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35 फीट की राखी श्रद्धालु बहनों ने ट्रस्ट मंडल को समर्पित की
रायपुर, 13 अगस्त। रक्षाबंधन प्रेम, पवित्रता और मानवीय सुरक्षा का पर्व है। आओ हम सब इसका तहेदिल से स्वागत करें। यह वो पर्व है जब एक भाई अपनी बहन के लिए असीम प्रेम को लुटाता है, दुनिया में भाई-बहन के प्रेम के समकक्ष दुनिया में किसी की भी तुलना नहीं की जा सकती।
बहन की अंतिम सांस तक यदि कोई काम आता है तो वह है उसका भाई। जब सब साथ छोड़ देते हैं, तब भी महिला के भीतर एक आश और विश्वास होता है कि मेरा भाई मेरा साथ निभाएगा। दुनिया में माँ जितना प्यारा एक और शब्द पैदा हुआ, माँ को तो माँ कहते हैं और माँ के भाई को मा-मा कहते हैं।’’
ये प्रेरक उद्गार राष्ट्रसंत महोपाध्याय श्रीललितप्रभ सागरजी महाराज ने आउटडोर स्टेडियम बूढ़ापारा में जारी दिव्य सत्संग जीने की कला के अंतर्गत धर्म सप्ताह के चतुर्थ दिवस गुरूवार को ‘प्रेम का पवित्र पर्व: रक्षाबंधन’ विषय पर व्यक्त किए। संतप्रवर ने आगे कहा कि यह रक्षाबंधन का त्यौहार ये केवल डोरी बांधने का त्यौहार नहीं, कोई हजार-पांच सौ का लिफाफा लेने-देने का त्यौहार नहीं, ये मानवीय भावना के सर्वोच्च परिणाम का त्यौहार है।
नारी व नारी के बीच विशुद्धता, निर्मलता, प्रेममूलक भावना को पैदा करने वाला यह दिव्य पर्व है। हिमायू जैसे आततायी को भी जब पद्मावति के द्वारा लिफाफे में एक धागा भेजकर मैं तुम्हारे भाई बना रही हूं, मुझे तुम्हारी रक्षा की आवश्यकता है। तो कहते हैं बंगाल में रहने वाला हिमायू भी राखी की डोर का महत्व रखने राजस्थान तक आया था।
जब भगवान श्रीकृष्ण ने जरासंध का वध करने के लिए अपने हाथ से जब सुदर्शन चक्र चलाया था, तब उनकी अंगुली से रक्तधार बह निकली, तब उनकी धर्मबहन मुंहबोली द्रोपदी पास बैठी थी, भरी राजसभा में खड़ी हो गई और अपने पल्लू को झट से फाडक़र श्रीकृष्ण की अंगुली पर बांध दिया।
तब भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी लाडक़ी छोटी बहन द्रोपदी से कहा था- हे कल्याणी मैं इस पल्लू के एक-एक धागे का मोल चुकाउंगा। यह भाई के द्वारा अपनी छोटी बहन को दिया गया वचन था। संकट के समय जब नारी का कोई काम नहीं आता तब उसका भाई काम आता है।
ये हैं भाई-बहन के अमर प्रेम की कहानियां।
संतश्री ने कहा कि जब आप अपनी बहन से राखी का धागा बंधाते हैं तब केवल एक बहन को ही नहीं पूरी नारी जाति को यह वचन देते हैं कि मैं पूरी नारी जाति की इज्जत-सम्मान करूंगा, मैं नारी जाति की इज्जत का हमेशा विवेक रखुंगा। इसीलिए अगर आप चाहते हैं कि इस जग की हमारी सारी बहु-बेटियां सुरक्षित हों, तो उसके लिए पहली शर्त है आप औरों की बहन-बेटियों की इज्जत बचाने के लिए सदा आगे रहेंगे।
संतप्रवर ने कहा कि यह राखी का त्यौहार परिवार में प्रेम और मिठास को घोलने के लिए आया है। हमेशा याद रखें, आदमी का धन रिश्तों की ताकत नहीं होता, आदमी की जमीन-जायजाद रिश्तों की ताकत नहीं होती, रिश्तों की सबसे बड़ी ताकत अगर कोई होती है तो वह परस्पर रहने वाला प्रेम होता है। मैं यहां बैठे हजारों लोगों से यह अनुरोध करूंगा कि आज रक्षाबंधन के दिन अपने मन को पवित्र-सकारात्मक बनाना और जिस किसी भी रिश्तेदार से आपकी बोलचाल बंद है, मेरी बातों पर भरोसा करके उनके घर जाना और सॉरी कह देना। सॉरी कहने का मतलब यह है कि आप रिश्तों का निभाना जानते हैं। रिश्तों को निभाने वाला घर में बड़ा होता है, रिश्ता और मटका-इसका महत्व वे ही लोग जानते हैं जो इसको बनाते हैं, इसको तोडऩे वाले कभी नहीं जान सकते। महान वे नहीं होते जो कंकड़ मारकर रिश्तों को तोड़ते हैं, महान वे होते हैं जो रिश्तों का सृजन कर उसकी अहमियत को समझते हैं। जो चंदन घिसता है वह मंदिर में भगवान की मूर्ति पर चढऩे काम आता है और जो चंदन घिसता नहीं वह किसी अमीर के शव को श्मशान में जलाने के काम आता है। अगर आप घर में घिस रहे हैं तो आप अभिनंदन के पात्र हैं।