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दुनिया का हर धर्म हमें मानवता का संदेश देता है: राष्ट्रसंत ललितप्रभजी
15-Aug-2022 9:05 AM
दुनिया का हर धर्म हमें मानवता का संदेश देता है: राष्ट्रसंत ललितप्रभजी

रायपुर, 14 अगस्त। हर धर्म में अच्छे महापुरुष हैं और हर धर्म में अच्छे शास्त्र हैं। हमें उन महापुरुषों का सम्मान करना चाहिए। हर धर्म में श्रेष्ठ जीवन जीने की बातें हैं। दुनिया का कोई धर्म नहीं कहता कि आप किसी को कोई दुख दो, दुनिया का कोई धर्म नहीं कहता कि आप किसी का धन चुराओ, दुनिया का कोई धर्म नहीं कहता कि आप हिंसा करो, दुनिया का कोई धर्म नहीं कहता कि आप चोरी, व्यभिचार, लूटपाट करो। दुनिया का हर धर्म हमें मानवता का संदेश देता है। अगर हम अपने नजरिए को बड़ा लेकर आएंगे तो दुनिया के किसी भी धर्म में कोई फर्क नहीं है, केवल जीने के तरीके का फर्क है।

 
‘कोई नहीं पराया, सारी धरती एक बसेरा है, इस सीमा में पश्चिम है तो मन का पूरब तेरा है, श्वेत वर्ण या श्याम वर्ण हो, सुंदर या कि असुंदर हो, अरे सभी मछलियां एक ताल कीं, क्या तेरा-क्या मेरा है। ’ छोटी-छोटी बातों को लेकर कि ये मेरी परम्परा, ये तेरी परम्परा- ना बा ना। केवल नजरिए को इंसान बड़ा कर लेगा तो पूरी दुनिया के भगवान एक जैसे हैं। अपनी सोच को हमेशा बड़ी रखो।

ये प्रेरक उद्गार राष्ट्रसंत महोपाध्याय श्रीललितप्रभ सागरजी महाराज ने आउटडोर स्टेडियम बूढ़ापारा में जारी दिव्य सत्संग जीने की कला के अंतर्गत धर्म सप्ताह के सातवें दिन रविवार को ‘1 घंटे में समझें सभी धर्मों के रहस्य’  विषय पर व्यक्त किए। चंदन है इस देश की माटी तपोभूमि हर गाँव है, हर बाला देवी की प्रतिमा बच्चा-बच्चा राम है...इस प्रेरक भाव गीत से दिव्य सत्संग का शुभारंभ करते हुए संतप्रवर ने कहा कि हम सूरज बनकर दुनिया का अंधेरा नहीं मिटा सकते पर दीपक बनकर जरूर अपने आसपास का अंधेरा तो मिटा ही सकते हैं। दुनिया में जिंदगी जीने के दो ही रास्ते हैं- एक भलाई का रास्ता और एक बुराई का। दुनिया बड़ी गजब की है, पशु अपने पूरे जीवनभर पशु ही रहता है, देवता अपने पूरे जीवन में देवता ही रहता है, पर एक इंसान के पास दो विकल्प हैं।
 
वह चाहे तो पशु भी बन सकता है और चाहे तो मनुष्य जीवन में देवता भी बन सकता है। सुबह उठकर अपने-आपसे पूछ लिया करो, हे जीव आज तू क्या जिंदगी जीना चाहता है, सुखीराम बनना चाहता है या दुखीराम। अगर सुखीराम बनना है तो भलाई का रास्ता ले लो। जिंदगी में जब जो हो रहा है, उस घटना के लिए आह-आह कहने की बजाय वाह-वाह कहने का आनंद उठाओ। जब आप कहेंगे आह जिंदगी तो जिंदगी भारी हो जाएगी, आह जिंदगी कहेंगे तो जिंदगी आनंद से भर जाएगी। जीवन के हरपल को जो व्यक्ति वाह-वाह कहकर जीवन का आनंद लिया करता है, वही दुनिया का सबसे सुखी आदमी है।
 
मुसीबतें तो सबके जीवन में आती हैं, पर मुसीबत से पार वही पाता है जो मुसीबत में भी मुस्कुराना जान लेता है। तस्वीर में तो कर कोई मुस्कुराता है, पर जीवन की बाजी वही जीतता है जो तकलीफ में भी मुस्कुराना जानता है। जीवनभर मेरी यह बात याद रखना- अपने वे नहीं होते जो तस्वीरों में साथ होते हैं, अपने वे होते हैं जो तकलीफ में हमारे साथ खड़े होते हैं।

संतश्री ने आगे कहा कि हर आदमी की जिंदगी में हर इंसान से जुड़ी दो यादें होती हैं- कुछ अच्छी यादें और कुछ बुरी यादें। जब श्वांस बाहर छोड़ो तो अपनी बुरी यादों को बाहर निकाला करो और जब श्वांस भीतर लो तो अपनी अच्छी यादों को भीतर में प्रवेश दिया करो। जिंदगी को आनंदभरी जीने का यह सबसे सरल तरीका है। निर्भार होने का, हल्का होने का तरीका भी यही है। छोटी सोच के लोग जिंदगी में कभी ऊंचाइयों को हासिल नहीं कर पाते, छोटी सोच के लोग जिंदगी में कभी बढ़ोत्तरी व निर्माण नहीं कर पाते। दुनिया में यदि कोई हिमालय से भी ऊंचा है तो वो जिसकी सोच बड़ी है वही आदमी ऊंचा है।

जीवन को सुखी सफल बनाने ये हैं मंत्र
संतप्रवर ने कहा कि जीवन को सुखी बनाने का पहला सिद्धांत या मंत्र है- अपनी सोच को हमेशा बड़ा रखो। हमारे दु:ख हमारे हालात ने नहीं पैदा किए हैं। अपने नजरिए को हमेशा बड़ा और सकारात्मक रखो। जैसा आदमी का नजरिया होता है-वैसा ही उसे नजारा दिखता है। दूसरा सिद्धांत है- अपने स्वभाव को हमेशा सॉफ्ट यानि उत्तम-मधुर व सरल बनाए रखें। जीवन को सफल-सार्थक बनाने के लिए तीन बातों को हमेशा के लिए अपना लो, पॉजीटिव माइंड, पॉवरफुल माइंड और पीसफुल माइंड। जिसके पास ये तीन चीजें होती हैं वह दुनिया का राजा आदमी होता है। तीसरा सिद्धांत है- अपने-अपने पारिवारिक दायित्व को जरूर निभाएं। चौथा है- जीवन में हमेशा अच्छाई के, भलाई के रास्ते पर चलें। और पांचवा सिद्धांत है- दुनिया के हर धर्म परम्परा का सम्मान करें।

जिंदगी छह तार के गिटार की तरह है। उसके हर तार को संतुलित रखना पड़ता है। जीवन की गिटार का पहला तार है- हमारा शरीर, दूसरा तार है- हमारा मन, तीसरा तार है- हमारा अध्यात्म, चौथा तार है- हमारा परिवार, पांचवा तार है- हमारा व्यवसाय और जीवन की गिटार का छठवां तार है- हमारा समाज। हमारा समाज। अपने शरीर, मन यानी अंतरात्मा को हमेशा संतुलित रखो, अपने व्यवसाय के साथ साथ अपने परिवार, समाज के लिए भी समय दो।

अतिथियों को भेंट में मिले ज्ञान पुष्प
श्रीऋषभदेव मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष विजय कांकरिया, ट्रस्टीगण तिलोकचंद बरड़िया, राजेंद्र गोलछा व उज्जवल झाबक ने संयुक्त जानकारी देते बताया कि आज दिव्य सत्संग का शुभारंभ अतिथिगण शदाणी दरबार के पीठाधीश संत युधिष्ठिरलालजी, विधायक बृजमोहन अग्रवाल सपत्नीक, बंटी ग्वाला, अमर शदाणी, तुषार चोपड़ा, श्रीऋषभदेव मंदिर ट्रस्ट के कार्यकारी अध्यक्ष अभय भंसाली, शांतिलाल बरड़िया द्वारा ज्ञान का दीप प्रज्जवलित कर किया गया। 
 
अतिथियों को श्रद्धेय संतश्री के हस्ते ज्ञानपुष्प स्वरूप धार्मिक साहित्य भेंट किये गये। आज रविवार की धर्मसभा में सभी श्रद्धालुओें को राष्टÑसंत श्रीचंद्रप्रभजी रचित किताब हैप्पी शॉट्स प्रदान की गई, जिसके लाभार्थी मनोज कोठारी, संभव-श्रेया, सेजल, श्रेयांश कोठारी परिवार का मंदिर ट्रस्ट एवं दिव्य चातुर्मास समिति की ओर से अभिनंदन किया गया। अतिथि सत्कार दिव्य चातुर्मास समिति के अध्यक्ष तिलोकचंद बरड़िया, विमल गोलछा, मनोज कोठारी व कमल भंसाली द्वारा किया गया। सूचना सत्र का संचालन चातुर्मास समिति के महासचिव पारस पारख ने किया।

संभव व जागृति महिला मंडल ने जगाई भक्ति की अलख
डॉ. मुनिश्री शांतिप्रियसागरजी के प्रवचन उपरांत आज रविवारीय धर्मसभा में राष्टÑध्वज तिरंग के तीन रंगों का परिधान पहने हुए संभव महिला मंडल एवं जागृति महिला मंडल की सदस्यों द्वारा भक्ति गीत- हर परिसह हम सहेंगे एक होने के लिए...की मनोरम समूह प्रस्तुति दी गई।

21 दिवसीय दादा गुरूदेव इकतीसा पाठ आज से प्रतिमा, कलश व अखंड दीप स्थापना का मिला लाभ
श्रीजिनकुशल सूरि जैन दादाबाड़ी में राष्टÑसंतों की पावन निश्रा में 15 अगस्त से 4 सितम्बर तक आयोजित किए जा रहे 21 दिवसीय दादा गुरुदेव इक्तीसा पाठ के लिए दादा गुरूदेव की प्रतिमा स्थापना, मंगल कलश एवं अखंड ज्योति स्थापना के लिए श्रद्धालुओं द्वारा चढ़ावे बोले गए। वरिष्ठ सुश्रावक सुपारसचंद गोलछा के संचालकत्व में श्रद्धालुओं ने बढ़-चढ़कर चढ़ावे बोले। प्रतिमा स्थापना का लाभ संजय नामदेव देशमुख परिवार ने, मंगल कलश का लाभ प्रेमचंद भंडारी कोंडागांव-रायपुर परिवार ने एवं अखंड ज्योति स्थापना का लाभ हरीशचदंजी मनीषचंदजी डागा परिवार ने प्राप्त किया।

तपस्वी का हुआ बहुमान, चार हजार तिरंगे वितरित
श्रीऋषभदेव मंदिर ट्रस्ट एवं श्रीदिव्य चातुर्मास समिति की ओर से आज धर्मसभा में 28 उपवास के तपस्वी वैराग्यसागरजी महाराज साहब के सांसारिक पुत्र श्रेयांश चोपड़ा का बहुमान किया गया। विधायक बृजमोहन अग्रवाल के सौजन्य से धर्मसभा में उपस्थित श्रद्धालुओं को लगभग चार तिरंगों का वितरण किया गया।

आज लहराएगा 75 फुट का विशाल राष्टÑध्वज तिरंगा ‘देश के प्रति हमारे दायित्व’ विषय पर होगा प्रवचन
दिव्य चातुर्मास समिति के अध्यक्ष तिलोकचंद बरड़िया, महासचिव पारस पारख व प्रशांत तालेड़ा, कोषाध्यक्ष अमित मुणोत ने बताया कि कल सोमवार को स्वतंत्रता दिवस आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर राष्टÑसंतों और हजारों श्रद्धालुओं की उपस्थिति में 75 फुट का विशाल तिरंगा फहराकर राष्टÑध्वज का वंदन-अभिनंदन किया जाएगा।

 
सोमवार, 15 अगस्त को दिव्य सत्संग के अंतर्गत अध्यात्म सप्ताह के प्रथम दिवस एवं स्वाधीनता दिवस के अवसर पर ‘देश के प्रति हमारे दायित्व’ विषय पर प्रेरक प्रवचन होगा। अक्षय निधि, समवशरण, विजय कसाय, तप 16 अगस्त से प्रारंभ होंगे। इन तपों की आराधना दादाबाड़ी में ही रहेगी। श्रीऋषभदेव मंदिर ट्रस्ट एवं दिव्य चातुर्मास समिति ने श्रद्धालुओं को चातुर्मास के सभी कार्यक्रमों व प्रवचन माला में भाग लेने का अनुरोध किया है।

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