सामान्य ज्ञान
दुनिया में सबसे खूबसूरत जीवों मे शामिल तितलियों की बहुत सी प्रजातियां खतरे में हैं। हाल ही में शोध के ये परिणाम सामने आए हैं। शोधकर्ताओं ने तितलियों की 17 प्रजातियों पर दो दशक तक शोध किया। इस दौरान उन्होंने तितलियों की संख्या, प्रजनन और खाने पर ध्यान दिया। उन्होंने चेतावनी दी कि तितलियां जरूरी हैं क्योंकि वे फूलों के परागण में मदद करती हैं और मधुमक्खियों की तरह कई कीटों का खाना होती हैं।
द कॉमन ब्लू नाम से मशहूर तितली का जूलॉजिकल नाम पोलियोम्मैटस इकैरस है। यह कभी पूरे यूरोप, उत्तरी अफ्रीका और एशिया में मिलती थी। नदी किनारे निचले मैदानों या फिर पहाड़ों के मैदानों में ये पाई जाती हैं। हालांकि ये बहुत अच्छे से खुद को बदलती है, लेकिन ये भी अब खतरे में आ गई हैं। इसका कारण मैदानों का खेतों और घरों में तब्दील हो जाना। घास वाले मैदानों पर खूब जंगली फूल होते हैं। यहां द ऑरेंजटिप, द कॉमन ब्लू और ललवर्थ स्किपर नाम की तितलियां मिलती हैं। ये अलग-अलग पौधों से रस लेती हैं।
कुछ तितलियां मैदान पर बैठती हैं, तो कुछ खुद को बचाने के लिए पत्तों और फूलों के पीछे छिप जाती हैं। बहुत ज्यादा खेती, ताकतवर कीटनाशकों और खाद के इस्तेमाल ने यूरोपीय संघ के कई इलाकों को बहुत जहरीला बना दिया है। तितलियों के गायब होने का असर पक्षियों सहित उन जीवों पर भी पड़ता है जो तितलियां खा कर जिंदा रहते हैं। इस बात के काफी सबूत हैं कि तितलियों की संख्या जब भी कम होती है तो खाद्य श्रृंखला में ऊपर के जीव भी कम होने लगते हैं।
ऑरेंज टिप नाम की तितली को विज्ञान की भाषा में एंथोकैरिस कार्डेमिनेस कहते हैं। इसने खेती में बढ़ोतरी के दौर में खुद को बचा लिया। इस प्रजाति की नर तितली के पंख भडक़ीले रंग के होते हैं। ये जंगली फूलों का रस चूसती हैं और खुला पानी भी पी सकती हैं।
मैदानों में पाई जाने वाली तितलियों की दो प्रजातियों की संख्या थोड़ी बढ़ी है, खासकर यूरोप में। रेड अंडरविंग स्किपर (स्पियालिया सर्टोरियस) और माजारीन ब्लू (सियानिरिस सेमियार्गस) की संख्या बढ़ी है। हालांकि ये भी बहुत ज्यादा खेती से बच नहीं पाएंगी। 20वीं सदी की शुरुआत में माजारीन ब्लू ब्रिटेन के मैदानों से बिलकुल गायब हो गई।