सामान्य ज्ञान
ईलगुली बाग़ को बाग़े मिल्ली भी कहते हैं। यह बाग़ पश्चिमोत्तरी ईरान के तबरीज़ नगर के दक्षिण पूर्वी भाग में स्थित है जो तबरीज़ के केन्द्रीय भाग से सात किलोमीटर दूर है। इस बाग़ में 54 हज़ार 675 वर्गमीटर के क्षेत्रफल पर बना एक विशाल हौज़ है। इस हौज़ का निर्माण पंद्रहवी ईसवी शताब्दी में आक़ क़ूयूनलू शासन श्रंखला के काल में आरंभ हुआ किन्तु इसका विशाल रूप सफ़वी शासन काल में अस्तित्व में आया। यह बाग ईरान की राष्ट्रीय धरोहर में शामिल किया गया है।
क़ाजारी शासन काल में जब अब्बास मीरज़ा के बेटे क़हरमान मीजऱ्ा इस क्षेत्र के शासक थे, इस छह कोणीय हौज़ को दो मंजि़ला बनाया किन्तु उनकी मृत्यु के कारण इस हौज़ में साज-सज्जा का काम अधूरा रह गया। वर्षों बाद 1970 में इस इमारत की मरम्मत की गयी और इस प्रकार यह प्रयोग में आ गयी। ईरान में इस्लामी क्रांति की सफलता के बाद यह हौज़ ईरान के राष्ट्रीय धरोहर में शामिल हो गया। ईल गुली बाग़ में बनी झील में 7 ला, 20 हज़ार घन मीटर पानी की क्षमता है। यही झील अपने भीमकाय आकार के कारण शाह गुली कही जाती थी जिसका अर्थ है विशाल झील किन्तु इस्लामी क्रांति के बाद इसे ईलगुली कहा जाने लगा जिसका अर्थ होता है लोक-झील।
तबरीज़ के चावान गांव के निकट से लिक़वान नदी की गुजऱने वाली एक शाखा में बनाई गयी छोटी नहर से ईलगुली झील में पानी पहुंचता है। यह नहर झील के दक्षिण-पूर्वी छोर पर स्थित है। ईल गुली झील के दक्षिणी भाग में एक ऊंचा टीला है जिस पर जंगल के समान घने पेड़ लगाए गए हैं और कई कृत्रिम झरने के पानी इस टीले से झील में गिरते हैं। झील के दक्षिणी भाग से उसके केन्द्र और ईल गुली महल तक एक सडक़ बनी हुयी है जिसके कारण कुलाह फऱंगी नामक इमारत एक प्रायद्वीप के समान दिखती है।