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अब 60 गेंदों का क्रिकेट टूर्नामेंट, कहाँ रुकेगा ये सिलसिला?
27-Jun-2022 11:01 AM
अब 60 गेंदों का क्रिकेट टूर्नामेंट, कहाँ रुकेगा ये सिलसिला?

-अब्दुल रशीद शकूर

एक वक़्त था जब परंपरावाद क्रिकेट पर हावी था. खेल के क़ानून और अंदाज़ में परिवर्तन की बात आती तो कई बार ये सोचा जाता कि इन बदलावों से कहीं क्रिकेट की पुरानी परंपरा तो प्रभावित नहीं होगी.

लेकिन फिर वक़्त की रफ़्तार के साथ चलने की ख़्वाहिश ने पुराने मूल्यों को एक तरफ़ रख कर नई परंपरा को जन्म देना शुरू कर दिया और आज बात पाँच रोज़ की पारंपरिक क्रिकेट से होती हुई सिर्फ़ 60 गेंदों के मुक़ाबले तक पहुँच गई है.

दूसरे शब्दों में कहें तो दरिया को कोने में बंद कर दिया गया है. वेस्ट इंडीज़ क्रिकेट बोर्ड और कैरीबियन क्रिकेट लीग ने कुछ दिन पहले एक नए फॉर्मेट के टूर्नामेंट का ऐलान किया है और इसका नाम 6ixty रखा गया है.

6ixty क्या है?
6ixty जैसा कि नाम से ज़ाहिर है 60 गेंदों का फॉर्मेट है जिस में दुनिया भर से क्रिकेटर हिस्सा लेंगे. इस सिलसिले का पहला टूर्नामेंट 24 से 28 अगस्त तक सेंट कीट्स एंड नेविस में खेला जाएगा.

इस फॉर्मेट में बैटिंग करने वाली हर टीम के पास छह विकेट होंगी. छठी विकेट गिरने का मतलब ऑल आउट होगा.

इमेज स्रोत,TWITTER/@6IXTYCRICKET
इस फॉर्मेट में होने वाली 60 गेंदों में से पहली तीस गेंदें एक एंड से फेंकी जाएंगी और बाक़ी तीस दूसरे एंड से. कोई गेंदबाज़ दो से अधिक ओवर नहीं कर सकेगा.

अगर कोई टीम तय समय के भीतर अपने ओवर पूरे नहीं कर पाएगी तो उस टीम के एक खिलाड़ी को आख़िरी छह गेंदों के लिए मैदान से बाहर भेज दिया जाएगा.

वेस्ट इंडीज़ क्रिकेट बोर्ड का दावा है कि ये फॉर्मेट टी-टेन क्रिकेट को बदलकर रख देगा और ये एक तेज़ रफ़्तार फॉर्मेट साबित होगा.

टी-20 क्रिकेट ज़ोरों पर
94 साल तक टेस्ट क्रिकेट खेले जाने के बाद दुनिया ने वनडे इंटरनेशनल की शक्ल में क्रिकेट का नया फॉर्मेट देखा था लेकिन टेस्ट क्रिकेट और वनडे इंटरनेशनल के बाद सामने आने वाले टी-20 फॉर्मेट ने सबको पीछे छोड़ दिया है.

टी-20 क्रिकेट ना सिर्फ़ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेली जा रही है बल्कि इस क्रिकेट ने टेस्ट टीम खेलने वाले लगभग हर बड़े देश में फ्रेंचाइज़ी क्रिकेट की शक्ल में फ़ायदेमंद कारोबार का रूप भी ले लिया है.

बात टी-20 तक ही सीमित नहीं रही बल्कि अब इसे बिल्कुल अलग क्रिकेट टी-10 तक ले जाया गया है और फिर इंग्लैंड के मैदानों में सौ गेंदों वाला नया इवेंट 'द 100' के ज़रिए फैंस को अपनी तरफ़ खींचने की कोशिश की जा रही है.

पूर्व क्रिकेटर और कमेंटेटर बाज़ीद ख़ान का कहना है, "क्रिकेट में जो नित नई तब्दीलियां आ रही हैं उनसे लड़ना बेवकूफ़ी की बात होगी क्योंकि दुनिया इसी तरफ़ चल पड़ी है और ये सिलसिला नहीं रुक सकता क्योंकि इसमें पैसे का मामला बिलकुल साफ़ है."

"ब्रॉडकास्टर और खिलाड़ी ख़ुश हैं कि टी-20 और टी-10 जैसे छोटे फॉर्मेट में पैसा बहुत ज़्यादा है."

पत्रकार और विश्लेषक उस्मान समीउद्दीन अपनी बात इस दिलचस्प जुमले के साथ शुरू करते हैं, "इस खेल में जो आख़िरी फॉर्मेट होगा वो होगा वन बॉल. यानी सिर्फ़ एक गेंद का फॉर्मेट खेला जाएगा."

उस्मान समीउद्दीन इंग्लैंड के पूर्व टेस्ट क्रिकेटर डेविड लॉयड के एक जुमले का हवाला देते हुए कहे हैं कि वो वक़्त दूर नहीं जब दोनों कप्तान टास करने जाएंगे और जो टॉस जीतेगा उसे मैच का विजेता घोषित कर दिया जाएगा.

उस्मान समीउद्दीन कहते हैं, "इस वक़्त जिस रफ़्तार से नए फॉर्मेट सामने आ रहे हैं इस में आईसीसी भी कुछ नहीं कर सकती क्योंकि आईसीसी मजबूर बॉडी है."

"सदस्य जो चाहेंगे वही होगा. मेरी आईसीसी के चंद सदस्यों से जो बात हुई है मुझे ये नज़र आ रहा है कि मौजूदा हालात में सब से ज़्यादा नुक़सान वन डे इंटरनेशनल को होगा. इसकी वजह ये है कि वन डे इंटरनेशन से सुपर लीग को निकाल दिया गया है और सन 2027 के वर्ल्ड कप के लिए इंटरनेशनल रैकिंग की बुनियाद पर सीधे टीमें वर्ल्ड कप के लिए चुनी जाएंगी."

वो कहते हैं, "क्रिकेट कैलेंडर में इस क़दर दबाव आ गया है कि इस वक़्त जो फ्रेंचाइज़ी लीग पहले से मौजूद हैं उन के अलावा नई लीग भी आने वाली हैं जिनमें दक्षिण अफ़्रीका और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं."

"इन हालात में जिस फॉर्मेट पर दबाव पड़ेगा वो वन डे ही हो सकता है क्योंकि मेरी जानकारी के मुताबिक आईसीसी के सदस्य वर्ल्ड टेस्ट क्रिकेट चैंपियनशिप से ख़ुश हैं."

"मुझे ये नज़र आ रहा है कि वन डे फॉर्मेट में वर्ल्ड कप और चैंपियन ट्रॉफ़ी की सूरत में आईसीसी इवेंट तो होंगे क्योंकि उन से क्रिकेट बोर्डों को पैसे मिलते हैं. अलबत्ता दो तरफ़ा वन डे सीरीज़ कम होती चली जाएंगी और ये सीरीज़ उन ही दिनों में हुआ करेंगी जब वर्ल्ड कप और चैंपियन ट्रॉफ़ी होने वाली होंगी."

पूर्व टेस्ट क्रिकेटर बाजिद ख़ान भी इस बात को महसूस करते हैं कि मौजूदा हालात में वन डे इंटरनेशनल का भविष्य सुनहरा नहीं है.

वो कहते हैं कि "'टेस्ट क्रिकेट को पसंद करने वालों का अपना वर्ग मौजूद है. टेस्ट क्रिकेट की लोकप्रियता में कमी नहीं आई बल्कि अब चूंकि तकरीबन हर टेस्ट मैच का नतीजा आने लगा है लिहाज़ा लोग इस में दिलचस्पी लेते हैं."

"अलबत्ता वन डे क्रिकेट, टेस्ट और टी-20 के बीच फंस कर रह गई है. आप को ऐसे लोग बहुत कम मिलेंगे जो सिर्फ़ वन डे को फॉलो करते हों, आप को ऐसे लोग ज़्यादा मिलेंगे जो टेस्ट क्रिकेट को पसंद करते हैं या टी-20 को पसंद करते हैं."

बाजिद ख़ान का कहना है, "कई बार वन डे इंटरनेशनल के बारे में ऐसा लगता है कि जैसे ये बे मक़सद या वेमानी मैच हो. लोगों को इस में ज़्यादा दिलचस्पी नज़र नहीं आती कि दो देशों के बीच होने वाली सीरीज़ कौन जीता है."

'नौजवान क्रिकेटर टेस्ट से दूर ना हों'
बाजिद ख़ान कहते हैं कि "'टी-20 और टी-10 के आने के बावजूद ऐसा हरगिज़ नहीं है कि टेस्ट क्रिकेट नहीं देखा जा रहा है."

"इंग्लैंड और उन तमाम देशों में जहां टेस्ट मैच के परंपरा अब भी मौजूद है वहां अब भी फैन स्टेडियम में आते हैं. यही नहीं बल्कि टीवी पर भी टेस्ट मैच देखे जा रहे हैं लेकिन क्रिकेट खेलने वाले देशों के लिए असल चैलेंज ये है कि उन्हें अपने नौजवान नस्ल को टेस्ट क्रिकेट से भी जोड़े रखना है."

"टी-20 और टी-10 क्रिकेट साथ-साथ चलती रहेगी लेकिन टेस्ट क्रिकेट को बरक़रार रखना और क्रिकेट को क्रिकेट को उस तरफ़ भी जारी रखना क्रिकेट बोर्डों की ज़िम्मेदारी है ताक़ि खिलाड़ी ये ना सोचे कि मुझे टेस्ट क्रिकेट नहीं खेलना."

बाजिद ख़ान कहते हैं कि, "क्रिकेट इस वक़्त इतनी ज़्यादा हो गई है कि ओवरलैप हो रही है. इंग्लैंड की टेस्ट सीरीज़ न्यूज़ीलैंड से चल रही है जिसमें एक हफ़्ते का अंतराल देकर इंग्लैंड की वन डे सीरीज़ हॉलैंड में खेली गई."

"आने वाले दिनों में आप को टेस्ट क्रिकेट खिलाड़ी अलग करने होंगे और ऐसे खिलाड़ी कम नज़र आएंगे जो रेड बॉल और वाइट बॉल दोनों से खेलने वाले हों."

फ्रेंचाइज़ी क्रिकेट की तरफ़ झुकाव
उस्मान शम्सउद्दीन कहते हैं कि, "इस वक़्त क्रिकेट का सबसे बड़ा मसला इंटरनेशनल क्रिकेट बनाम फ्रेंचाइज़ी क्रिकेट है. अगले 10, 15 साल में ऐसे हालात पैदा होने वाले हैं कि इंटरनेशनल क्रिकेट के मुक़ाबले में डोमेस्टिक फ्रेंचाइज़ी क्रिकेट की अहमियत ज़्यादा हो जाएगी. जैसा कि हम फ़ुटबॉल में देख रहे हैं."

वो कहते हैं कि "आईपीएल में टीमें बढ़ने की वजह से मैच की तादाद बढ़ी है और इससे इसके समय में इज़ाफ़ा हुआ है. पीएसएल में जब टीमें बढ़ेंगी तो इसका समय भी बढ़ जाएगा."

बिग बैश का ये हाल है कि क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ये कह चुके हैं कि "हम जनवरी में अपनी वन डे इंटरनेशनल क्रिकेट नहीं खेलेंगे क्योंकि वो चाहते हैं कि डेविड वॉर्नर और पेट कमिंस और उन जैसे दूसरे बड़े खिलाड़ी बिग बैश में खेले जो ऑस्ट्रेलिया की तरफ़ से वन डे में व्यस्त होने की वजह से बिग बैश नहीं खेल पाते हैं."

वो बताते हैं कि, "इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड भी चाहता है कि उसके तमाम बेहतरीन खिलाड़ी दी 100 खेल सकें. दरअसल तमाम क्रिकेट बोर्ड ने देख लिया है कि उन की फ्रेंचाइज़ी लीग से पैसे बन रहे हैं, लिहाज़ा वो इंडिया पर भरोसा किए बिना अपनी लीग को आगे बढ़ाना चाहते हैं."

बाजिद ख़ान कहते हैं कि, "फ्रेंचाइज़ी क्रिकेट की भरमार की वजह से ये सुझाव भी सामने आ चुका है कि देशों के बीच होने वाले इंटरनेशनल टी-20 मैचों की दो-तरफ़ा सीरीज़ को ख़त्म कर दिया जाए और सिर्फ़ इस का वर्ल्ड कप हर दो साल बाद कराया जाए क्योंकि खिलाड़ी वैसे ही डोमेस्टिक क्रिकेट की फ्रेंचाइज़ी लीग में खेल रहे होते हैं."

"दो तरफ़ा सीरीज़ में अक्सर ये बात भी देखने में आती है कि टी-20 मैच की तादाद बढ़ाने के लिए टेस्ट मैच की तादाद कम कर दी जाती है." (bbc.com)

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