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नवाज़ शरीफ़ पाकिस्तान लौटे तो क्या उनके भाई की सरकार करेगी उन्हें गिरफ़्तार?
19-Aug-2022 5:51 PM
नवाज़ शरीफ़ पाकिस्तान लौटे तो क्या उनके भाई की सरकार करेगी उन्हें गिरफ़्तार?

-आज़म ख़ान

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ की लंदन से वापसी की ख़बर एक बार फिर चर्चा में है. पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज़) के नेता और संघीय मंत्री जावेद लतीफ़ ने हाल ही में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में घोषणा की है कि नवाज़ शरीफ़ अगले महीने यानी सितंबर में पाकिस्तान वापस लौट रहे हैं.

ध्यान रहे कि पूर्व प्रधानमंत्री साल 2019 में इलाज के लिए ब्रिटेन चले गए थे और पनामा रेफ़रेंसेज़ में अदालत कि तरफ़ से दी गई चार हफ़्ते की अवधि के भीतर वापस नहीं आए थे. उसके बाद उनके ख़िलाफ़ ग़ैर-ज़मानती गिरफ़्तारी वारंट जारी कर दिया गया था.

अब ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या नवाज़ शरीफ़ वापस आकर राजनीतिक गतिविधियों में हिस्सा ले सकेंगे या पहले उन्हें क़ानूनी लड़ाई का सामना करना पड़ेगा.

पूर्व में उनके वकील रहे ख़्वाजा नवेद ने इसका बहुत ही आसान-सा जवाब दिया है कि ऐसे हालात में एक आम अभियुक्त को एयरपोर्ट से ही गिरफ़्तार कर लिया जाता है. ख़्वाजा नवेद परवेज़ मुशर्रफ़ द्वारा किए गए विमान हाईजैकिंग मुक़दमे में भी नवाज़ शरीफ़ के वकील रह चुके हैं.

ख़्वाजा नवेद के मुताबिक़, ''नवाज़ शरीफ़ फ़िलहाल एक सज़ायाफ़्ता राजनीतिक नेता हैं और उन्हें फ़रार भी घोषित किया जा चुका है. ऐसे में अब उन्हें पाकिस्तान वापस लौटने पर गिरफ़्तारी से बचने के लिए अग्रिम ज़मानत लेनी होगी.''

ख़्वाजा के मुताबिक़, अगर नवाज़ शरीफ़ अग्रिम ज़मानत नहीं लेते हैं तो एयरपोर्ट पर उतरने के बाद एफ़आईए उनके पासपोर्ट पर मुहर लगाने के बाद गिरफ़्तार कर लेगी. ख़्वाजा बताते हैं कि हाल ही में उन्होंने अग्रिम ज़मानत के ज़रिए अपने एक मुवक्किल हबीब जान की ब्रिटेन से पाकिस्तान वापसी संभव बनाई है.

लाहौर हाई कोर्ट बार की वकील सबाहत रिज़वी ने बीबीसी को बताया कि पाकिस्तान में राजनीतिक नेताओं के लिए पहले से ऐसा माहौल तैयार किया जाता है, ताकि न केवल उनकी वापसी संभव हो सके बल्कि वे राजनीतिक गतिविधियों में आसानी से हिस्सा ले सकें. उनके अनुसार, किसी भी आम अभियुक्त की तरह, क़ानून के तहत नवाज़ शरीफ़ को अदालत के सामने आत्मसमर्पण करना पड़ेगा और फिर एक लंबी क़ानूनी लड़ाई लड़नी होगी और हर बार पेशी पर आना होगा.

ख़्वाजा नवेद के मुताबिक़, नवाज़ शरीफ़ को जो सज़ा हुई थी वह निलंबित कर दी गई थी और फिर वह अदालत की इजाज़त लेकर पाकिस्तान से बाहर गए थे. हालांकि, उनके अनुसार अब वह लंबे समय तक बाहर रहने का कारण बताएंगे और अदालत को संतुष्ट करेंगे कि वह स्वास्थ्य समस्याओं के कारण दी गई अवधि के भीतर पाकिस्तान वापस क्यों नहीं आ सके.

रावलपिंडी बार की वकील फ़राह नाज़ का कहना है कि नवाज़ शरीफ़ एक क़ानूनी प्लान के साथ ही बाहर गए थे और अब वापस भी उन्हें एक क़ानूनी प्लान बनाकर ही आना होगा.

हालांकि, उनके अनुसार, इस समय पाकिस्तान में जिस तरह के हालात हैं शायद ऐसे में उनके लिए जल्द वापसी संभव न हो, क्योंकि जिन जजों ने उन्हें आजीवन अयोग्य घोषित किया था उनका निर्णय अभी भी प्रभावी है.

फ़राह नाज़ के मुताबिक़, नवाज़ शरीफ़ के लिए क़ानूनी तौर पर लंबे समय तक ब्रिटेन में रहने का कोई औचित्य नहीं है, यही वजह है कि अब उनके पाकिस्तान में वापस लौटने के प्लान पर चर्चा हो रही है.

ग़ौरतलब है कि तहरीक-ए-इंसाफ़ के कुछ नेताओं ने यह भी दावा किया है कि सितंबर में नवाज़ शरीफ़ के ब्रिटेन में रहने की क़ानूनी अवधि नहीं बढ़ाई जा रही है, इसलिए वे अब पाकिस्तान लौटने की योजना बना रहे हैं.

फ़राह नाज़ के मुताबिक़, नवाज़ शरीफ़ को क़ानून के साथ-साथ राजनीतिक चुनौतियों का भी सामना करना पड़ रहा है. उनकी राय में अब नवाज़ शरीफ़ के पास पाकिस्तान की राजनीति में हिस्सा लेने की वह योग्यता और प्रतिष्ठा नहीं है, जो अब इमरान ख़ान हासिल कर चुके हैं.

उनके मुताबिक़, पंजाब में हुए उपचुनाव में अहम सफलता हासिल करने के बाद इमरान ख़ान की पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ़ ने पाकिस्तान के सबसे बड़े प्रांत में सरकार बना ली है.

क्या फिर से राजनीति में हिस्सा ले पाएंगे नवाज़ शरीफ़
वकील कौसर डाहा और शाइस्ता तबस्सुम के मुताबिक़, जब कोर्ट से मेरिट के आधार पर राहत मिल जाती है तो फिर कोई भी राजनीतिक नेता पाकिस्तान की राजनीति में हिस्सा लेने के योग्य हो जाता है. उनके मुताबिक़ इसका ताज़ा उदाहरण ख़ुद पूर्व प्रधानमंत्री की बेटी मरियम नवाज़ हैं, जिनके ख़िलाफ़ न केवल कोर्ट के फ़ैसले आए हैं बल्कि जेल भी हुई है, लेकिन अब वह ज़मानत पर होने के बावजूद राजनीति में पूरी तरह से सक्रिय हैं.

सबाहत रिजवी बताती हैं कि पाकिस्तान में कई नई क़ानूनी परंपराएं भी देखने को मिलती हैं, ऐसे फ़ैसले भी आते हैं जिन्हें एक नया उदाहरण कहा जाता है. उनके मुताबिक़, जिस तरफ़ सियासी हवाओं का रुख़ होगा, क़ानून भी अपना रास्ता उसी दिशा में बना लेगा.

शाइस्ता तबस्सुम के मुताबिक़, नवाज़ शरीफ़ कोर्ट की इजाज़त से बाहर गए थे. अब वापसी पर उन्हें सबसे पहले गिरफ़्तारी वारंट रद्द कराने होंगे और फिर ज़मानत के बॉन्ड जमा कराने होंगे. उनके मुताबिक़, पूर्व प्रधानमंत्री की ज़मानत मेरिट के आधार पर पहले ही हो चुकी है.

कौसर डाहा के मुताबिक़, पाकिस्तान में इस समय नवाज़ शरीफ़ के प्रति सहानुभूति है और अगर वापस आने पर उन्हें जेल जाना पड़ा तो यह उनके लिए राजनीतिक रूप से फ़ायदेमंद होगा.

याद रहे कि नवाज़ शरीफ़ के बाहर जाने से पहले मौजूदा प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने हलफ़नामा दिया था कि उनके भाई और पूर्व प्रधानमंत्री चार हफ़्ते के अंदर पाकिस्तान वापस लौट आएंगे. हालांकि, जब नवाज़ शरीफ़ वापस नहीं लौटे तो तत्कालीन तहरीक-ए-इंसाफ़ सरकार ने ब्रिटेन से उनके प्रत्यर्पण की मांग की थी.

क़ानूनी जानकारों के मुताबिक़, चूंकि पाकिस्तान का ब्रिटेन के साथ ऐसा कोई समझौता नहीं है, इसलिए यही वजह है कि इमरान ख़ान की सरकार नवाज़ शरीफ़ को वापस लाने में कामयाब नहीं हो पाई.

मियां नवाज़ शरीफ़ को विदेश भेजे जाने पर उनकी वापसी के संबंध में शहबाज़ शरीफ़ ने लाहौर हाई कोर्ट में जो हलफ़नामा दिया था. उसमें कहा गया था कि उनके बड़े भाई मियां नवाज़ शरीफ़ चार हफ़्ते के लिए इलाज कराने विदेश जा रहे हैं और अगर इस दौरान नवाज़ शरीफ़ का स्वास्थ्य ठीक हो गया और डॉक्टरों ने उन्हें पाकिस्तान आने की इजाज़त दे दी, तो वह वापस लौट आएंगे.

इसके अलावा इस हलफ़नामे में यह भी कहा गया है कि इस अवधि के दौरान लंदन हाई कमीशन से सत्यापन करवाने के बाद मियां नवाज़ शरीफ़ की मेडिकल रिपोर्ट हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार को भेजी जाएगी.

मियां शहबाज़ शरीफ़ की ओर से लाहौर हाई कोर्ट में दिए गए इस हलफ़नामे में यह भी कहा गया था कि 'अगर कभी संघीय सरकार के पास इस बात की सूचना हो कि मियां नवाज़ शरीफ़ स्वस्थ होने के बावजूद लंदन में रह रहे हैं, तो ब्रिटेन में स्थित पाकिस्तान हाई कमीशन का कोई अधिकारी मियां नवाज़ शरीफ़ के डॉक्टर से मिल कर उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ले सकता है.'

उस समय मियां शहबाज़ शरीफ़ के अलावा मियां नवाज़ शरीफ़ का भी हलफ़नामा अदालत में पेश किया गया था जिसमें उन्होंने कहा था कि वह अपने भाई कि तरफ़ से दिए गए हलफ़नामे का पालन करने के लिए बाध्य हैं. (bbc.com)

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