पार्टी और रिपब्लिकन पार्टी के विचार अलग-अलग थे. 1980 तक ये मुद्दा ध्रुवीकरण का कारण बनने लगा.
  • इसके बाद के दशक में कई राज्यों में गर्भपात पर पाबंदियां लगाने वाले नियम लागू किए, जबकि कईयों ने महिलाओं को ये हक़ देना जारी रखा.
  • सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद जानकार मानते हैं कि देश अब साफ़ तौर पर गर्भपात की इजाज़त देने वाले और इसे बैन करने वाले राज्यों में बंटा दिखेगा.
  • महिलाओें के स्वास्थ्य से जुड़ी संस्था प्लान्ड पेरेन्टहुड के एक शोध के अनुसार इसके बाद अनुमानित 3.6 करोड़ महिलाओं के लिए गर्भपात की सुविधाओं तक पहुंच बाधित हो सकती है.

सुप्रीम कोर्ट डॉब्स बनाम जैकसन महिला स्वास्थ्य संगठन मामले में सुनवाई कर रही थी, जिसमें 15 सप्ताह से अधिक की उम्र के भ्रूण के गर्भपात को लेकर लगाई पाबंदी को चुनौती दी गई थी.

इस मामले में कोर्ट ने 06-03 वोट से राज्य सरकार के हक़ में फ़ैसला दिया था और एक तरह से गर्भपात को लेकर महिलाओं को मिले संवैधानिक हक़ को ख़त्म कर दिया.

कोर्ट के आदेश में एक जगह पर लिखा है, "हम मानते हैं कि गर्भपात कराने का हक़ संविधान प्रदत्त नहीं है... और गर्भपात के नियमन को लेकर फ़ैसला लोगों और उनके चुने हुए प्रतिनिधियों के हाथों में होना चाहिए."

ये सुप्रीम कोर्ट के खुद के ही दिए पुराने फ़ैसले के विपरीत है और अभूतपूर्व है. माना जा रहा है कि इसके बाद अलग-अलग राज्यों के बीच राजनीतिक संघर्ष एक अलग स्तर तक पहुंच सकता है और पूरा देश इस मामले में विभाजित दिख सकता है.

पेन्सिल्वेनिया, मिशिगन और विस्कॉनसिन जैसे राज्यों में गर्भपात के मुद्दे पर लोगों की राय बेहद कम मार्जिन से बंटी हुई है, और यहां ये क़ानूनी हक होगा या नहीं ये फ़ैसला हर चुनाव के बाद बदल सकता है.

वहीं दूसरे राज्यों में इसे लेकर नए मुद्दों पर क़ानूनी जंग छिड़ सकती है जैसे गर्भपात के लिए नागरिक राज्य से बाहर जा कर सुविधाएं ले सकते हैं या नहीं, क्या गर्भपात के लिए मेल से दवा मंगाई जा सकती है.

कैलिफोर्निया, न्यू मेक्सिको और मिशिगन जैसे राज्यों के डेमोक्रेटिक गवर्नर पहले ही रो बनाम वेड मामले के पलटने की सूरत में अपने राज्य के संविधानों के भीतर गर्भपात का हक़ सुनिश्चित करने की योजना की घोषणा कर चुके हैं.

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार अमेरिकी उप राष्ट्रपति कमला हैरिस ने गुरुवार को कई राज्यों के डेमोक्रेटिक अटॉर्नी जनरलों से मुलाक़ात की है और गर्भपात के हक के पक्ष में बात की. (bbc.com)

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news