ताजा खबर
एल्माउ (जर्मनी), 28 जून। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को खाद्य सुरक्षा और लैंगिक समानता पर जी7 शिखर सम्मेलन के सत्र को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत का दृष्टिकोण महिलाओं के विकास से महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास में परिवर्तित हुआ है।
यह रेखांकित करते हुए कि वैश्विक तनाव के बीच ऊर्जा और खाद्यान्न की बढ़ती कीमतें सभी देशों को प्रभावित कर रही हैं, मोदी ने यह भी सुझाव दिया कि खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उर्वरकों की उपलब्धता, भारतीय कृषि प्रतिभाओं के उपयोग के लिए प्रणाली, बाजरा और प्राकृतिक खेती जैसे पौष्टिक विकल्पों पर ध्यान देना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘मौजूदा हालात में भी हमने लगातार बातचीत और कूटनीति का रास्ता अपनाने का आग्रह किया है। इस भू-राजनीतिक तनाव का प्रभाव केवल यूरोप तक ही सीमित नहीं है। ऊर्जा और खाद्यान्न की बढ़ती कीमतों का असर सभी देशों पर पड़ रहा है।’’
उन्होंने कहा कि विकासशील देशों की ऊर्जा और सुरक्षा विशेष रूप से खतरे में है। उन्होंने कहा कि इस चुनौतीपूर्ण समय में भारत ने कई जरूरतमंद देशों को खाद्यान्न की आपूर्ति की है।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हमने पिछले कुछ महीनों में अफगानिस्तान को मानवीय सहायता के रूप में लगभग 35,000 टन गेहूं भेजा है। हम खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अपने पड़ोसी देश श्रीलंका की भी मदद कर रहे हैं।’’
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इन क्षेत्रों में भारत के अनुभवों को साझा करते हुए खाद्य सुरक्षा और लैंगिक समानता पर जी7 के सत्र को संबोधित किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत का दृष्टिकोण ‘महिला विकास’ से ‘महिला के नेतृत्व वाले विकास’ में परिवर्तित हुआ है।’’
उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘‘(प्रधानमंत्री ने) खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए निम्नलिखित सुझाव दिए: 1. उर्वरकों की उपलब्धता 2. भारतीय कृषि प्रतिभाओं के उपयोग के लिए संरचित प्रणाली 3. बाजरा जैसे पौष्टिक विकल्प 4. प्राकृतिक खेती।’’
इससे पहले, यहां जी7 शिखर सम्मेलन में ‘बेहतर भविष्य में निवेश: जलवायु, ऊर्जा, स्वास्थ्य’ सत्र को संबोधित करते हुए मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि जलवायु प्रतिबद्धताओं के प्रति भारत का समर्पण उसके प्रदर्शन से स्पष्ट है। (भाषा)