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रायपुर, 2 सितंबर। आउटडोर स्टेडियम बूढ़ापारा में बुधवार को राष्ट्रसंत श्रीललितप्रभ सागरजी महाराज साहब की पावन निश्रा में डॉ. मुनिश्री शांतिप्रिय सागरजी महाराज साहब के श्रीमुख से मूल प्राकृत भाषा में कल्पसूत्र के बारसा सूत्र का श्रवण लाभ सैकड़ों श्रद्धालुओं ने प्राप्त किया।
सैकड़ों महिला-पुरुष व बालवृंदों ने आद्योपांत एकाग्रचित्तता से कल्पसूत्र की 1225 गाथाओं का श्रवण किया तो अनेक जिनेश्वर भक्तों ने पूरे समय खड़े होकर आगम श्रवण के अपूर्व पुण्य का लाभ लिया। इस पावन प्रसंग पर पूज्य गुरुदेव ने कहा कि भद्रबाहु स्वामी रचित सूत्र शिरोमणि ‘कल्पसूत्र’ का एक-एक अक्षर मंत्राक्षर है, इसके एकाग्रचित्त होकर श्रवण से ही आत्म विशुद्धि होती है।
सूत्र वांचन से पूर्व भाग्यशाली लाभार्थी रायपुर-बाड़मेर निवासी सुरेश, नरेश कुमार बोहरा परिवार ने पूज्य साध्वीश्री को विधिवत कल्पसूत्र वोहराकर वासक्षेप ग्रहण किया। साथ ही लाभार्थी परिवारों द्वारा पांच ज्ञान की पूजा की गई।
ज्ञान पूजा के परिवार लाभार्थी रहे- मति ज्ञान- देवीचंद, विमला देवी पारख परिवार, श्रुत ज्ञान- चूकीबाई, चन्दनमल, प्रकाशचंद सुराना परिवार, अवधि ज्ञान- पानी बाई, आसकरण भंसाली परिवार, मन:पर्यव ज्ञान- चन्द्रीबाई भंवरलाल कांकरिया परिवार एवं कैवल्य ज्ञान- मोहनलाल, मदनचन्द पारख परिवार। मूल कल्पसूत्र-बारसा के वांचन के दौरान बोहरा परिवार को सबसे पहले चित्र दर्शन का लाभ मिला।
इसके बाद 8 उपवास या उससे अधिक की तपस्या वाले तपस्वियों और उसके बाद 3 उपवास के तपस्वियों को भगवान के जीवन प्रसंगों के चित्रों को दिखाने का लाभ मिला। सूत्र श्रवण के उपरांत बड़ी संख्या में एकत्र श्रद्धालुओं ने जगत के जीवों की रक्षा-दया के लिए और दान के 7 क्षेत्रों के लिए मुक्तहस्त से राशि प्रदान की।
एमजी रोड स्थित जैन दादाबाड़ी में 1 सितम्बर को सुबह 7:30 से सकल जैन समाज के लिए पारणे की व्यवस्था रहेगी। राष्ट्रसंत ललितप्रभ सागरजी ने कहा कि इस प्रसंग पर 3 दिन एवं उससे ज्यादा का उपवास करने वाले सभी तपस्वियों को भोजन वोहराने का लाभ मिलेगा।
दिव्य चातुर्मास समिति के अध्यक्ष तिलोकचंद बरडिय़ा ने बताया कि राष्ट:संत गुरुदेव के रायपुर में हुए प्रवचन का टीवी में प्रसारण गुरुवार से पारस चैनल में सुबह 8:40 से शुरू होगा। साथ ही यूट्यूब में ललितप्रभ चैनल पर भी प्रवचन की श्रृंखला अपलोड की जा चुकी है। इसके अलावा सांग्स ऑफ सम्बोधि नाम के चैनल में भजन अपलोड किए गए है।
साथ ही नरेंद्र पारख ने ललितप्रभ-चन्द्रप्रभ जी की सम्बोधि धाम से आगामी 11 किताबों के प्रकाशन का लाभ लिया है।