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हर इंसान प्रतिभा लेकर इस दुनिया में आया है, बस उसे तराशने की जरूरत है-राष्ट्रसंत ललित प्रभजी
06-Aug-2022 1:17 PM
हर इंसान प्रतिभा लेकर इस दुनिया में आया है, बस उसे तराशने की जरूरत है-राष्ट्रसंत ललित प्रभजी

रायपुर, 6 अगस्त। इस दुनिया के 70 परसेंट लोग ऐसे हैं जो गरीब के घर पैदा हुए और ऊंचाइयों के मुकाम तक पहुंचे। जब आदमी के भीतर जब जज्बा जाग जाता है- मुझे कुछ बनना है तो वह कहां से कहां तक पहुंच जाता है।

दुनिया में प्रतिभा कभी भी बाहर से डाली नहीं जाती है, प्रतिभा उजागर की जाती है। बाहुबली की विशाल प्रतिमा एक बड़ी पहाड़ी को तराशकर निकाली जा सकती है। ऐसे ही हमारे भीतर भी प्रतिभाएं छिपी हैं, केवल उन्हें बाहर निकालने की जरूरत है। यही नहीं सब कुछ खोकर भी आदमी अपाहिज नहीं होता।

 अगर उसके हौसले बुलंद हों, उसे केवल अपनी प्रतिभा जगानी होती है। हर आदमी इस दुनिया में प्रतिभा लेकर आया है, बस उसे तराशने की जरूरत है। भगवान श्रीमहावीर ने 26सौ साल पहले भारत के भविष्य को देखते हुए यह कहा था कि मनुष्य न तो जन्म से महान होता है, न तो जाति वंश और वर्ण से महान होता है, मनुष्य जब भी महान होता है अपने कर्म से महान होता है। हम सबके भीतर में ईश्वर ने कोई न कोई प्रतिभा जरूर भरी है।’’

ये प्रेरक उद्गार राष्ट्रसंत महोपाध्याय श्रीललितप्रभ सागरजी महाराज ने आउटडोर स्टेडियम बूढ़ापारा में जारी दिव्य सत्संग जीने की कला के अंतर्गत परिवार सप्ताह के पंचम दिवस शुक्रवार को व्यक्त किए।

उन्होंने आज के विषय- ‘बच्चों को टेलेन्ट निखारने की जरूरी बातें’ पर कहा कि जिस प्रकार मूल्य वस्तु का नहीं, वस्तु में छिपी संभावनाओं का मूल्य होता है उसी प्रकार मनुष्य से अधिक उसके भीतर छिपी संभावनाओं और प्रतिभाओं का मूल्य हुआ करता है।

 चांदी तो अंत तक चांदी ही बनी रहती है पर लोहे को यदि पारस पत्थर का स्पर्श मिल जाए तो वह लोहा भी एक दिन सोना बनने में सफल हो जाता है। अगर लोहे ने अपनी प्रतिभा को जगा लिया और उसे आप जैसा कोई गुरू पारस रूप में मिल जाए तो वह लोहा भी सोना बन जाएगा।

प्रवचन का शुभारंभ उन्होंने राष्ट:संत चंद्रप्रभजी रचित गीत ‘जीवन में कुछ करना है तो मन को मारे मत बैठो, आगे-आगे बढऩा है तो हिम्मत हारे मत बैठो...’ से करते हुए उन्होंने कहा कि हममें विभिन्न संभावनाएं छिपी हुई हैं, अगर मिट्टी को एक सही कुम्हार का हाथ मिल जाए तो मिट्टी में से मंगल कलश पैदा हो जाता है।

और बीज को अगर माली का साथ मिल जाए तो उससे बरगद का पेड़ पैदा होता है।

हर व्यक्ति के, हर बालक के भीतर अपनी-अपनी संभावनाएं होती हैं, कुछ लोग होते हैं जो अपनी प्रतिभाओं को जगाने में सफल हो जाते हैं और कुछ लोग होते हैं जिनकी प्रतिभाएं सोई की सोई रह जाती हैं। ईश्वर ने आपको कोई न कोई प्रतिभा जरूर दी है तो अगर हम उन प्रतिभाओं का उपयोग करें तो हमें वह प्रतिभा दोबारा मिलती है और यदि उपयोग नहीं किया तो भगवान उस प्रतिभा को हमें दोबारा नहीं देता है। प्रतिभावान सर्वत्र पूज्यते। याद रखना, राजा, नेता, संपन्न व्यक्ति अपने नगर में पूजा जाता है पर एकमात्र प्रतिभाशील ज्ञानी व्यक्ति जहां भी जाता है वहां पूजा जाता है। इसीलिए पंचतंत्र की नीतियों में कहा गया है- प्रतिभावान सर्वत्र पूज्यते। आज अगर अमरीका जाकर हमारे भारत के छात्र इतने बड़े-बड़े पदों पर पहुंच रहे हैं तो उन्होंने ऊंचाइयां अपने चेहरे के बलबूते नहीं, अपनी प्रतिभा के बलबूते पाई हैं।

केवल 50 सालों में ही नारीशक्ति ने मनवा लिया लोहा

नारी शक्ति की महानता बताते हुए संतश्री ने कहा कि नारी जाति हमारे सामने उदाहरण है-50 साल पहले वह अंगूठा लगाती थी, और आज वह अंगूठा दिखाने में कामयाब है। धन की देवी लक्ष्मी और ज्ञान की देवी सरस्वती दोनों ही इस नारी जाति में आज साकार हुई हैं। बेटी है अभिमान हमारा, बेटी है सम्मान हमारा। जिस घर में बेटी जन्मे वो घर है स्वर्ग समान। जिस घर में बेटियां जन्म लेती हैं वो सबसे किस्मत वाला होता है, क्योंकि जिनके भाग्य में संतान सुख ज्यादा लिखा होता है ईश्वर केवल उन्हीं को बेटियां देता है। बेटियों ने आज तक माँ-बाप को दु:ख दिया नहीं। हजारों-हजार वर्ष तक नारी जाति की प्रतिभा दबाई गई। घूंघट निकालकर बैठो, अगर उसके पति का दुर्भाग्यवश देहावसान हो गया तो वर्षों-वर्ष तक महिलाएं घूंघट में पड़ी रहती थीं। बड़े-बुजुर्ग 12 साल के होते तक उन्हें स्कूल भेजने के लिए नहीं बल्कि उनके ब्याह के लिए तैयार होते थे। पांच हजार साल तक नारी की प्रतिभा को दबाया गया और ये कहकर उन्हें घर की चारदीवारी में बंद कर दिया गया कि इन्हें क्यों पढ़ाएं। फालतू में क्यों पैसा बर्बाद करें। सोचो 5 हजार साल तक नारी की प्रतिभा को दबाया गया और आज उसे उजागर होने में केवल 50 साल का ही समय मिला। आज स्थिति ये है कि वे ना केवल पुरुषों से कंधा मिलाकर चल रही हैं, सच्चाई ये है कि आज वे पुरुषों से भी आगे बढऩे की हिम्मत दिखा रही हैं। किसी भी राज्य के मैट्रिक के परीक्षा परिणाम को देख लो, टॉप टेन में लड़कियां होती हैं। नारी ने यह साबित करके दिखा दिया गया कि वे 50 साल में यहां तक पहुंच सकती हैं। सोचो अगर नारी जाति को अपनी प्रतिभा को जगाने 50 हजार सालों का मौका मिला होता तो नारी जाति मानव जाति के लिए वरदान बन गई होती। आज परिणाम है कि दो-दो महिलाएं देश की राष्ट:पति बन चुकी हैं। यह हमें बताता है कि अगर प्रतिभा को जगाने का अवसर मिले तो व्यक्ति कहां नहीं पहुंच सकता।

जिद करो और जिंदगी बदलो

अगर आदमी अपने आपको, अपनी प्रतिभा व चेतना को जगाना चाहे तो वह सब कुछ करने में सक्षम हो जाता है। यह प्रेरणा प्रदान करते हुए संतप्रवर ने कहा कि लोहे बेचने वाले को दुनिया में लोहार कहते हैं और जूते बेचने वाले को लोग दुनिया में चमार कहते हैं, पर जो व्यक्ति अपनी प्रतिभा को जगा लेता है वह देश का सबसे सम्मानीय व्यक्ति टाटा और बाटा बन जाता है। मैं आपको आज एक मंत्र दे रहा हूं- जिद करो और जिंदगी बदलो। अगर शाहजहां ने जिद की तो ताजमहल बन गया, एकलव्य ने जिद की तो अर्जुन की तरह धनुर्धर हो गया, महात्मा गांधी ने जिद की तो देश आजाद हो गया, एक बार आप भी जिद करो तो आपको पता लग जाए कि जिंदगी क्या से क्या हो सकती है। जिंदगी को आगे बढ़ाने के लिए जिद करो और जिंदगी बदलो। आदमी बनना चाहे और न बन पाए, यह असंभव है। जिनके भीतर में यह निराशा घर कर जाती है कि मैं बूढ़ा हो गया हूं, मैं क्या कर सकता हूं तो उन्हें स्वामी प्रभु पादजी से सीख लेनी चाहिए, जिन्होंने 70 साल की उम्र में यह संकल्प लिया कि मैं अपने धर्म को दुनियाभर में फैलाकर आउंगा, आज पूरी दुनिया उनकी संस्था हरे रामा-हरे कृष्णा को जानती है।

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