विचार / लेख

डॉलर या युआन: कौन बड़ा ठग?
29-Jun-2022 12:05 PM
डॉलर या युआन: कौन बड़ा ठग?

बेबाक विचार : डॉ. वेदप्रताप वैदिक

दुनिया के सात समृद्ध देशों के संगठन जी-7 के शिखर सम्मेलन में भारत को भी आमंत्रित किया गया था, हालांकि भारत इसका बाकायदा सदस्य नहीं है। इसका अर्थ यही है कि भारत इन्हीं समृद्ध राष्ट्रों की श्रेणी में पहुंचने की पर्याप्त संभावना रखता है। जर्मनी में संपन्न हुए इस सम्मेलन में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाग लेकर सभी नेताओं से गर्मजोशी से मुलाकात की, भारत की उपलब्धियों का जिक्र किया और इस संगठन के सामने कुछ नए लक्ष्य भी रखे।

मोदी ने यह तथ्य भी बेझिझक प्रकट कर दिया कि भारत की आबादी दुनिया की 17 प्रतिशत है लेकिन वह प्रदूषण सिर्फ 5 प्रतिशत ही कर रहा है। दूसरे शब्दों में उन्होंने समृद्ध राष्ट्रों को अपने प्रदूषण को नियंत्रित करने का भी संकते दे दिया। इसके अलावा उन्होंने समृद्ध राष्ट्रों से अपील की कि वे विकासमान राष्ट्रों की भरपूर मदद करें। संसार के देशों में बढ़ती जा रही विषमता को वे दूर करें। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन तथा अन्य नेताओं ने इस अवसर पर घोषणा की कि वे अगले पांच वर्षों में 600 बिलियन डॉलर का विनियोग दुनिया भर में करेंगे ताकि सभी देशों में निर्माण-कार्य हो सकें और आम आदमियों का जीवन-स्तर सुधर सके।

जाहिर है कि इतने बड़े वित्तीय निवेश की कल्पना इन समृद्ध देशों में चीन के कारण ही जन्मी है। चीन ने 2013 में ‘बेल्ट एंड रोड एनीशिएटिव’ (बीआरडी) शुरु करके दुनिया के लगभग 40 देशों को अपने कर्ज से लाद दिया है। श्रीलंका और पाकिस्तान तो उसके शिकार हो ही चुके हैं। भारत के लगभग सभी पड़ौसी देशों की संप्रभुता को गिरवी रखने में चीन ने कोई संकोच नहीं किया है लेकिन जो बाइडन ने चीनी योजना का नाम लिये बिना कहा है कि जी-7 की यह योजना न तो कोई धर्मादा है और न ही यह राष्ट्रों की मदद के नाम पर बिछाया गया कोई जाल है।

यह शुद्ध विनियोग है। इससे संबंधित राष्ट्रों को तो प्रचुर लाभ होगा ही, अमेरिका भी फायदे में रहेगा। यह विकासमान राष्ट्रों को सडक़ें, पुल, बंदरगाह आदि बनाने के लिए पैसा मुहय्या करवाएगा। इस योजना के क्रियान्वित होने पर लोगों को सीधा फायदा मिलेगा, उनकी गरीबी दूर होगी, उनका रोजगार बढ़ेगा और लोकतंत्र के प्रति उनकी आस्था मजबूत होगी। संबंधित देशों के बीच आपसी व्यापार और आर्थिक सहयोग को बढ़ाने में भी इस योजना का उल्लेखनीय योगदान होगा।

यह भी संभव है कि इस योजना में जुटनेवाले देशों के बीच मुक्त-व्यापार समझौते होने लगें। यदि ऐसा हुआ तो न सिर्फ विश्व-व्यापार बढ़ेगा बल्कि संबंधित देशों में आम लोगों को चीजें सस्ते में उपलब्ध होने लगेंगी। उनकी जीवन-स्तर भी सुधरेगा। बाइडन और अन्य जी-7 नेताओं का यह सोच सराहनीय है लेकिन लंबे समय से डॉलर के बारे में कहा जाता है कि यह जहां भी जाता है, वहां से कई गुना बढक़र ही लौटता है। देखें चीनी युआन के मुकाबले यह कितनी कम ठगाई करता है?  (नया इंडिया की अनुमति से)

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news