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आलिया भट्ट की सफलता का राज़ क्या है, और क्या है उनका जर्मनी कनेक्शन
08-Sep-2022 8:07 PM
आलिया भट्ट की सफलता का राज़ क्या है, और क्या है उनका जर्मनी कनेक्शन

-वंदना

ये थी फ़िल्म 'स्टूडेंट ऑफ़ दी ईयर' की शनाया सिंघानिया यानी आलिया भट्ट का एक डायलॉग. फ़िल्म में शनाया एक फ़ैंटसी कॉलेज में पढ़ने वाली अमीर लड़की है जिसकी ज़िंदगी डिज़ाइनर कपड़ों, महंगी गाड़ियों, ओवर द टॉप लाइफ़स्टाइल और अपने बॉयफ़्रेंड के इर्द-गिर्द घूमती है.

जब दस साल पहले 2012 में आलिया भट्ट ने 'स्टूडेंट ऑफ़ द ईयर' में डेब्यू किया था तो स्टार किड आलिया को कम ही लोगों ने संजीदगी से लिया. अगर तब के रिव्यू पढ़ें तो उनके बारे में कुछ यूं लिखा गया था, "आलिया भट्ट के पास एक्टिंग स्किल नहीं है और न ही स्क्रीन प्रेज़ेंस", या अगर तारीफ़ भी हुई तो इस तरह से कि "आलिया अपनी क्यूटनेस और एक तरह के नौसिखएपन से दर्शकों को जीत लेती हैं."

लेकिन आलिया की एक्टिंग को लेकर कुछ ख़ास नहीं कहा गया. फिर 2014 में दो साल बाद ही आई फ़िल्म 'हाइवे.'

फ़िल्म में एक अमीर, रसूखदार परिवार की लाडली बेटी वीरां (आलिया भट्ट) जिसका अपहरण हो जाता है. तीन लोगों का ख़ून कर चुका एक क़ातिल किडनैपर (रणदीप हुड्डा), हाइवे का लंबा सफ़र और एक लड़की जो इस क़ैद भरे सफ़र में ख़ुद को और अपनी ज़िंदगी के सवालों के जवाब तलाशने लगती है, और फिर सामने आते हैं कई कड़वे सच.

वो लंबी चीख और लंबा मोनोलॉग जब वीरां बचपन में हुए यौन शोषण की दास्तां एक अजनबी क़ातिल को सुनाती है. ये बात बरसों से उसे अंदर ही अंदर उसे खाए जा रही थी.

वो कहती है, "मैं नौ साल की थी. वो इम्पोर्टेड चॉकलेट लाते थे, मेरे अंकल. मुझे गोद में बिठाकर प्यार करते थे, अकेले में बाथरूम के अंदर. चीखती थी मैं, पर वो मेरा मुँह बंद कर देते थे ताकि मेरी चीख बाहर न निकले. बहुत दर्द होता था. बस... बस हो गया... ये कहते थे. बेस्ट लड़की है तू दुनिया की. बार-बार आते थे. बोला किसी से न कहना. एक दिन मैंने मम्मी को बोल दिया. बताया मैंने उन्हें. मम्मी ने कहा किसी से न कहना. उसके बाद वो बंद हो गया. फिर भी वो आते रहे चॉकलेट लेकर. वो मुझे प्यार करते हैं. मैं हंसती हूँ. उनको नमस्ते करो, उनके पैर छुओ. उन्हीं के बीच में रहना है."

देखने वालों को यकीन ही नहीं हुआ कि दो सालों में शनाया से वीरां तक का आलिया भट्ट का कायाकल्प कैसे हो गया.

फ़िल्म 'हाइवे' में अनजान रास्तों पर चलने की हिम्मत दिखाने वाली यही आलिया आज हिंदी फ़िल्म इंडस्ट्री की टॉप हीरोइन बन चुकी हैं. और 'डार्लिंग्स' फ़िल्म के साथ अब वो प्रोड्यूसर भी बन गई हैं. अब तक वो चार फ़िल्मफ़ेयर अवॉर्ड जीत चुकी हैं, फ़ोर्ब्स इंडिया 100 की लिस्ट में शुमार हैं और बच्चों के कपड़ों की अपनी कंपनी के साथ एक बिज़नसवुमन भी हैं.

और अब वो मां भी बनने वाली है. 'स्टूडेंट ऑफ़ द ईयर' से लेकर 'ब्रह्मास्त्र' तक आलिया ने लंबा सफ़र तय किया है.

'डार्लिंग्स' में 29 साल की आलिया के साथ काम करने वाली अभिनेत्री शेफ़ाली शाह कहती हैं, "जब मैंने आलिया के साथ काम किया तो मुझे हैरानी हुई है कि वो कितनी ज़्यादा अनुभवी हैं और अपने काम में कितनी बेहतरीन है. एक को-एक्टर के तौर पर मैंने उनसे बहुत कुछ सीखा. आलिया डार्लिंग्स की प्रोड्यूसर भी हैं. लेकिन जब वो सेट पर होती थीं तब प्रोड्यूसर वाला चेहरा ग़ायब हो जाता था. वो सिर्फ़ एक्टर के रूप में पेश आती थीं."

बतौर एक्टर आलिया के काम पर नज़र डालें तो उन्होंने जहां रोमांटिक और कॉमेडी फ़िल्में की वहीं अनोखी फ़िल्मों पर भी दांव लगाया. उनकी असल ज़िंदगी और पृष्ठभूमि भी अनोखी रही है.

आलिया का सफ़र
उम्र - 29 साल

पिता- महेश भट्ट, गुजरात से

माँ- सोनी राज़दान, आधी कश्मीरी, आधी जर्मन

2017 से तीन बार फोर्ब्स इंडिया की लिस्ट में रही हैं.

साल 2019 की फोर्ब्स की सेलिब्रिटी 100 लिस्ट में 8वें नंबर पर रहीं.

अब तक की सबसे अधिक बिज़नेस करने वाली फ़िल्म 'गली बॉय'.

आलिया का जर्मन कनेक्शन
आलिया का नाता गुजरात से लेकर जर्मनी तक का है. गुजरात से आया पिता महेश भट्ट का परिवार तो दशकों से फ़िल्मों में रहा है. वहीं उनकी माँ सोनी राज़दान आधी कश्मीरी और आधी जर्मन हैं.

इसलिए जब भी आलिया की फ़िल्में बर्लिन फ़िल्म फ़ेस्टिवल में चुनी गईं, उनके लिए वो पल ख़ास रहा.

आलिया की जर्मन जड़ों के बारे में महेश भट्ट ने लिखा था, "पेड़ की शाखाओं की तरह ही हम इंसान भी अलग-अलग दिशाओं में बढ़ते हैं. फिर भी जड़ें वही रहती हैं. आलिया तुम्हारी फ़िल्में 'हाइवे' और 'गली बॉय' बर्लिन फ़िल्म फ़ेस्टिवल में गईं. वही जर्मनी जहाँ तुम्हारी नानी का जन्म हुआ था. फ़िल्म 'हाइवे' में जो विद्रोही तेवर आलिया ने दिखाए, वो तेवर तो दरअसल आलिया को अपने परनाना से विरासत में मिले हैं. आलिया ने परनाना ने नाज़ियों से टक्कर ली थी और उन्हें इसकी बहुत बड़ी क़ीमत भी उन्हें चुकानी पड़ी थी. वो हिटलर के ख़िलाफ़ अंडरग्राउंड अख़बार चलाते थे, पकड़े जाने पर उन्हें दो साल के लिए जेल में डाल दिया गया था."

आलिया ख़ुद भी अपनी नानी के साथ फ़ोटो शेयर करती रहती हैं और अभी अप्रैल में ही उनके 93वें जन्मदिन पर सोनी राज़दान ने भी फोटो डाला था.

ख़ैर बात आलिया भट्ट के सफ़र की हो रही है तो 10 सालों में उन्होंने बहुतों को ग़लत साबित करते हुए ख़ुद को ज़बरदस्त तरीके से टॉप लीग में स्थापित किया है.

बॉलीवुड में आलिया का सफर

1999- संघर्ष (बाल कलाकार)

2012- स्टूडेंट ऑफ़ द ईयर

2014- हाइवे (फ़िल्मफ़ेयर क्रिटिक्स अवॉर्ड)

2016- उड़ता पंजाब (फ़िल्मफ़ेयर अवॉर्ड)

2018- राज़ी (फ़िल्मफ़ेयर अवॉर्ड)

2019- गली बॉय (फ़िल्मफ़ेयर अवॉर्ड)

2022- गंगूबाई काठियावाड़ी

2022- डार्लिंग्स (प्रोड्यूसर)

'स्टूडेंट ऑफ़ द ईयर' से 'ब्रह्मास्त्र' तक
1999 में फ़िल्म 'संघर्ष' में बतौर बाल कलाकार स्क्रीन पर दिखने वाली आलिया आज एक ऐसी अभिनेत्री के तौर जानी जाती है जिसके पास रोल को समझने की सलाहियत है, अभिनय कौशल है, लीक से हटकर काम करने की हिम्मत है, अपने दम पर फ़िल्म हिट कराने की कुव्वत और लोगों को चौंकाने का हुनर है.

क्रोनोलॉजी से ही समझें तो शुरुआत में 'टू स्टेट्स' (2014), 'हंप्टी शर्मा की दुल्हनिया' (2014) में शहरी लड़की का किरदार निभाने वाली आलिया को जब 2016 में दर्शकों ने 'उड़ता पंजाब' में एक ग़रीब बिहारी प्रवासी लड़की के रोल में देखा तो वो विश्वास न कर पाए.

"तो का हम राह भूल के आएं हैं, हैं, हमार सुनबा ना तो ****फाट जाई", भोजपुरी लहज़े में बात करते हुए वो लड़की आलिया नहीं बिहार से पंजाब के खेतों में काम करने आई बऊरिया ही लगती है.

वहीं 'डीयर जिंदगी' (2016) की कायरा (आलिया भट्ट) जिसके सपने तो चांद छूने के है लेकिन बचपन से ही पारिवारिक रिश्तों में चोट खाई कायरा आख़िरकर ख़ुद को टटोलते हुए एक मनौवैज्ञानिक के दरवाज़े तक पहुँच जाती है.

कायरा कहती है, "बचपन में जब रोना आता है तो बड़े बोलते हैं आंसू पोछो, जब ग़ुस्सा आता है तो बड़े कहते हैं स्माइल ताकि घर की शांति बनी रहे. नफ़रत करना चाहा तो इजाज़त नहीं दी. अब जब प्यार करना चाहा तो पता चला कि इमोशनल सिस्टम ही गड़बड़ा गया, काम नहीं कर रहा. रोना, ग़ुस्सा, नफ़रत कुछ भी एक्सप्रेस नहीं करने दिया."

अपनी कमज़ोरियों और कशमकश का सामना करती कायरा जब ये सवाल करती है तो बहुतों ने कायरा में अपनी ही झलक देखी.

वहीं फ़िल्म 'राज़ी' (2018) का उनका किरदार गोवा की मॉर्डन और काल्पनिक कायरा से कोसों दूर था. सहमत ख़ान का ये असल किरदार 70 के दशक में बसा है. कहते हैं असल किरदारों को निभाना एक अलग चुनौती होती है. 'राज़ी' पाकिस्तान जाकर काम करने वाली एक महिला जासूस की असल ज़िंदगी पर बनी फ़िल्म थी.

फ़िल्म के एक सीन में जब सहमत के पाकिस्तानी पति (विक्की कौशल) पर भारतीय जासूस होने की बात ज़ाहिर हो जाती है और वो सवाल पूछता है कि क्या उनके बीच का प्यार कभी सच्चा था, तो सहमत जवाब देती है, "मैं अगर सच कहूं भी तो क्या आप मेरा ऐतबार कर लेंगे? मगर सबसे बड़ा सच ये है कि हिंदुस्तान से आगे मेरे लिए कुछ नहीं."

वफ़ाओं के बंटवारे का दर्द, अपनों को धोखा देने की ग्लानि और बेचारगी, फ़र्ज़ को लेकर निश्चतिता- सभी भावनाओं का पूरा सैलाब आलिया ने उस एक दृश्य में उड़ेल कर रख दिया था.

आलिया ने सहमत ख़ान के किरदार को अपनी आंखों, अपनी ख़ामोशी, अपनी बॉडी लैंग्वेज और संवादों से बहुत ख़ूबसूरती से जिया.

आलिया का अभिनय कौशल
अलग-अलग तरह के किरदार निभाने की बात करें तो 'राज़ी' के समकक्ष 'गली बॉय' खड़ी मिलती है. इसमें आलिया मुंबई की झुग्गी, धारावी की बस्ती में रहने वाली सफ़ीना का किरदार निभाती हैं जो खुद्दार है पर थोड़ी-सी सरफ़िरी भी.

अपने बॉयफ़्रेंड के इर्दगिर्द फटकने वाली लड़की को वो पटकती है और कहती है, "मेरे बॉयफ्रेंड से कोई गुलुगुलु करेगा तो धोपटूऊँगी न."

किरदार में ख़ुद को ढाल लेने की कला को आलिया ने 'राज़ी' के जिस छोर पर छोड़ा था, 'गंगूबाई काठियावाड़ी' (2022) में एक सेक्सवर्कर और फिर उनकी मुखिया बनी आलिया उस कला को बिल्कुल दूसरे छोर पर ले गई हैं.

जिस धाक के साथ आलिया कहती है, "कमाठीपुरा में न, कभी अमावस की रात नहीं होती है, पूछो क्यों. क्योंकि वहाँ गंगू रहती है. गंगू चाँद थी और चाँद ही रहेगी"

फ़िल्म में आलिया कब पूरी तरह गंगू बन जाती है पता ही नहीं चलता.

आलिया की फ़िल्में भारत में ही नहीं विदेशों में भी अच्छा कारोबार करने लगी हैं.

वे कहते हैं, "ऐसा नहीं है कि आलिया की फ़िल्में फ़्लॉप नहीं हुई. 'सड़क-2' और 'कलंक' नहीं चली. उनके करियर में कई सारी दिक्कतें आईं. लागत और कमाई के हिसाब से 'गंगूबाई काठियावाड़ी' भी बहुत बड़ी हिट नहीं कहलाएगी. लेकिन फिर भी आलिया अपने दम पर लोगों को सिनेमाघरों तक लाने में कामयाब रहीं जो बड़ी बात है. लोग भले ही कहें कि वो नेपोटिज़्म से आई हैं और वो है. मसलन 'स्टूडेंट ऑफ़ द ईयर' में सिद्धार्थ मल्होत्रा को कम पैसे मिले और आलिया को ज़्यादा. वो महेश भट्ट की बेटी हैं. इसलिए फ़र्क तो पड़ ही जाता है. लेकिन जब कोई कलाकार अपनी फ़िल्मों से अपना स्टारडम बना लेता है तो फिर वो अलग ही श्रेणी में प्रवेश कर जाता है जैसा आलिया ने 'टू स्टेट्स' या 'हंप्टी शर्मा की दुल्हनिया' जैसी हिट फ़िल्में देकर किया. 'हाइवे' जैसे रोल में उन्होंने बहुत रिस्क लिया था. उन्होंने अपने करियर में बहुत अलग किस्म की फ़िल्में की. आलिया का हिट करियर सही फ़िल्मों के चुनाव का भी नतीजा है. 10 सालों में बहुत अच्छा उछाल आया है करियर में."

एस राजामौली की 'आरआरआर' जैसी ब्लॉकबस्टर फ़िल्म में आलिया का छोटा-सा रोल होना भी दर्शाता है कि उनकी एक्टिंग के साथ-साथ उनकी लोकप्रियता का फ़ायदा भी इस पैन इंडिया स्तर की फ़िल्म को मिला.

बाज़ार में ब्रैंड आलिया का दबदबा
बात सिर्फ़ अभिनय कौशल की नहीं है क्योंकि ये फ़िल्मी दुनिया बॉक्स ऑफ़िस की कमाई पर चलती है. आलिया ने इस कसौटी पर भी ख़ुद को अव्वल साबित किया है.

उनकी फ़िल्म 'राज़ी' ने दुनिया भर में 200 करोड़ की ज़्यादा की कमाई की, वो क्लब जिस पर ज़्यादातर अभिनेताओं का दबदबा रहा है. 'गंगूबाई काठियावाड़ी' के साथ आलिया की फ़िल्म ने फिर से पूरी दुनिया में 200 करोड़ का बिज़नेस किया है.

आलिया के करियर पर नज़र डालें तो उसमें लगातार ग्रोथ तो दिखता ही है, इसके साथ ही आलिया ने धीमे-धीमे ख़ुद को डायवर्सीफ़ाई भी किया है जिसकी वजह से वो एक ब्रैंड बनकर उभर चुकी हैं, ख़ासकर युवा वर्ग में.

विज्ञापनों की बात करें तो आलिया फ़ीलिप्स, फ्रूटी, फ़्लिपकार्ट, मान्यवर, मेक माई ट्रिप, कोकाकोला, लक्स जैसे कई बड़े ब्रैंड्स का चेहरा हैं या रह चुकी हैं.

2014 के बाद से ही वो फ़ोर्ब्स इंडिया 100 की लिस्ट में शामिल रही हैं. 2019 में तो वो फ़ोर्ब्स की लिस्ट में आठवे नंबर पर थीं और उनकी कमाई 2019 में 59.12 करोड़ दिखाई गई थी. 2021 में आई डफ़ एंड फेल्प्स सेलिब्रिटी ब्रैंड वेल्येशन रिपोर्ट के मुताबिक़ आलिया की ब्रैंड वैल्यू करीब 681 लाख डॉलर आंकी गई है.

इसके अलावा आलिया अब अपने प्रोडक्शन हाउस इटर्नल सनशाइन की मालिक़ है जिसके बैनर तले उन्होंने इस साल फ़िल्म 'डार्लिंग्स' बनाई है.

बिज़नेस में भी धीरे-धीरे आलिया ने अपनी पकड़ बनाई है. कारोबार के साथ-साथ समाज को लेकर वो अपनी अलग सोच भी लेकर आई हैं.

मसलन आलिया ने बच्चों के लिए एड-ए-ममा नाम की कंपनी 2020 में लॉन्च की है जो बच्चों के ऐसे कपड़े बनाने का काम करती है जो सस्टेनेबल तरीकों से बनाए गए हों.

ब्रैंड आलिया

प्रोडक्शन हाउस- इटर्नल सनशाइन

एड-ए-ममा - कपड़ों की कंपनी

कोएग्ज़िस्ट- इकोलॉजी प्लैटफ़ॉर्म

नाइका में निवेश

भारत की बड़ी कंपनियों की ब्रैंड एम्बेसडर

फ़ोर्ब्स टॉप 10 में शामिल (2019)

आलिया ने कोएग्ज़िस्ट नाम की कंपनी शुरु की है जो जानवरों और इकोलॉजी से जुड़े मुद्दों पर काम करती है. सौंदर्य उत्पादों से जुड़ी कंपनी नायका में भी आलिया ने निवेश किया है.

इमेज गुरु दिलीप चेरियन आलिया की इस कामयाबी का कुछ यूं विशेष्लण करते हैं, "इसमें कोई शक़ नहीं कि आलिया अब सिर्फ़ एक एक्टर नहीं है, वो ब्रैंड एम्बेसडर और प्राइवेट इक्विटी इनवेस्टर भी बन चुकी हैं. आलिया को इससे दो फ़ायदे हो रहे हैं. अभी आलिया फ़िल्में में टॉप पर हैं और वो अपनी कमाई का सही जगह निवेश कर रही हैं ताकि वो खर्च न हो. साथ ही आलिया को ऐसे उद्योग क्षेत्रों में काम करने का मौक़ा मिल रहा है जिसकी उन्हें बेहतर समझ है जैसे फ़ैशन और लाइफ़स्टाइल. टेक प्रोडक्ट में भी उनकी दिलचस्पी होगी.

"मुझे लगता है कि उनकी मंशा ये रहेगी कि वो न सिर्फ़ ब्रैंड एम्बेसडर बनें बल्कि इनमें से कुछ कंपनियों की दिशा तय करने में भी भागीदारी करें. एक समय आता है कि जब एक्टिव एक्टिंग करियर ढलने लगता है और ये सारे निवेश उनके काम आएंगे. आलिया जैसी बेहतरीन एक्ट्रेस के लिए ये बड़ी दूरदर्शिता वाला कदम है. ये उन्हें लंबे तक रेलेवेंट बनाकर रखेगा. और ये भी सुनिश्चित करेगा कि वो कई सारे क्षेत्रों में ख़ुद को स्थापित कर पाएं."

आज के दौर में जहां किसी सेलिब्रिटी को सोशल मीडिया पर उनकी लोकप्रियता के लिए भी आंका जाता है, वहां भी आलिया की ज़बरदस्त मौजूदगी है. इंस्टाग्राम पर आलिया के कम से कम 6 करोड़ 95 लाख फॉलोयर हैं, ट्विटर पर 2 करोड़ 15 लाख फॉलोयर हैं और फ़ेसबुक पर 84 लाख.

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स्टीरियोटाइप तोड़ती आलिया
हालांकि आलिया सोशल मीडिया पर अपने प्रोडक्ट्स से ज़्यादा अपनी फ़िल्मों से जुड़ी पोस्ट या अपनी निजी ज़िंदगी के पल ही शेयर करती हैं.

सोशल मीडिया की इस आभासी दुनिया पर आलिया एक अलग तरह का इमोनशनल कोशेंट लेकर आती हैं. अपनी प्रेग्नेंसी की ख़बर भी आलिया ने अपने फ़ैन्स के साथ सीधे सोशल मीडिया पर शेयर की.

29 साल की आलिया जो अपने करियर के ऊरूज़ पर हैं, उन्होंने 2022 में रणबीर कपूर से शादी की. अब वे जल्द ही मां भी बनने जा रही हैं. इस तरह हिंदी फ़िल्म हीरोइन से जुड़े स्टीरियोटाइप को आलिया, कटरीना, अनुष्का और दीपिका जैसी अभिनेत्रियां अपने-अपने तरीके से तोड़ रही हैं.

फ़िल्मी दुनिया में ज़्यादातर पुरुष प्रोड्यूसरों का ही दबदबा रहा है. आलिया ने न सिर्फ़ उस सीमा में प्रवेश किया है बल्कि अपनी पहली फ़िल्म 'डार्लिंग्स' में घरेलू हिंसा जैसे विषय को चुना और किसी मेनस्ट्रीम हीरो को न लेकर एक अलग तरह की दिलेरी दिखाई है.

बॉलीवुड में लगातार नई सीमाएं लांघती आलिया अब हॉलीवुड तक पहुंच चुकी हैं. आलिया ने हाल ही में हॉलीवुड की फ़िल्म 'हार्ट ऑफ़ स्टोन' की शूटिंग पूरी की है. इस फ़िल्म में उनके साथ गॉल गैडट ने काम किया है जो दुनिया भर में 'वंडर वुमेन' के रोल के लिए बहुत ही मशहूर हैं.

कभी आलिया पर बनते थे ढेरों चुटकुले
2013 में 'कॉफी विद करण' टीवी शो के बाद सोशल मीडिया पर आलिया का इतना मज़ाक उड़ाया गया कि वो मीम आर्टिस्ट की पसंदीदा बन गई और उनकी डफ़र वाली छवि बन गई या बना दी गई.

शो में उन्होंने भारत के राष्ट्रपति का नाम ग़लत बताया था. उसके बाद से इंटरनेट पर आलिया भट्ट जोक्स की भरमार आ गई.

टीवी शो आपकी अदालत में आलिया ने बताया कि शुरुआती दिनों में विदेशों में कई लोग उन्हें उनकी फ़िल्मों के लिए बल्कि आलिया मीम्स से जानते थे.

करण जौहर के ज़रिए मिले परफेक्ट लॉन्चपैड के बाद उन पर नेपोटिज़्म के इल्ज़ाम भी लगे कि उन्हें इंडस्ट्री में कदम रखने के लिए तो संघर्ष करना ही नहीं पड़ा.

जैसा कि अभिनेता सिंद्धात चतुर्वेदी ने अनन्या पांडे के जवाब में एक इंटरव्यू में कहा था.

अन्यया का कहना था, "क्योंकि मेरे पिता एक एक्टर हैं मैं हाथ में आने वाले मौक़े को न नहीं कहने वाली. मेरे पिता धर्मा प्रोडक्शन की फ़िल्म में कभी नहीं रहे, उन्हें कभी 'कॉफ़ी विद करण' के लिए नहीं बुलाया गया. इसलिए हमारे लिए उतना आसान नहीं है जितना लोग समझते हैं. सबका अपना संघर्ष होता है".

इसके जवाब में सिद्धांत ने कहा था, "फ़र्क ये है कि जहां हमारे सपने पूरे होते हैं वहां इनका स्ट्रग्ल शुरु होता है."

फ़िल्म इंडस्ट्री की दलहीज़ पर आकर खड़े होने में आलिया को वाकई कुछ ख़ास मशक्क्त न करनी पड़ी हो लेकिन इसके आगे की रेस में वो इतना तेज़ दौड़ी हैं कि इन सब बातों से परे उन्होंने ख़ुद को लगातार निखारा है.

बॉलीवुड से लेकर हॉलीवुड तक पहुंच
फ़िल्म विशेषज्ञ श्रीनिवास रामाचंद्रन कहते हैं, सिनेमा को समझने के लिए आलिया ने लगातार मेहनत की है.

वो कहते हैं कि आलिया ने करण जौहर के पहले शो में अजीबोगरीब जवाब दिए थे, लेकिन अब उनके जवाब पहले से बेहतर हैं.

वो कहते हैं, "अपने आप को बदला और सुधारा है आलिया ने. आपकी ग़लतियों से सीखना और सुधार लाना आपको कॉम्पिटिटिव बनाता है जो आलिया ने किया है. शुरुआती दौर में आलिया की ख़ूब ट्रोलिंग हुई. लेकिन अच्छा है कि ये ट्रोलिंग उनके करियर में पहले ही हो गया. आलिया अच्छी स्टूडेंट साबित हुईं हैं. बचपन से ही उनका पता था कि वो क्या करना चाहती हैं. शुरु में जो ख़ामियां थीं, आलिया ने उस पर काम किया है. ये बात तय है कि आलिया अब स्टार है. 'गंगूबाई काठियावाड़ी' उनके लिए डिफ़ाइनिंग पल रहा है. अब वो हॉलीवुड तक पहुंच चुकी है."

10 साल में बॉलीवुड में एक नौसिखिए स्टार किड से लेकर एक बिज़नसवुमन से लेकर हॉलीवुड तक का सफ़र आलिया ने तय किया है.

श्रीनिवास रामाचंद्रन कहते हैं, "ये सच है कि फ़िल्मों में किसी स्टार की किस्मत हर शुक्रवार को बॉक्स ऑफ़िस पर बदल जाती है. जो आज सुपरस्टार 'है' वो 'था' में बदल जाता है. पर फ़िलहाल तो आलिया जादुई छड़ी वाली उस लड़की की तरह हैं जो शिखर पर बैठी हैं और लगातार नए प्रयोग कर रही हैं."

वो कहते हैं, "पता नहीं ये सब करते हुए आलिया पूरी तरह आश्वस्त रही होंगी या नहीं, उनकी ज़िंदगी में भी केओस मचा होगा, विफलता को लेकर वो कभी आशंकित हुई होंगी या उन्हें डर लगा होगा."

अगर डर लगा भी होगा तो शायद 'सड़क-2' के अपने इस डायलॉग की तरह वो आगे बढ़ गई होंगी जहां वो कहती हैं- "असली हिम्मत वो होती है जो डर के बावजूद जुटानी पड़ती है."

वैसे ख़ुद को आलिया केवल दो शब्दों में बयां करती है जैसा कि उनके सोशल मीडिया पर लिखा है- "ब्यूटीफ़ुली केओटिक."  (bbc.com/hindi)

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