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कलिंगा में शिक्षकों के लिए समग्र विज्ञान शिक्षण पर एकदिवसीय कार्यशाला
06-Sep-2022 2:26 PM
कलिंगा में शिक्षकों के लिए समग्र विज्ञान शिक्षण पर एकदिवसीय कार्यशाला

रायपुर, 6 सितंबर। कलिंगा विश्वविद्यालय मध्य भारत का एक प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थान है। यहाँ पर वैश्विक मापदंड के अनुरूप उच्च गुणवत्तापूर्ण और बहु-विषयक अनुसंधान केंद्रित शिक्षा प्रदान करने के साथ-साथ अपनी सामाजिक जिम्मेदारी का भी निर्वाह किया जाता है।

इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए कलिंगा विश्वविद्यालय के आंतरिक गुणवत्ता प्रकोष्ठ एवं आईईईई छात्र शाखा के द्वारा ग्रामीण क्षेत्र में स्थित विद्यालय के शिक्षकों के लिए विज्ञान विषय के समग्र शिक्षण के लिए एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें अभनपुर विकासखंड के विभिन्न शासकीय विद्यालय के 49 शिक्षक सम्मिलित हुए।

विदित हो कि कार्यशाला का शुभारंभ कलिंगा विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.आर.श्रीधर, महानिर्देशक डॉ. बैजू जॉन, आंतरिक गुणवत्ता प्रकोष्ठ की प्रभारी  डॉ. विजयलक्ष्मी बिरादर एवं आईईईई छात्र शाखा और मुख्य अतिथि के रुप में उपस्थित अभनपुर ब्लॉक के विकासखंड शिक्षा अधिकारी श्री एम. मिंज की उपस्थिति में विद्या और ज्ञान की देवी माँ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन के साथ किया गया।

कलिंगा विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. आर. श्रीधर ने कार्यशाला में उपस्थित शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा कि विज्ञान किसी भी देश की प्रगति का आधार होता है। किसी भी राष्ट्र की समृद्धि उसकी विज्ञान और प्रौद्योगिकी की समृद्धि पर आधारित होती है।

उन्होंने कहा कि इस कार्यशाला का मूल लक्ष्य प्रतिभागियों को वैज्ञानिक अवधारणाओं का अनुभव करने के लिए और छात्रों की सक्रिय भागीदारी के लिए विज्ञान में नवीन शिक्षण विधियों से अवगत कराना है। उन्होंने शिक्षकों को अपने पाठों को अधिक रोचक और सरल बनाने के तरीकों पर बहुमूल्य सुझाव दिए। उन्होंने शिक्षा की नई चुनौतियों को समझने और इन चुनौतियों से निपटने के लिए शिक्षकों को लैस करने के लिए विज्ञान शिक्षण में अध्यापन की नयी तकनीकों पर भी विस्तार से बताया।
इस कार्यशाला के आयोजन के महत्व पर चर्चा करते हुए कलिंगा विश्वविद्यालय के महानिर्देशक डॉ. बैजू जॉन ने कहा कि आमतौर पर शिक्षक अवधारणाओं को समझाने में खुद को पाठ्य पुस्तकों तक सीमित रखते हैं।

 इस कार्यशाला को पाठ्य पुस्तकों से परे जाकर डिजाइन किया गया है। जिसका उपयोग करके विज्ञान शिक्षण की नयी अवधारणाओं को समझने- समझाने, जिज्ञासा को प्रोत्साहित करने और प्रयोग एवं अनुभवात्मक ज्ञान सीखने को बढ़ावा देने के लिए एक उपकरण के रूप में किया जा सकता है।

इस प्रशिक्षण के बाद  इस कार्यशाला में उपस्थित शिक्षक शासन और विश्वविद्याल के उद्देश्यों को गंभीरता से सीखकर, अपने स्कूल में अमल करेंगे, तो निश्चित ही स्कूली बच्चों को इसका भरपूर लाभ मिलेगा।

कार्यशाला के प्रथम चरण में आंतरिक गुणवत्ता प्रकोष्ठ के समन्वयक श्री अनूप कुमार जेना एवं श्री शरतचंद्र मोहंती के द्वारा शिक्षक एवं आईईई स्वयंसेवकों के के बीच नेटवर्किंग सत्र और समूह निर्माण कर विभिन्न टास्क दिया गया। इसके उपरांत इस कार्यशाला की प्रोजेक्ट लीडर और मेंटर डॉ. विजयलक्ष्मी बिरादर ने वीडियो प्रेजेंटेशन के माध्यम से विभिन्न महत्वपूर्ण बिंदुओं पर प्रकाश डाला और लेसन प्लान बनाने का प्रशिक्षण दिया।

कलिंगा विश्वविद्यालय के आंतरिक गुणवत्ता प्रकोष्ठ की प्रभारी डॉ. विजयलक्ष्मी ने उपलब्ध संसाधनों की मदद से विज्ञान के मूलभूत सिद्धांतों को प्रभावी तरीके से कैसे अध्यापन करे ? और विभिन्न वैज्ञानिक अवधारणाओं को समझने के लिए हेंडस आन एक्टिविटी के महत्व पर प्रकाश डाला। इसके अतिरिक्त कार्यक्रम में समस्या समाधान के लिए विभिन्न अभ्यास सत्र और पहेली प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। कार्यशाला के समापन के अवसर पर विभिन्न प्रतियोगिताओं में अव्वल स्थान प्राप्त करने वाले प्रतिभागियों को पुरस्कृत एवं प्रशस्ति प्रमाण पत्र प्रदान किया गया।

कार्यशाला का कुशल संचालन बी.टेक (सी.ई.) के सप्तम सेमेस्टर की विद्यार्थी वंदाशीसा पुवैन ने किया। जबकि धन्यवाद ज्ञापन श्री हर्ष प्रसाद शाह ने किया। उक्त कार्यशाला में डॉ. स्मिता प्रेमानंद, श्री नेहाल अधिकार,  श्री परेश कुमार ठाकुर, श्री बिजित गोस्वामी के साथ-साथ आईईई छात्र शाखा के विद्यार्थी एवं आंतरिक गुणवत्ता प्रकोष्ठ के सभी कर्मचारी उपस्थित थे।
 

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