सामान्य ज्ञान

श्रीकृष्ण का नाम मुरारी कैसे पड़ा?
10-Sep-2022 5:46 PM
श्रीकृष्ण का नाम मुरारी कैसे पड़ा?

भगवान श्रीकृष्ण के अनेक नाम हैं और इनमें से एक नाम है मुरारी।  श्रीकृष्ण को यह नाम मुरासुर नामक राक्षस का वध करने के कारण पड़ा।

 वामन पुराण और भागवत पुराण के दसवें स्कंध में मुरासुर नामक एक राक्षस की कथा का वर्णन है। कश्यप प्रजापति के एक पुत्र था मुर  नामक राक्षस।  उसने मृत्यु पर विजय पाने के लिए कई वर्षों तक ब्रह्मा की घोर तपस्या की। ब्रह्मा उसके सामने प्रकट हुए और वर मांगने को कहा।  मुरासुर ने प्रसन्न होकर कहा, भगवन! मुझ पर कृपा करके ऐसा वरदान दीजिए कि मैं जिसका भी स्पर्श करूं, चाहे वे मृत्यु भय से मुक्त ही क्यों न हों, उनकी तत्काल मृत्यु हो जाए। विधाता ने तथास्तु कहकर उसकी इच्छा पूरी कर दी। इसके बाद मुरासुर के अहंकार की कोई सीमा न रही। वह देवताओं को ललकार कर युद्ध की चुनौती देने लगा। उसने इंद्रलोक पर भी कब्जा कर लिया।  उन्हीं दिनों सूर्यवंशी सम्राट रघु सरयू नदी के तट पर यज्ञ कर रहे थे। मुरासुर वहां पहुंच गया और यज्ञ में देवताओं को संतुष्ट करने के लिए आहुति देते देख क्रोधित होकर यज्ञ बंद करने के लिए कहा ऐसा नहीं करने पर युद्ध की चुनौती दी।  महर्षि वशिष्ट ने मुरासुर की चुनौती सुनकर कहा, जो अजेय हैं, उनसे युद्ध कीजिए। आपका यश तीनों लोकों में फैल जाएगा। मृत्यु के देवता धर्मराज को युद्ध के लिए आमंत्रित कीजिए। 

महर्षि वशिष्ट की बातें सुनकर मुरासुर उत्तेजित हो गया और वह सीधे यमलोक में घुस गया। उसने यमराज के पास युद्ध के लिए तैयार हो जाने का समाचार भेजा। यमराज ने डरकर बैकुंठ में जाकर विष्णु की शरण ली। विष्णु ने यमराज को समझाया, तुम एक काम करो, कोई युक्ति करके तुम मुरासुर को मेरे पास भेज दो फिर मैं उसे उचित सबक सिखाऊंगा।

 विष्णु का आश्वासन पाकर यमराज यमपुरी पहुंचे और मुरासुर को बैकुंठ का रास्ता बता दिया।  मुरासुर विष्णु से लडऩे के लिए निकल पड़ा, लेकिन उस समय विष्णु के स्वरूप बने श्रीकृष्ण नरकासुर पर आक्रमण करने के लिए चले गए थे। यह समाचार मिलते ही मुरासुर नरकासुर की सहायता करने के लिए प्रागज्योतिषपुर पहुंचा।   मुरासुर के पांच सिर थे।  श्रीकृष्ण और मुरासुर के बीच घोर युद्ध हुआ। आखिर में कृष्ण ने रुष्ट हो मुरासुर पर अपने सुदर्शन चक्र का वार किया। एक ही वार में मुरासुर के पांचों सिर काटकर धरती पर लोटने लगे। इसतरह श्रीकृष्ण ने मुरासुर का संहार किया, इसलिए उस दिन से वे मुरारी नाम से लोकप्रिय हुए।

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