अंतरराष्ट्रीय
-इक़बाल अहमद
स्टेट बैंक ऑफ़ पाकिस्तान ने पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था को सूद-मुक्त (ब्याज मुक्त) करने के फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.
पाकिस्तान के केंद्रीय शरिया कोर्ट ने इसी साल 28 अप्रैल को पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था में सूद के लेनदेन के ख़िलाफ़ दायर बहुत सारी याचिकाओं पर 19 साल के बाद फ़ैसला सुनाते हुए इसे शरिया-विरुद्ध क़रार दिया था और सरकार को निर्देश दिया था कि वो 2027 तक पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था से सूद के लेन-देन को ख़त्म कर दे.
शरिया कोर्ट की तीन जज की बेंच ने कहा था कि सूद का ख़ात्मा धार्मिक और क़ानूनी ज़िम्मेदारी है इसलिए सरकार को सूद के लेन-देन को हर हालत में ख़त्म करना होगा. ग़ौरतलब है कि इस्लाम धर्म में ब्याज या सूद लेने-देने पर सख़्त पाबंदी है और उसे हराम काम माना जाता है.
अदालत ने कहा था कि सिस्टम से सूद के लेन-देन को पूरी तरह ख़त्म करने के लिए पाँच साल का वक़्त काफ़ी है और सरकार से उम्मीद की जाती है कि वो इस मामले में उठाए जाने वाले क़दमों की सालाना रिपोर्ट संसद में पेश करे.
शरिया कोर्ट के इस फ़ैसले को स्टेट बैंक ने चुनौती दी है. पाकिस्तान के सबसे बड़े सरकारी बैंक के अलावा चार निजी बैंकों ने भी शरिया अदालत के इस फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.(bbc.com)