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कर्नाटक में पुलिस उप-निरीक्षक भर्ती घोटाले में वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी गिरफ्तार
04-Jul-2022 8:50 PM
कर्नाटक में पुलिस उप-निरीक्षक भर्ती घोटाले में वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी गिरफ्तार

बेंगलुरु, 4 जुलाई। पुलिस उपनिरीक्षक (पीएसआई) भर्ती घोटाला प्रकरण के सिलसिले में कर्नाटक अपराध जांच विभाग (सीआईडी) ने सोमवार को अतिरिक्त महानिदेशक (एडीजीपी) रैंक के एक अधिकारी को गिरफ्तार किया। उच्च पदस्थ पुलिस सूत्रों ने यह जानकारी दी।

इस साल अप्रैल में जब घोटाला सामने आया था तब गिरफ्तार अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक अमृत पॉल भर्ती प्रकोष्ठ के प्रमुख थे। इसके बाद बड़े पैमाने पर अनियमितताएं सामने आने के बाद वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी का तबादला एडीजीपी, आंतरिक सुरक्षा प्रभाग के पद पर कर दिया गया था।

उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, भर्ती विभाग में ही फर्ज़ी अभ्यर्थियों की अंक सूची से कथित तौर पर छेड़छाड़ की गयी थी। सूत्रों ने दावा किया कि पॉल कथित तौर पर घटनाओं के बारे में जानते थे।

सूत्रों ने कहा कि अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक को पुलिस ने कम से कम चार बार पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया।

पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा 'गिरफ्तारी के बाद उन्हें स्वास्थ्य जांच के लिए बॉरिंग एंड लेडी कर्जन अस्पताल (एबी वाजपेयी एमसी एंड आरआई) ले जाया गया।'

यह घोटाला सबसे पहले कालबुरागी जिले में सामने आया, जब एक उम्मीदवार की ओएमआर शीट सोशल मीडिया पर पोस्ट की गयी, जिसमें दिखाया गया था कि 100 में से केवल 21 प्रश्नों का उत्तर देने के बावजूद उसने परीक्षा पास की थी। इससे परीक्षा आयोजित करने के तरीके के खिलाफ लोगों में आक्रोश फैल गया। पुलिस ने मामले की जांच की और उम्मीदवार और इसे सोशल मीडिया पर डालने वाले व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज किया।

उक्त मामले की जांच के संबंध में, एक फरार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता और कालबुरागी में 'ज्ञान ज्योति इंग्लिश मीडियम स्कूल' के मालिक, दिव्या हागरागी, कॉलेज के प्रिंसिपल काशीनाथ और अन्य कर्मचारियों की गिरफ्तारी हुई।

पुलिस उपाधीक्षक, निरीक्षक, उप निरीक्षक, कांस्टेबल और एक विधायक के बंदूकधारी सहित कुछ पुलिस अधिकारियों को भी गिरफ्तार किया गया।

यह भी आरोप है कि इस मामले में मल्लेश्वरम के एक अभ्यर्थी को भी गिरफ्तार किया गया था, जो कथित तौर पर एक वरिष्ठ राजनेता का रिश्तेदार था।

सूत्रों ने बताया कि इस सिलसिले में अब तक 40 'चयनित' उम्मीदवारों, एजेंटों, परीक्षा केंद्र के कर्मचारियों और पुलिस कर्मियों सहित लगभग 70 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

घोटाले के संदिग्ध उम्मीदवारों ने कथित तौर पर नौकरी पाने के लिए प्रत्येक ने 70 लाख रुपये का भुगतान किया था।

उल्लेखनीय है कि 545 पदों को भरने के लिए पुलिस-उप-निरीक्षक भर्ती अभियान अक्टूबर 2021 में शुरू हुआ था।

घोटाला सामने आने के बाद सरकार ने पुलिस-उप-निरीक्षक भर्ती परीक्षा को रद्द करते हुए नए सिरे से परीक्षा कराने का आदेश दिया था।

इस कदम से नाराज़ कुछ उम्मीदवारों ने परीक्षा रद्द करने के आदेश को रद्द करने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया था।

हालांकि, सरकार अडिग रही और कहा कि वह बाद में नए सिरे से परीक्षा आयोजित कराएगी जबकि विपक्ष ने सरकार में हाई-प्रोफाइल लोगों की संलिप्तता का आरोप लगाया। इस पर गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र ने कहा था कि मामले की निष्पक्ष जांच की जाएगी। (भाषा)

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