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यूए ने कहा पत्रकारों को लिखने और ट्वीट करने पर जेल में नहीं डालना चाहिए
29-Jun-2022 12:24 PM
यूए ने कहा पत्रकारों को लिखने और ट्वीट करने पर जेल में नहीं डालना चाहिए

पत्रकार मोहम्मद जुबैर की गिरफ्तारी पर पूछे गए एक सवाल पर संयुक्त राष्ट्र के महासचिव अंटोनियो गुटेरेश के प्रवक्ता स्टीफन डुजारिक ने कहा कि पत्रकारों को उनके लिखने, ट्वीट करने और कहने के लिए जेल नहीं होनी चाहिए.

   डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी की रिपोर्ट-

पत्रकार और ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर की गिरफ्तारी पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए संयुक्त राष्ट्र के महासचिव अंटोनियो गुटेरेश के प्रवक्ता स्टीफन डुजारिक ने कहा, "दुनिया भर में किसी भी स्थान पर यह बहुत महत्वपूर्ण है कि लोगों को खुद को स्वतंत्र रूप से व्यक्त करने की इजाजत दी जाए, पत्रकारों को स्वतंत्र रूप से और बिना किसी उत्पीड़न की धमकी के खुद को व्यक्त करने की इजाजत दी जाए."

पत्रकार वार्ता के दौरान डुजारिक से जुबैर की गिरफ्तारी को लेकर प्रतिक्रिया पूछी गई थी. पत्रकार वार्ता में डुजारिक से एक पाकिस्तानी पत्रकार ने एक और सवाल किया कि क्या वे जुबैर की रिहाई की मांग कर रहे हैं. इस पर डुजारिक ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा, "पत्रकार जो लिखते हैं, जो ट्वीट करते हैं और जो कहते हैं उसके लिए उन्हें जेल नहीं होनी चाहिए."

चार दिन की पुलिस हिरासत में जुबैर
दूसरी ओर मोहम्मद जुबैर को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने मंगलवार को चार दिनों की पुलिस हिरासत में भेज दिया. जुबैर पर आरोप है कि उन्होंने साल 2018 में एक ट्वीट में कथित तौर पर एक समुदाय की धार्मिक भावनाओं को आहत किया है.

दिल्ली पुलिस ने सोमवार की शाम को जुबैर को गिरफ्तार किया था. जुबैर के साथी प्रतीक सिन्हा ने आरोप लगाया था कि पुलिस ने जुबैर को बिना नोटिस दिए गिरफ्तार किया है. सोमवार की शाम को जुबैर को पुलिस ने साल 2020 के एक मामले में पूछताछ के लिए बुलाया था लेकिन उनकी गिरफ्तारी नए मामले में हुई थी. एक दिन की हिरासत में पूछताछ की अवधि समाप्त होने के बाद उन्हें पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया गया. पुलिस हिरासत देते हुए कोर्ट ने कहा कि आरोपी को बेंगलुरु ले जाकर उस डिवाइस को बरामद करना है, जिससे साल 2018 में विवादित पोस्ट किया गया था. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने बचाव पक्ष हर दलील को ठुकरा दिया.

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो रही गिरफ्तारी की निंदा
पत्रकारों के लिए काम करने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स (सीपीजे) ने भी गिरफ्तारी की निंदा की है. सीपीजे के दक्षिण एशिया प्रोग्राम कोऑर्डिनेटर स्टीवन बटलर ने कहा, "पत्रकार मोहम्मद जुबैर की गिरफ्तारी भारत में प्रेस की स्वतंत्रता के पतन को दर्शाता है. जहां सरकार ने सांप्रदायिक मुद्दों पर प्रेस रिपोर्टिंग के सदस्यों के लिए शत्रुतापूर्ण और असुरक्षित वातावरण बनाया है."

मंगलवार को मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया ने भी जुबैर की गिरफ्तारी पर एक बयान जारी किया था. संगठन ने जुबैर की तत्काल और बिना शर्ता रिहाई की मांग की थी. संगठन ने अपने बयान में कहा, "सत्य और न्याय की पैरोकारी कर रहे मानवाधिकार रक्षकों का उत्पीड़न और मनमाने तरीके से गिरफ्तारी भारत में चिंताजनक रूप से आम बात हो गयी है."

एमनेस्टी इंडिया के अध्यक्ष आकार पटेल ने बयान में कहा कि भारतीय अधिकारी जुबैर पर इसलिए निशाना साध रहे हैं क्योंकि वह फर्जी खबरों और भ्रामक सूचनाओं के खिलाफ काम कर रहे हैं.

पुलिस ने एक ट्विटर हैंडल से शिकायत मिलने के बाद जुबैर के खिलाफ मामला दर्ज किया था, जहां यह आरोप लगाया गया था कि उन्होंने जानबूझकर धार्मिक भावनाओं को आहत करने के उद्देश्य से विवादित ट्वीट किया था.

मंगलवार को एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, मुंबई प्रेस क्लब समेत कुछ पत्रकार संगठनों ने जुबैर की गिरफ्तारी की निंदा की और उनकी तुरंत रिहाई की मांग की थी. (dw.com)

 

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