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ऋषि सुनक: भारतीय मूल का व्यक्ति कैसे पहुंचा ब्रितानी पीएम की रेस में
24-Aug-2022 10:01 PM
ऋषि सुनक: भारतीय मूल का व्यक्ति कैसे पहुंचा ब्रितानी पीएम की रेस में

-ज़ुबैर अहमद

चाहे मॉरीशस हो, गुयाना, आयरलैंड, पुर्तगाल या फिजी, भारतीय मूल के नेताओं की एक लंबी सूची है जो इन जैसे कई देशों के या तो प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति रह चुके हैं.

दुनिया में भारत के अलावा कोई ऐसा देश नहीं है जिसके मूल के लोग 30 से अधिक देशों पर या तो राज करते हैं या कर चुके हैं.

42 वर्षीय ऋषि सुनक का नाम इस सूची में जुड़ सकता है अगर वह ब्रिटेन के अगले प्रधानमंत्री बनने की दौड़ में कामयाब होते हैं. नतीजे पांच सितंबर को आएंगे.

उनकी प्रतिद्वंद्वी लिज़ ट्रस हैं जो विभिन्न सर्वेक्षणों के मुताबिक़ प्रधानमंत्री की दौड़ में उनसे आगे चल रही हैं. दोनों लीडरों में से एक को उनकी कंज़र्वेटिव पार्टी के 160,000 सदस्य वोट देकर चुन रहे हैं. पार्टी में लिज़ ट्रस अधिक प्रभाव रखती हैं लेकिन देश भर में ऋषि सुनक की लोकप्रियता लिज़ ट्रस से कहीं अधिक महसूस होती है.

इस रेस का नतीजा जो भी हो लेकिन इसमें कोई शक नहीं कि भारतीय मूल के ऋषि सुनक का ब्रिटेन की राजनीति में बहुत तेज़ी से उदय हुआ है. उन्होंने 2015 में, 35 साल की उम्र में, पहली बार संसद का चुनाव जीता. केवल सात वर्षों में वो आज प्रधानमंत्री बनने की दौड़ में शामिल हैं. अगर वो इसमें कामयाब हुए तो वो ब्रिटेन के पहले भारतीय मूल के और काली नस्ल के प्रधानमंत्री होंगे.

विपक्षी लेबर पार्टी के सांसद 75 साल के वीरेंद्र शर्मा, ऋषि सुनक को अच्छी तरह जानते हैं.

दोनों भारतीय मूल के सांसद भी हैं और दोनों की तारें पंजाब से जुड़ती हैं. ऋषि के बारे में वो कहते हैं, "आज हम इस स्तर पर आ गए हैं कि यहाँ कि जो कम्युनिटीज़ हैं, यहाँ का जो राजनीतिक हालात हैं, समाज है, उसका हिस्सा बन गये. तो आज आर्थिक रूप से जो डायसपोरा (भारतीय मूल के) की एक पॉवर बनी हैं, अभी राजनीति में हमारे लगभग 40 के करीब एशियाई और काली नस्ल के सांसद हैं."

कई विशेषज्ञ कहते हैं कि ऋषि का प्रधानमंत्री बनना एक ऐतिहासिक क्षण होगा, ठीक उसी तरह से जिस तरह अमेरिका में 2008 में बराक ओबामा के राष्ट्रपति चुने जाने के समय हुआ था. ऋषि सुनक से पहले भी दक्षिण एशिया के मूल के नेता बड़े पदों पर आए हैं. वो मंत्री भी बने हैं और मेयर भी, जैसे कि प्रीति पटेल इस देश की गृहमंत्री हैं और सादिक़ खान लंदन के मेयर हैं.

लेकिन प्रधानमंत्री के पद का दावेदार अब तक कोई नहीं हुआ है. राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार ऋषि का उदय एशियाई समुदायों की कामयाबी से जुड़ा है. उनका कहना है कि ब्रिटेन के समाज में विविधता भी ऋषि जैसे नेताओं के उदय ही है.

डॉक्टर नीलम रैना मिडिलसेक्स यूनिवर्सिटी में पढ़ाती हैं. वो कहती हैं, "ऐतिहासिक तो होगा क्योंकि भारत की तुलना में यहाँ संसद में धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यक समुदायों का प्रतिनिधत्व कहीं ज़्यादा है. लेकिन ऐतिहासिक इसलिए होगा क्योंकि उनकी नस्ली पहचान अलग है."

ऋषि भारतीय मूल की तीसरी पीढ़ी हैं. उनके दादा-दादी ने भारत के विभाजन से पहले ही पाकिस्तानी पंजाब के गुजरांवाला शहर से ईस्ट अफ्रीका के लिए पलायन किया था. वो बहुत सालों बाद इंग्लैंड के सॉउथैंप्टन शहर आकर बस गए थे जहाँ 1980 में ऋषि सुनक का जन्म हुआ. इसी शहर में वो पले-बढ़े.

ब्रिटेन के सबसे अमीरों में गिनती
ब्रिटेन में आम धारणा यह है कि ऋषि सुनक बहुत ही अमीर हैं, जो आम लोगों से उनके फ़ासले का मुख्य कारण बन गया है. हाल के एक सर्वे के अनुसार ब्रिटेन के 250 सबसे अमीर परिवारों में उनकी गिनती होती है. लेकिन क्या वो पैदाइशी अमीर थे?

इसकी जानकारी तो सॉउथैंप्टन में ही मिल सकती थी जहाँ उनकी पैदाइश के बाद उनका बचपन गुज़रा. हम वहां ऐसे कई लोगों से मिले जो उन्हें बचपन से जानते थे और आज भी उनसे उनका संपर्क है.

वैदिक सोसाइटी टेम्पल साउथैंप्टन में हिन्दू समुदाय का एक विशाल मंदिर है जिसके संस्थापकों में ऋषि सुनक के परिवार के लोग भी शामिल हैं. उनका बचपन इसी मंदिर के इर्द-गिर्द गुज़रा जहाँ उन्होंने हिन्दू धर्म की शिक्षा प्राप्त की. 75 वर्षीय नरेश सोनचाटला, ऋषि सुनक को बचपन से जानते हैं. वो कहते हैं, "ऋषि सुनक जब छोटा बच्चा था तब से मंदिर आया करता था, उनके माता-पिता और दादा-दादी के साथ".

संजय चंदाराणा कॉर्पोरेट जगत के एक अहम पद हैं. साथ ही वो वैदिक सोसाइटी हिंदू मंदिर के अध्यक्ष भी हैं. वो ऋषि से हाल में ही मिले जब पिछले महीने वो मंदिर आये थे. मंदिर में वो समुदाय के सभी लोगों से मिले.

उस भेंट को याद करते हुए संजय कहते हैं, "वो रोटियां बना रहे थे, गोल बन रही थी, तो मैंने उनसे पूछा कि घर पर आप ही खाना बनाते हो? तो उसके जवाब में उन्होंने कहा कि हां मुझे अच्छा लगता हैं खाना बनाना. उनसे हमने पूछा कि आप बाल विकास के विद्यार्थी (इस मंदिर में) हैं तो यहां के बच्चों से मिलना चाहेंगे, तो उन्होंने कहा हां मिलना चाहूंगा और वो वहां पर गए."

उनके पिता यशवीर सुनक डॉक्टर हैं और माता उषा सुनक हाल तक एक केमिस्ट की दुकान चलाती थीं. वो अब भी इसी शहर में रहते हैं. ऋषि इसी तरह के साधारण, धार्मिक हिन्दू धर्म का पालन करने वाले लोगों में से हैं. परिवार में पढ़ाई और करियर पर ज़ोर ज़्यादा अधिक है. इसी लिए उनके पिता ने उन्हें एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ाया.

वित्त मंत्री के तौर पर कैसा था काम
अपनी वेबसाइट में वो लिखते हैं, "मेरे माता-पिता ने बहुत त्याग किया ताकि मैं अच्छे स्कूलों में जा सकूं. मैं भाग्यशाली था कि मुझे विनचेस्टर कॉलेज, ऑक्सफ़र्ड विश्वविद्यालय और स्टैनफ़र्ड विश्वविद्यालय में अध्ययन करने का मौक़ा मिला."

ऋषि ने इनफ़ोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति की बेटी अक्षता मूर्ति से 2009 में बेंगलुरु में शादी की. अब इनके दो बच्चे भी हैं. कहा जाता है कि उनकी घोषित 730 मिलियन पाउंड की संपत्ति की अधिकतर की मालिक उनकी पत्नी हैं. ऋषि सेल्फ़-मेड हैं, वो अपनी वेबसाइट में कहते हैं: "मैं एक सफल व्यावसायिक करियर का आनंद लेने के लिए भाग्यशाली रहा हूं. मैंने एक बड़ी निवेश फर्म की सह-स्थापना की, जो सिलिकॉन वैली से लेकर बैंगलुरु तक की कंपनियों के साथ काम कर रही है."

ऋषि सुनक, कोरोना महामारी से ठीक पहले देश के वित्त मंत्री बने. ये उनके लिए एक बड़ी उपलब्धि थी क्योंकि ब्रिटेन में प्रधानमंत्री के पद के बाद वित्त मंत्री का पद दूसरा सब से बड़ा पद माना जाता है. इस पद पर उन्होंने ने काफ़ी अच्छा प्रदर्शन किया जिसके कारण कई लोग उन्हें प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं. विश्लेषक कहते हैं कि अगर ये आम चुनाव होता तो शायद ऋषि प्रधानमंत्री के दौड़ में कामयाब रहते.

वो वित्त मंत्री की हैसियत से देश के दूसरे सबसे बड़े पद पर आसीन रह चुके हैं. विश्लेषकों के अनुसार यहाँ से वो केवल प्रधानमंत्री ही बन सकते हैं, आज नहीं तो 2024 के आम चुनाव में. (bbc.com/hindi)

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