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रायपुर, 3 जुलाई। केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने सोने पर आयात शुल्क 7.5 फीसदी से बढक़र 12.5 फीसदी कर दिया है, इस बढ़ोत्तरी का रायपुर सराफा एसोसिएशन ने विरोध जताते हुए कहा है कि मंदी की मार झेल रहे सेक्टरों और त्यौहारी सीजन को देखते हुए 5 प्रतिशत की जो बढ़ोत्तरी की गई है उसे जल्द ही वापस लें।
रायपुर सराफा एसोसिएशन के अध्यक्ष हरख मालू ने पीली धातु पर आयात शुल्क की बढ़ोत्तरी पर विरोध जाते हुए कहा कि सोने के आयात शुल्क में अचानक से 5 प्रतिशत की गई बढ़ोत्तरी ने हमें आश्चर्यचकित कर दिया है और यह बढ़ोत्तरी पूरे सराफा जगत के साथ आम नागरिकों को प्रभावित करेगा।
पीली धातु पर आयात शुल्क की बढ़ोत्तरी तो कर दी गई है लेकिन अतिरिक्त सेस को हटाया दिया है जिससे आयात लगभग 3 प्रतिशत महंगा होना तय है। लेकिन इस संबंध में केंद्र सरकार का कहना है कि अवमूल्यन एवं विदेशी मुद्रा के नुकसान को रोकने तथा सोने की कीमतें बढऩे से इसकी खरीदी कम हो इसलिए बढ़ोतरी की है।
श्री मालू ने बताया कि 5 प्रतिशत की जो बढ़ोत्तरी की गई है उसके मुताबिक अब आम नागरिकों को 12.5 फीसदी आयात शुल्क, 2.5 फीसदी सेस व 3 फीसदी जीएसटी मिलकर 18 फीसदी का शुल्क उन्हें देना होगा। श्री मालू ने कहा कि सोने की खरीदरी कम होने से केंद्र सरकार को ही नुकसान होगा और इसका खामियाजा उन्हे ही उठाना होगा। आम नागरिक सोना कम खरीदेंगे यह सरकार की भूल है क्योंकि अगस्त माह से त्यौहारी सीजन शुरु हो जाएगा और सोने की मांग अधिक होगी और लोग सोना खरीदने से चुकेंगे नहीं।
श्री मालू ने कहा कि पिछले दिनों केंद्र सरकार ने सोने पर आयात शुल्क कम किया गया था लेकिन ऐसे समय में जब उद्योग सोने पर शुल्क कम करने पर जोर दे रहा था, पीली धातु के आयात पर शुल्क में पांच प्रतिशत की बढ़ोत्तरी आश्चर्यजनक है।
हम सरकार सरकार से सोने पर आयात शुल्क वृद्धि की समीक्षा करने का आग्रह करते हुए मंदी की मार झेल रहे सेक्टरों और आगामी त्यौहारी सीजन को देखते हुए 5 प्रतिशत की जो बढ़ोत्तरी की गई है उसे जल्द ही वापस लेने की मांग करते हैं। श्री मालू ने बताया कि इससे पूर्ववती सरकार ने भी सोने पर आयात शुल्क की बढ़ोत्तरी का कदम उठाया था जिसका कोई खास असर नहीं हुआ था।
श्री मालू ने कहा कि आम उपभोक्ता को अब इस महंगाई को झेलना पड़ेगा साथी क्या केवल आयात शुल्क बढ़ाने से लगातार हो रहे रुपए का अवमूल्यन को रोका जा सकता है और भी बहुत सारे उपाय हैं जिससे रुपए का अवमूल्यन को रोका जा सकता है। केंद्र सरकार को इस ओर विचार करना चाहिए।