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दुआ कभी किसी का साथ नहीं छोड़ती, बद्दुआ कभी पीछा नहीं छोड़ती: राष्ट्रसंत ललितप्रभजी
14-Aug-2022 4:22 PM
दुआ कभी किसी का साथ नहीं छोड़ती, बद्दुआ कभी पीछा नहीं छोड़ती: राष्ट्रसंत ललितप्रभजी
रायपुर, 14 अगस्त। ‘‘मेरे कहे इस वाक्य को जिंदगी में हमेशा याद रखना- जिंदगी में अगर ले सको तो किसी की दुआएं ले लेना, मगर भूल-चूक कर भी कभी किसी की बददुआ मत लेना। जिंदगीभर के लिए इस मंत्र को अपना लो कि- दुआ कभी किसी का साथ नहीं छोड़ती और उससे बड़ा सच ये है- बददुआ कभी किसी का पीछा नहीं छोड़ती। आज नहीं तो कल दुआ आपके बुरे वक्त में काम आती है तो बददुआ आदमी की जिंदगी में बुरा वक्त लाकर खड़ा कर देती है। मैं तो कहता हूं अगर आपके घर में कोई मजदूर काम करता है, उसका पसीना सूखे उससे पहले उसकी जेब में उसकी मेहनत का पैसा डाल देना। क्योंकि दुआ जितना काम करती है, उससे कहीं ज्यादा बददुआ काम किया करती है। जहां दुनिया की कोई दौलत काम नहीं करती, वहां ईश्वर की तरह शक्ति बनकर दुआ की दौलत काम करती है। ’’
 
ये प्रेरक उद्गार राष्ट्रसंत महोपाध्याय श्रीललितप्रभ सागरजी महाराज ने आउटडोर स्टेडियम बूढ़ापारा में जारी दिव्य सत्संग जीने की कला के अंतर्गत धर्म सप्ताह के पंचम दिवस शुक्रवार को ‘कैसे कमाएं जीवन में दुआओं की दौलत’ विषय पर व्यक्त किए। नहीं चाहिए दिल दुखाना किसी का, सदा न रहा है सदा न रहेगा ये जमाना किसी का... इस प्रेरक भजन से दिव्य सत्संग का शुभारंभ करते हुए संतप्रवर ने कहा कि संतश्री ने आगे कहा कि गजब की होती है ये दुआओं की दौलत। जब सूटकेस, हीरे और जवाहरात की दौलत भी बेकार हो जाती है तब भी अगर कोई आदमी किसी दुर्घटना में बचता है तो उसे बचाने वाली दौलत का नाम है दुआ की दौलत।
 
ये दौलत जिंदगी में या तो कभी मुसीबत आने नहीं देती और अगर जब मुसीबत आ जाए तो दुनिया की कोई दौलत काम नहीं करती, तब दुआओं की दौलत काम करती है। इसीलिए जिंदगी में अगर सबसे ज्यादा किसी दौलत को आदमी को बटोरना चाहिए तो वह है दुआओं की दौलत। याद रखना मारने वाले के दो हाथ होते हैं और बचाने वाले के हजार हाथ होते हैं। हाथ जोड़कर उस ईश्वर के सामने दुआ की दौलत मांग लेना। एक अमीर आदमी अपने इकलौते बेटे को बचाने के लिए दुनिया की दौलत हाथ में लिए खड़े रहता है, महंगे से महंगे डॉक्टर कर लेता है और जब डॉक्टर आॅपरेशन थियेटर से बाहर आते हैं तब वे कहते हैं हमने तो पूरी कोशिश कर लें अब तो बस आप लोग दुआ करो। इसीलिए मैं आपको बताना चाहता हूं, जहां पर डॉक्टर की दवा काम नहीं करती वहां पर भी दी हुई दुआएं काम करती है।

जहां कोई नेटवर्क काम नहीं करता वहां काम करता है दुआओं का नेटवर्क
संतप्रवर ने कहा कि जिंदगी में और कोई कमाई करो न करो, एक कमाई जरूर कर लेना, कभी ऐसी समस्या खड़ी हो जाती है जब सारा धन मिलकर भी उस एक समस्या का समाधान नहीं कर पाता, अगर आपने कभी दुआ की दौलत बटोरी है तब अचानक कोई ऐसा व्यक्ति आया जिसने आपकी सारी समस्या का समाधान कर दिया। जिदंगी के उस वक्त जब आपके पास आपका-अपना कोई नहीं होगा, और आपका कोई नेटवर्क वहां काम न करे तब आपके पास रखा हुआ दुआओं का नेटवर्क जरूर काम आ जाएगा।

टेढ़े वचन बोलकर किसी की बददुआ न लो
संतप्रवर ने कहा कि जिंदगी में भूल-चूककर कभी-भी किसी का दिल मत दुखाना। अक्सर हम लोग जिंदगी में अपने वचन व्यवहार से-टेढ़े बोलकर न जाने कितनी बददुआएं इक्ट्ठी कर लेते हैं। यह तय है कि जब हम किसी के प्रति मन में प्रतिकूल व्यवहार करते हैं तो सामने वाला हमारे लिए गलत कामना करता है, और जब हम किसी के प्रति अनुकूल व्यवहार करते हैं तो सामने वाला हमारे प्रति प्रतिकूल बोलने की बजाय अनुकूल बोला करता है। इसीलिए जब भी वचन का व्यवहार करो, सावधान हो जाओ, आपका वचन-आपकी वाणी वीणा बन जाए पर कभी बाण न बने।
 
अक्सर जब व्यक्ति पद पर, सत्ता पर होता है अथवा अमीर होता है, जब वह युवा होता है या उसकी चल रही होती है, तब अपने-आपको वह लॉर्ड साहब समझने लग जाता है। दुनिया में किसी की भी लार्डशाही नहीं चली है, क्योंकि वक्त को वक्त बदलते वक्त नहीं लगता है। हम सदा सावधान रहें अपनी हैसियत का-अपनी उपलब्धियों का जीवन में कभी गुमान न करें। जिनकी कभी तूती बोलती थी, उनके आज पतासे भी नहीं चल रहे हैं। जिन कपड़ों को कभी हमारे देश में अंग्रेजों के वायसराय पहना करते थे, आज उन्हीं कपड़ों को हमारे देश के बैंड बजाने वाले पहन रहे हैं। इसीलिए गुमान नहीं करना, न अपने ड्रेस का न परिवेश का और ना अपनी सम्पत्ति।

संकल्प लेवें- आज से मैं वहीं काम करूंगा जो दुनिया को अच्छा लगे
संतश्री ने आह्वान कर कहा कि हम यह संकल्प ले लेवें कि आज से मैं दुनिया में वही  काम करुंगा जो दुनिया को अच्छा लगे। मैं आज से वही वचन बोलुंगा जो मेरे परिवार, पड़ोसी, संबंधी सभी को अच्छा लगे। मैं समाज में भी जाउंगा तब ऐसे शब्द कभी नहीं बोलुंगा, जिससे किसी के मन को पीड़ा पहुंच जाये। यदि आज आप किसी बड़े पद पर हैं तो समाज के किसी एक व्यक्ति को भी ऐसे टेढ़े शब्द ना बोलना, जिससे किसी को बुरा लगे। संघपति वो नहीं होता जो संघ बनाए, संघपति वो होता है जो संघ को अपना पति मान लेता है। समाज का अध्यक्ष वो नहीं होता जो समाज में सबसे बड़ा हो जाता है, समाज का अध्यक्ष वो होता है जो समाज को अपने से बड़ा मानने लग जाता है। इसीलिए अपने बड़ेपन का कभी-भी अभिमान मत करना।

दुआ की दौलत कमाने इन छोटे-छोटे मंत्रों का करें पालन
संतश्री ने कहा- जिंदगी में दुआ की दौलत कमाने के लिए आज मैं आपको छोटे-छोटे मंत्र दे रहा है। इन्हें अपनी जिंदगी में लागू कर लेना।  ये तीनों मंत्र पारसनाथजी के प से शुरू होते हैं। जीवन में दुआ की दौलत बटोरने के लिए पहला काम करो और वो है- परोपकार करो। दूसरा मंत्र है उसका तरीका है- घर के बड़े-बुजुर्गों को सुबह उठकर घुटने टिका कर प्रणाम करो। दुनिया में चार का नेटवर्क बड़ा तेज होता है- एक प्रभुजी, दूसरा गुरुजी, तीसरा पिताजी और चौथा माताजी। तीसरा मंत्र है- दुआ की दौलत को पाने के लिए रामबाण की तरह यह कार्य करेगा, वह है- जब भी करो प्रभुजी की प्रार्थना जरूर करो।

भूखे का पेट भरोगे तो भरा रहेगा आपका भंडार
संतप्रवर ने कहा कि जब एक गरीब भूखे बच्चे को आप खाना खिलाते हैं तब हर कौर खाने के बाद वह आपसे आंख मिलाएगा। सोचा है आपने कभी कि वह आपसे आंख क्यों मिलता है? यह तो छोड़ो आपने देखा होगा कि जब आप कुत्ते को रोटी डालते हैं तो कुत्ता रोटी सीधा नहीं खाता, हर कौर खाते समय वह आपसे आंख मिलाता है। भयभीत होकर नहीं, वो उस समय आपको दुआ की दौलत दे रहा होता है। कि तुम मेरा पेट भर रहे हो, तुम्हारा भी भंडार सदा भरा रहेगा।

 
दुआ की दौलत कमाने सण्डे को भी न लें छुट्टी
संतश्री ने श्रद्धालुओं ने बताया कि वेदव्यासजी से जब यह पूछा गया कि आपने इतने बड़े-बड़े एक नहीं अट्ठारह पुराण रच दिए हैं, इन्हें पढ़ेगा कौन? तो वेदव्यासजी ने कहा- जिसे अट्ठारह पुराण पढ़ने का समय न हो वो मेरी एक लाइन को हमेशा याद रखे कि परोपकार जब भी करोगे-तुम्हें पुण्य मिलेगा और पीड़ा जब भी दोगे-तुम्हें पाप मिलेगा। इसीलिए आज दुआ की दौलत को कमाने के लिए पहला संकल्प ये जरूर ले लो, मैं रोज जो भी काम करूंगा परोपकार का एक काम जरूर करूंगा। रात में जब सोओ तो यह संकल्प करो कि आज दिनभर में मुझसे कोई सत्कर्म हुआ या नहीं हुआ। यदि हुआ तो कल फिर करूंगा और अगर नहीं हुआ तो कल जरूर करूंगा। दुआ की दौलत कमाने के लिए सण्डे की भी छुट्टी न लेना।  हम सबने यह सुना ही है- तुम गरीबों की सुनो, वो तुम्हारी सुनेगा। तुम एक पैसा दोगे वो दस लाख देगा। जब जिंदगी में कोई दौलत काम न आएगी तब जो भी काम आएगी वो आपकी दुआ की दौलत होगी।

गरीब के पेट में डाली रोटी भगवान तक जाती है
संतश्री ने परोपकार से मिलने वाले पुण्य के बारे में समझाते हुए बताया कि हाथ से फेंका हुआ पत्थर सौ मीटर दूर तक जाता है, पिस्तौल से छूटी गोली पांच सौ मीटर तक जाती है, तोप से छोड़ा हुआ गोला पांच हजार मीटर तक जाता है, पर गरीब के पेट में डाली हुई रोटी भगवान तक जाती है। परोपकार के बदले में हमें जो भी मिलती है, उसी का नाम है दुआ की दौलत। हर आदमी की दिन की शुरुआत अर्जन से नहीं होनी चाहिए, हर आदमी की दिन की शुरुआत विसर्जन से होनी चाहिए। याद रखना- जो व्यक्ति दो हाथ से लुटाया करता है, ईश्वर उसको हजार हाथ से दिया करता है। अपनी हर दिन की शुरुआत कमाने से नहीं दान से करो।
 
घर से जब भी सुबह निकलो अपने घर में जो भी भगवान की जगह है, वहां एक डिब्बा जरूर रख देना और उस डिब्बे में अपनी हैसियत के हिसाब से मानव सेवा, जीव दया, प्राणी दया के लिए कुछ न कुछ मुद्रा जरूर रख देना। एक बात जिंदगी भर याद रखना- दूध का सार मलाई है, जीवन का सार दूसरों की भलाई है। संतश्री द्वारा आज सभी श्रद्धालुओं को रोज एक साल तक के लिए सौ, पचास, बीस या दस रूपए दान के लिए निकालने का संकल्प दिलाया गया।

पाप फल के हिस्सेदार आप स्वयं होंगे और कोई नहीं: डॉ. मुनिश्री शांतिप्रियजी
धर्मसभा के पूर्वार्ध में डॉ. मुनिश्री शांतिप्रिय सागरजी ने कहा कि दुनिया में सभी सुख के साथी होते हैं दुख का साथी कोई नहीं होना चाहता। आप अपने जीवन में धन कमाने के लिए जो पाप किया करते हैं, उस पाप फल के हिस्सेदार और कोई नहीं होंगे, उनका भुगतान केवल आप को ही करना होगा। क्योंकि कर्म सिद्धांत का सूत्र है- कर्म हमेशा कर्ता का अनुगमन किया करता है। इंसान सबकी आंखों में धूल झोंक सकता है पर कर्म की आंखों में धूल नहीं झोंक सकता। इसीलिए हमें कर्म करते समय हमेशा सजग-सावधान रहना चाहिए। दुनिया में किसी से डरने की जरूरत नहीं, यदि डरना ही है तो पाप कर्म करने से डरें। आदमी कर्म करने में स्वतंत्र है लेकिन उस कर्म उदय में आने पर उसका भुगतान करने में वह परतंत्र हो जाता है। किए हुए कर्मों को भोगे बिना उनसे छुटकारा नहीं मिलता। आज से हम सब यह संकल्प लेवें कि कभी भी पाप कर्मों का बंधन नहीं करेंगे और पूर्व के कर्मों को काटने हम सदा सन्मार्ग पर चलते रहेंगे। जो कर्मों को जीत लेता है, वही महावीर कहलाता है।

अतिथियों को भेंट में मिले ज्ञान पुष्प
श्रीऋषभदेव मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष विजय कांकरिया, कार्यकारी अध्यक्ष अभय भंसाली, ट्रस्टीगण तिलोकचंद बरड़िया, राजेंद्र गोलछा व उज्जवल झाबक ने संयुक्त जानकारी देते बताया कि आज दिव्य सत्संग का शुभारंभ अतिथिगण सांसद सुनील सोनी, श्रीऋषभदेव मंदिर ट्रस्ट के कार्यकारी अध्यक्ष अभय भंसाली, सुरेश कांकरिया, संतोष दुग्गड़, सुलोचना सराफ, संगीता चोपड़ा एवं गौतमचंद बोथरा द्वारा ज्ञान का दीप प्रज्जवलित कर किया गया। अतिथियों को श्रद्धेय संतश्री के हस्ते ज्ञानपुष्प स्वरूप धार्मिक साहित्य भेंट किये गये। अतिथि सत्कार दिव्य चातुर्मास समिति के स्वागताध्यक्ष कमल भंसाली, पीआरओ समिति से विमल गोलछा व मनोज कोठारी द्वारा किया गया। सूचना सत्र का संचालन चातुर्मास समिति के महासचिव पारस पारख ने किया।

तपस्वियों का हुआ बहुमान
श्रीऋषभदेव मंदिर ट्रस्ट एवं श्रीदिव्य चातुर्मास समिति की ओर से आज धर्मसभा में 11 उपवास की तपस्विनी श्रीमती नम्रता कांकरिया धर्मपत्नी सुमित कांकरिया एवं श्रीमती गौरी कांकरिया धर्मपत्नी संयम कांकरिया सहित 9 उपवास के तपस्वी माणकचंद चोपड़ा, राजेंद्र गोटी का बहुमान किया गया।

आज प्रवचन  ‘भक्ति की शक्ति और प्रार्थना का चमत्कार’ विषय पर
दिव्य चातुर्मास समिति के अध्यक्ष तिलोकचंद बरड़िया, महासचिव पारस पारख व प्रशांत तालेड़ा, कोषाध्यक्ष अमित मुणोत ने बताया कि शनिवार, 13 अगस्त को दिव्य सत्संग के अंतर्गत धर्म सप्ताह के छठवें दिन ‘भक्ति की शक्ति और प्रार्थना का चमत्कार’ विषय पर प्रवचन होगा। श्रीऋषभदेव मंदिर ट्रस्ट एवं दिव्य चातुर्मास समिति ने श्रद्धालुओं को चातुर्मास के सभी कार्यक्रमों व प्रवचन माला में भाग लेने का अनुरोध किया है।

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