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रायपुर, 12 अगस्त। इष्ट फल की प्राप्ति और मुक्ति का आधार है महामंत्र नवकार। जिस मंत्र के पहले, बीच में और अंत में कोई बीजाक्षर लगाने की जरूरत नहीं होती, जिसे ऊपर से बोल लो तो वही परिणाम और नीचे से शुरू कर बोल लो तो भी वही परिणाम, बीच में से बोल लो तो तब वही परिणाम।
एक पद या शुरूआत के पदों को बोल लो तब भी वही परिणाम, जहां से भी इसका जाप कर लो यह इंसान को समान परिणाम दिया करता है। ये वो महामंत्र है जिसका लाख बार जाप करके इंसान दुनिया में किसीका अहित नहीं कर सकता वह केवल दुनिया का हित ही हित कर सकता है।
यह महामंत्र नवकार हमेशा मानवता के हित का काम करता है, इसमें किसी भगवान का नाम नहीं पर दुनिया में ऐसी कोई ईश्वरीय शक्ति भी शेष नहीं जो इसमें न आयी हो, क्योंकि यह व्यक्तिवाचक नहीं यह महामंत्र गुणवाचक है। यह गुणों की पूजा करता है, कोई भी व्यक्ति इसका जाप करे, यह हर धर्म का-हर व्यक्ति का मंत्र है। इस धरती पर आज तक किसी में भी यह हिम्मत नहीं कि वह महामंत्र में भेद कर सके, क्योंकि यह अभेद्य है। ’’
ये प्रेरक उद्गार राष्ट्रसंत महोपाध्याय श्रीललितप्रभ सागरजी महाराज ने आउटडोर स्टेडियम बूढ़ापारा में जारी दिव्य सत्संग जीने की कला के अंतर्गत धर्म सप्ताह के द्वितीय दिवस मंगलवार को व्यक्त किए। वे आज ‘कैसे जपें मंत्र नवकार: हो जाएं दुखों से पार’ विषय पर प्रवचन दे रहे थे।
नवकार मंत्र है महामंत्र, इस मंत्र की महिमा भारी है...के गायन से धर्मसभा का शुभारंभ करते हुए संतप्रवर ने कहा कि इस महामंत्र का सुमिरन करो तो आत्मा धन्य हो जाती है, जाप करो तो मन धन्य हो जाता है।
उच्चारण करो तो जिह्वा धन्य हो जाती है और इस मंत्र को जीवन में उतार लो तो आत्मा धन्य हो जाती है। इस लोक में भी जो हमें दु:खों से पार लगाता है और परलोक में हमें मोक्ष का पद प्रदान करता है। ये वो महामंत्र है जिसे भोगी भी सुमर सकता है, योगी भी स्मरण कर सकता है, राजा और रंक भी इसका जाप कर सकता है।
युगों-युगों से मानवता ने अपने जीवन कल्याण के लिए जिस महामंत्र से परम मार्गदर्शन प्राप्त किया है वह यह नवकार महामंत्र है। जैसे नदियों में गंगा है, जैसे पर्वतों में हिमालय है, कि जैसे देवों में गणेश है, जैसे तारों में चंद्रमा है वैसे ही सारे मंत्रों में यह महामंत्र मानवता के कल्याण के लिए दिव्य शक्तियों द्वारा अवतरित हुआ है।
जिसके हृदय में नवकार मंत्र का जाप-मनन चलता है, जिसकी जिह्वा में नवकार मंत्र का संगायन होता है, जिसके कानों में नवकार मंत्र का श्रवण होता है और जिसके दिलोदिमाग में नवकार मंत्र का मनन हुआ करता है, वह जीव धन्य हो जाता है उसका आत्म कल्याण हो जाता है।
उसके जीवन में आत्मोद्धार के रास्ते खुलने शुरू हो जाते हैं। संतप्रवर ने कहा कि यह महामंत्र नवकार हमारे जीवन का उद्धारक है, आत्मा का कल्याण करने वाला है। मनवांछित फल प्रदान करने वाला और अंतत: व्यक्ति को मुक्ति का मार्ग प्रदान करने वाला है।
नवकार मंत्र की शरण ले लो, हर चिंता हो जाएगी दूर
संतश्री ने कहा कि दुनिया में तीन शब्द चलते हैं- मंत्र, यंत्र और तंत्र। जिसका संबंध हमारे मन से जुड़ा होता है वह मंत्र है, मशीनों से जिसका संबंध जुड़ा होता है वह यंत्र होता है, और तन से जिसका संबंध जुड़ा होता है वह तंत्र होता है। मन की मुक्ति के लिए, आत्मा के कल्याण के लिए यह नवकार मंत्र है। इसके 68 अक्षर इसकी महिमा को धारण किए हुए हैं। नवकार मंत्र की शरण ले लो, हर चिंताएं दूर हो जाती हैं। मन में अगर अखंड श्रद्धा रखो तो तय मानकर चलना। नवकार मंत्र उसे परिणाम नहीं देता जो केवल शब्दों में मनन करता है, यह मंत्र उसे परिणाम देता है जो हृदय में इसके प्रति अनंत श्रद्धा रखता है। अनेकता में एकता का पाठ पढ़ाने वाला यह महामंत्र नवकार है।