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पाकिस्तान में बाढ़: नदी के अंदर बने हनीमून होटल की क्यों हो रही चर्चा?
01-Sep-2022 9:54 PM
पाकिस्तान में बाढ़: नदी के अंदर बने हनीमून होटल की क्यों हो रही चर्चा?

-अज़ीज़ुल्लाह ख़ान

"बाढ़ तो थी ही लेकिन पानी के साथ एक बड़ा पत्थर भी आया जिसने होटल की इमारत की नींव हिला दी थी. जिसके बाद इमारत ऊपर से गिर गई लेकिन अभी भी उन्हें उम्मीद है कि होटल की इमारत काफ़ी हद तक बच गई है."

यह कहना है कालाम में स्थित न्यू हनीमून होटल के मालिक हुमायूं शिनवारी का, जिनके होटल के गिरने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था.

यह होटल नदी के अंदर बनाया गया था. यह पहली बार नहीं है जब इस होटल को नुक़सान पहुंचा है, बल्कि 2010 में आई बाढ़ में भी इस होटल की इमारत बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई थी.

स्वात के ऊपरी इलाक़ों कालाम, बहरीन और मदीन में, जहां ऊंचे हरे भरे पहाड़ हैं, एक नदी भी है. इसके किनारे पर बैठकर लोग पानी की तेज़ लहरों का आनंद लेते हैं.

इसीलिए इन इलाक़ों में आप कहीं भी चले जाएं, होटल और मनोरंजन स्थलों के अलावा दुकानें भी नदी के किनारे ही बनी हुई दिखेंगी.

न्यू हनीमून होटल के मालिक हुमायूं शिनवारी ने बीबीसी को बताया कि जो पर्यटक आते हैं वे ऐसे होटल को पसंद करते हैं जो नदी के अंदर हों या कम से कम नदी के क़रीब हों.

हुमायूं शिनवारी ने इस होटल को साल 1992 में बनाया था. उन्होंने बताया, "उस समय किसी ने उन्हें यह नहीं बताया था कि यहां होटल बनाना मना है, उस समय हमें मलाकंड मंडल विकास प्राधिकरण ने परमिट जारी किया था. यह वह समय था जब कालाम में कुछ भी नहीं था, पर्यटन बहुत कम था और मैंने यहां निवेश किया था."

जब उनसे कहा गया कि नदी के अंदर होटल नहीं बना सकते, क्योंकि यह पर्यावरण के ख़िलाफ़ है और पानी के रास्ते में रुकावट डालने से समस्या पैदा हो सकती है, तो उनका कहना था कि इसके लिए उन्होंने सभी क़दम उठाए थे. इस जगह पर नदी का काफ़ी बड़ा क्षेत्र है और उन्होंने इस क्षेत्र में कभी भी इतनी भयंकर बाढ़ आने के बारे में नहीं सुना था.

कितना नुक़सान कितनी तबाही?
बुनियादी तौर पर स्वात के कालाम, बहरीन और मदीन जैसे ऊपरी इलाक़ों में सब कुछ बाढ़ से बह गया है.

बाढ़ के बाद आधिकारिक स्तर पर दो दिन पहले ही आंकड़े जारी किए गए हैं, जिनके अनुसार अकेले स्वात ज़िले में ही पंद्रह लोग मारे गए हैं और पंद्रह घायल हुए हैं, जबकि 84 घर पूरी तरह से तबाह हो गए हैं और 128 घरों को आंशिक रूप से नुक़सान पहुंचा है.

इसमें होटलों का ज़िक्र नहीं है लेकिन अगर केवल बहरीन का ज़िक्र करें जो एक छोटा सा इलाक़ा है, तो यहां नदी के किनारे बने लगभग सभी होटलों, दुकानों और घरों को या तो नुक़सान पहुंचा हैं या वो पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए हैं.

कालाम तक सड़क मार्ग से नहीं पहुंचा जा सकता है, लेकिन वहां से ख़बरें आ रही हैं कि बहरीन से ज़्यादा नुक़सान कालाम में हुआ है. स्वात में 13 बिजली के खंभे और 46 पुल क्षतिग्रस्त हो गए हैं. अनाधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक़, नुक़सान इससे कहीं ज़्यादा हुआ है.

स्वात में भारी तबाही के आसार

स्वात के विभिन्न इलाक़ों में नदियों में जैसे-जैसे पानी का बहाव सामान्य हो रहा है और रास्ते खोले जा रहे हैं, तबाही और नुक़सान का भी पता चल रहा है.

इनमें नदी के किनारे बने लगभग 40 होटल भी प्रभावित हुए हैं, जिनमें से कुछ तो पूरी तरह से तबाह हो गए हैं, जिनके निशान भी दिखाई नहीं दे रहे हैं, जबकि कुछ को आंशिक रूप से नुक़सान पहुंचा है.

बहरीन और स्वात के बीच लगभग 40 किलोमीटर की दूरी है, यह एक पर्यटन स्थल है और यहां आकर लोग नदी के तेज़ बहाव और ख़ूबसूरत नज़ारों का आनंद लेते हैं.

बहरीन में नदी के किनारे जो होटल और दुकानें थीं उनमे से कुछ का तो अब निशान भी बाक़ी नहीं रहा है. वहां या तो सिर्फ़ पत्थर और रेत हैं या फिर तेज़ लहरें हैं. बहरीन के बाहरी इलाक़े पख़्तूनाबाद और झील कॉलोनी में बहुत से घर गिर चुके हैं.

यहां के स्थानीय लोगों का कहना है कि साल 2002 से पहले इस संबंध में कोई क़ानून नहीं था और अगर था भी तो उस पर अमल नहीं किया जा रहा है.

स्थानीय पत्रकार और दैनिक शुमाल स्वात के संपादक ग़ुलाम फ़ारूक़ ने बीबीसी को बताया कि अगर नदी के किनारे बनी इमारतों की जांच की जाए तो स्वात के पास ऊपरी लिंडकाई से कालाम और उससे आगे नदी के किनारे कई अवैध निर्माण हुए हैं, लेकिन कोई पूछने वाला नहीं है.

उन्होंने कहा कि रेवेन्यू रिकॉर्ड 1950 का है और पता नहीं इसमें कितने संशोधन किए गए हैं और इसे कितना इसकी मूल स्थिति में रखा गया है.

होटल मालिकों का कहना है कि उनकी इमारतें नदी से दूर थीं, इस बार बाढ़ का स्तर ही ज़्यादा था, जिस वजह से इतनी तबाही हुई हैं.

बहरीन में एक होटल के मालिक वक़ार अहमद ने बीबीसी को बताया कि उनसे यह कहा जा रहा है कि होटल नदी के अंदर क्यों बनाया था, तो उन्होंने यही जवाब दिया कि "होटल नदी से दूर था."

होटल और दरिया के बीच पार्किंग एरिया था और एक रेस्टोरेंट भी था लेकिन पानी तो होटल की तीसरी मंज़िल तक आ गया था.

स्थानीय लोगों के बीच ये कहा जाता है कि नदी अपने रास्ते में आने वाली रुकावट को ख़ुद ही हटा देती है. पहले भी ऐसा देखने में आया है. जहां अतिक्रमण किया गया था, वह बाढ़ से तबाह हो गया था.

न्यू हनीमून होटल- तबाही के बाद भी निर्माण

न्यू हनीमून होटल को पहली बार नुक़सान नहीं पहुंचा है, बल्कि साल 2010 की बाढ़ में भी यह बुरी तरह प्रभावित हुआ था.

होटल के मालिक हुमायूं शिनवारी ने बताया कि उनका होटल 2010 में तबाह हो गया था, लेकिन उन्होंने सोचा था कि ऐसी बाढ़ फिर कभी नहीं आएगी.

उन्होंने कहा कि पुनर्निर्माण के बाद उन्होंने होटल की सुरक्षा के लिए एक सेफ़्टी वाल भी बनाई थी, लेकिन दो साल पहले प्रशासन ने अतिक्रमण के कारण इसे हटा दिया था. अगर वो सेफ़्टी वाल होती तो शायद आज इतना नुक़सान न होता.

वे ज़्यादा परेशान नहीं थे, बस इसे अल्लाह की मर्ज़ी मानते हैं. उनका कहना था कि उन्होंने इस होटल पर 70 से 80 करोड़ रुपये का निवेश किया था और स्थानीय प्राधिकरण ने इसे फोर स्टार का दर्जा दिया था. न्यू हनीमून होटल उस इलाक़े का बड़ा होटल था जहां विदेशी पर्यटक भी ठहरते थे.

हुमायूं शिनवारी ने बताया कि उनके होटल में कुल 138 कमरे थे और उनके होटल के कर्मचारियों की संख्या 120 तक है.

उन्होंने कहा कि उनके अनुमान के मुताबिक़ होटल 50 से 60 फ़ीसदी ठीक है, इसे ज़्यादा नुक़सान नहीं पहुंचा है.

जब उनसे पूछा गया कि वीडियो से तो ऐसा लगता है कि इसकी नींव हिल गई होगी, तो उन्होंने कहा कि एक बड़ा पत्थर नींव से टकराया था, जिससे नुक़सान हुआ. साथ ही उन्होंने कहा कि "इसकी मरम्मत हो जाएगी और जो नुक़सान पानी से हुआ है, उम्मीद है कि यह बहुत ज़्यादा नहीं होगा."

क़ानून क्या है और कौन ज़िम्मेदार है?

हालाँकि इस बारे में बहुत चर्चा हो रही है और साल 2010 में आई बाढ़ के बाद तो यह समझा जा रहा था, कि अब नदी के किनारे निर्माण की अनुमति नहीं दी जाएगी. लेकिन इसके बावजूद नदी के किनारे धड़ाधड़ निर्माण हो रहा था और प्रांत में पर्यटन को बढ़ावा देने के नाम पर ऐसा लग रहा था कि सब कुछ जायज़ क़रार दिया जा रहा था.

सिंचाई विभाग के अधिकारी मोहम्मद बख़्तियार ने कहा कि मुख्य रूप से इस क्षेत्र के इतिहास में जो बड़ी बाढ़ आई हैं, उनमे से एक बाढ़ साल 1927 में आई थी. वहीं 2010 में जो बाढ़ आई थी उसकी विभीषिका और भी बड़े पैमाने पर थी. जबकि ये जो ताज़ा बाढ़ के हालात है, न केवल ये अब तक के सबसे बड़े पैमाने पर है बल्कि इसमें नुकसान भी सबसे बड़ा ही हुआ है.

उन्होंने बताया कि अगर रेवेन्यू रिकॉर्ड को देखें तो इस नदी का अपना रास्ता 50 से 70 फ़ीट है, जो कालाम और अन्य क्षेत्रों से होकर गुज़रती है, लेकिन इसके अंदर निर्माण के कारण बहुत सी रुकावटें आई हैं.

इस बारे में साल 2002 में क़ानून बनाया गया था जब रिवर प्रोटेक्शन ऑर्डिनेंस जारी किया गया था. यह ऑर्डिनेंस उस समय के मलाकंड डिवीज़न तक लागू था.

बाद में इस ऑर्डिनेंस को 2014 में एक्ट का दर्जा दिया गया था. इसके तहत नदी में या उसके आस पास किसी भी निर्माण के लिए एनओसी लेना ज़रूरी किया गया था.

इसके मुताबिक़ अगर नदी के अंदर या उसके आसपास कोई निर्माण होगा, तो इसे स्वयं गिराने के लिए निर्माणकर्ता को 7 दिन का नोटिस ज़ारी किया जाएगा. अगर निर्माणकर्ता ने उसे नहीं गिराया तो प्रशासन कार्रवाई करेगा.

इसके अलावा इस क़ानून के तहत नदी के 200 फ़ीट के दायरे में कोई निर्माण नहीं किया जाएगा और अगर ऐसा किया जाता है तो कार्रवाई की जाएगी.

बख़्तियार ख़ान ने कहा कि शुरू में इस पर कार्रवाई करने की ज़िम्मेदारी तहसील नगर निगम के अधिकारी को दी गई थी, लेकिन ज़ाहिरी तौर पर इस पर कोई कार्रवाई नहीं हो सकी और निर्माण करने का सिलसिला जारी रहा.

उन्होंने कहा कि साल 2018 में दोबारा संशोधन किए गए और असिस्टेंट कमिश्नर को यह अधिकार दिया गया कि वो नदी के अंदर बनी इमारतों का निरीक्षण करें और अगर कहीं कोई अवैध निर्माण हो रहा है तो उस पर कार्रवाई करें.

यह पूछे जाने पर कि क्या सिंचाई विभाग के अधिकारी इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं कर सकते थे, तो उन्होंने कहा कि सिंचाई विभाग की भूमिका बस इतनी है कि वो बाढ़ के स्तर पर नज़र रखते हैं और यह देखते हैं कि पानी का प्रवाह किस हद तक है.

न्यू हनीमून होटल के मालिक हुमायूं शिनवारी ने कहा कि पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित किया जाता है.

उन्होंने कहा कि तबाही सिर्फ़ होटलों की ही नहीं हुई सरकारी सड़कों की भी हुई है. सरकार को नदी से दूर सड़क बनानी चाहिए थी, जिस पर अरबों रुपये का नुक़सान हुआ है. इसी तरह नदी के पास स्थित अन्य सरकारी संपत्तियों को भी नुक़सान पहुंचा है.

सिंचाई विभाग के अधिकारी बख़्तियार ख़ान ने कहा कि उन्होंने सरकार को एक पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने सुझाव दिया है कि "स्थानीय स्तर पर एक समिति बनाई जाए, जिसमें तहसील कमिटी के अधिकारी जैसे पटवारी, राजस्व विभाग के अधिकारी, सिंचाई विभाग और अन्य संबंधित अधिकारियों को शामिल किया जाए, जो यह तय करें कि पानी ने कहां तक कटाव किया है. उसको चिह्नित करें और इसके अंदर जितना भी निर्माण है उसको हटा दिया जाए और इस क्षेत्र में आगे किसी भी निर्माण की अनुमति न दी जाए."

स्थानीय स्तर पर कहा जा रहा है कि इसमें लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाए और पता लगाया जाए कि क्या नदी की सीमा के अंदर अतिक्रमण किया गया है और क्या प्रशासन या संबंधित अधिकारियों ने इस संबंध में कोई कार्रवाई की है या नहीं. (bbc.com/hindi)

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