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तरूणाई की बागीपन या खुद की खोज का सफर
22-Jul-2022 5:56 PM
तरूणाई की बागीपन या खुद की खोज का सफर

-अल्पयु सिंह
क्रिस्टोफर की अपनी डायरी में ये आखिरी एंट्री थी। शायद अपनी मौत से कुछेक घंटे पहले उसने ये बात लिखी। जिस दिन उसने दम तोड़ा वो दिन बेहद हसीन था। नीले आसमान में बादल सफेद दुपट्टों की मानिंद इधर-उधर तैर रहे थे। अलास्का के जंगल में उसका आशियाना बनी नीले रंग की वैन में हरियाली खिली थी। लेकिन उसे ये सब छोडऩा था, वो जानता था।

कांपती कमजोर उंगलियों से उसने किसी तरह ये लाइन लिखी और खुली आंखों से ही दम तोड़ दिया जैसे इतने खूबसूरत नजारों को वो आखिरी वक्त तक नजरों के सामने रखना चाहता था। अगस्त 1992 में उसकी मौत की खबर न्यूज के जरिए लोगों तक पहुंची और तब हर कोई समझना चाहता था कि आखिर ऐसा कोई क्यों करेगा, एक अमीर खानदान का 22 साल का लडक़ा, जो Bright ¥õÚU Sensitive दोनों था, जिसने ग्रेजुएशन अच्छे नंबरों से की थी और जिसके आगे एक सुनहरा कल सामने खड़ा था।  वो तो अमेरिकन ड्रीम का पोस्टर ब्वॉय बन सकता था। लेकिन उसने जो कुछ किया, वो सबकी समझ से परे था।

ग्रेजुएट होते ही वो घर वालों को बताए बगैर खुद की खोज पर निकल गया। उसने एक-एक कर अपनी सारी मैटेरियलिस्टिक चीजें छोड़ दी। कार कहीं छोड़ दी। डॉलर जला दिए और दो-चार कपड़ों में दो साल अमेरिका के कई जंगलों में बिना किसी प्लान या पैसे के दो साल बिताए। रास्ते में कई लोग मिले, कुछ खराब लेकिन ज्यादातर अच्छे, लेकिन आदमी, सोसायटी, रिवाज जैसे शब्दों से उकताया क्रिस चीजों की ही तरह रिश्तों का या भावनाओं का भी आदी नहीं होना चाहता। उसे जब लगता रास्ते में मिलने वाले लोग उससे मन जोडऩे लगे हैं वो बिना किसी को कुछ कहे वहां से चुपचाप चल देता।

फिल्म बताती है कि 75 साल के रॉन के मामले में क्रिस भी खासा पिघला। वो बुजुर्ग उसे पोते जैसा मानने लगे थे। लेकिन अलास्का के लिए अकेले निकलने से पहले वो उनसे कहता है कि आपको लगता है कि जीवन की सच्ची खुशी सिर्फ रिश्तों से मिलती है, तो आपको अपना नजरिया बदलने की जरूरत है। डॉलर, स्टॉक, अपार्टमेंट, वीकेंड, मल्टीनेशनल के इर्द-गिर्द चक्कर लगाने वाले खाए-अघाए अमेरिकन समाज की एक टिपिकल अमेरिकन फैमिली से निकला ये लडक़ा आखिर क्या चाहता था? क्यों इंसान और उससे जुड़ी हर रवायत से वो दूर रहना चाहता? क्या ये सिर्फ वहां के हिप्पी कल्चर की ही झलक थी? या तरूणाई की बागीपन या खुद की खोज का सफर।

सवालों के जवाब तो क्रिस के साथ ही चले गए लेकिन शायद एक सवाल का जवाब वो साफ साफ दे गया। जो शख्स भावनाओं और जुड़ाव से भी हमेशा बचने की कोशिश करता रहा, उसने मरने से पहले आखिर ऐसा क्यों लिखा -  Happiness only real when shared।  वैसे ये सच्ची कहानी है, जिस पर किताब और फिल्म दोनों बनी हैं।

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