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किंग चार्ल्स III कैसे सम्राट होंगे?
10-Sep-2022 6:50 PM
किंग चार्ल्स III कैसे सम्राट होंगे?

-शॉन कफ़लान

ब्रिटिश इतिहास में सबसे लंबे समय तक राजगद्दी के उत्तराधिकारी के रूप में सेवा देने वाले चार्ल्स, अब सम्राट हैं. उत्तराधिकारी के तौर पर उनकी 70 साल लंबी यात्रा ने उन्हें सिंहासन के लिए अब तक का सबसे अधिक तैयार और सबसे उम्रदराज़ नया सम्राट बना दिया है.

73 वर्षीय सम्राट अपनी मां के लंबे शासनकाल के साक्षी रहे हैं, इस दौरान ब्रिटेन के 15 प्रधानमंत्री और अमेरिका के 14 राष्ट्रपति समेत दुनिया के कई नेताओं की पीढ़ियां आती-जाती रहीं.

ऐसे में महारानी एलिज़ाबेथ द्वितीय के उल्लेखनीय, युग-परिभाषित शासन के बाद, हम कैसे सम्राट की उम्मीद कर सकते हैं? और एक प्रिंस जो कई मुद्दों पर खुलकर अपनी राय रखते आए हैं, वे अब सम्राट की निष्पक्षता के अनुकूल खुद को कैसे ढालेंगे?

सम्राट के रूप में, चार्ल्स के पास अब अपना पासपोर्ट या ड्राइविंग लाइसेंस नहीं होगा और न ही वे सार्वजनिक रूप से अपनी मज़बूत राय रख सकेंगे. सम्राट होने पर आपकी कोई व्यक्तिगत पहचान नहीं रहती.

प्रमुख संवैधानिक विशेषज्ञ प्रोफेसर वर्नोन बोगदानोर का मानना है कि यह अलग-अलग भूमिकाओं और नियमों का मामला है.

प्रोफेसर बोगदानोर कहते हैं, "वे अपने शुरुआती दिनों से जानते हैं कि उन्हें अपनी शैली बदलनी होगी. जनता एक चुनाव प्रचार करने वाला सम्राट नहीं चाहेगी."

सम्राट चार्ल्स इससे अच्छी तरह अवगत हैं कि अब उन्हें कम मुख़र होने की ज़रूरत है.

साल 2018 में बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, "मैं उतना बेवकूफ़ नहीं हूं. मुझे एहसास है कि संप्रभु होने के नाते ये एक अलग अभ्यास है. ये सोच कि सिंहासन संभालने के बाद भी मैं ऐसा ही बना रहूंगा, पूरी तरह बकवास है."

जब एक नया सम्राट सिंहासन पर बैठता है, तो सिक्कों पर शाही प्रोफ़ाइल विपरीत दिशा में बदल जाती है. चार्ल्स के शासनकाल में भी ये बदलेगा.

जिस देश पर सम्राट चार्ल्स शासन करेंगे, वह उनकी मां को विरासत में मिले देश की तुलना में बहुत अधिक विविध है, और प्रोफेसर बोगडानोर का अनुमान है कि नए सम्राट एक बहुसांस्कृतिक और बहुधार्मिक ब्रिटेन तक अपनी पहुंच बनाएंगे.

वे उम्मीद करते हैं कि सम्राट देश को जोड़ने वाली शक्ति के रूप में काम करने की कोशिश करेंगे और अल्पसंख्यकों और वंचित समूहों के साथ जुड़ने का काम करेंगे.

प्रोफेसर बोगडानोर कला, संगीत और संस्कृति के अधिक शाही संरक्षण की अपेक्षा करते हैं, जहां घुड़दौड़ पर कम और शेक्सपियर की विरासत पर ज़्यादा ध्यान होगा.

लेकिन सर लॉयड डोर्फ़मैन, जिन्होंने सम्राट चार्ल्स के साथ उनके प्रिंस ट्रस्ट चैरिटी में कई वर्षों तक काम किया, वे मानते हैं कि जलवायु परिवर्तन और जैविक खेती जैसे मुद्दों पर सम्राट की संपूर्ण दख़लअंदाज़ी शायद ही पूरी तरह ख़त्म हो.

सर लॉयड का कहते हैं, "वे बहुत जानकार हैं, बहुत प्रभावी भी. ये सोच पाना कठिन है कि जिस दिन वह संप्रभु बन जाएंगे, उस दिन से वे इन सभी मुद्दों को दरकिनार कर देंगे."

रॉयल्स की एक छोटी कोर ग्रुप होगी, जिसके केंद्र में चार्ल्स और कैमिला, प्रिंस विलियम और कैथरीन होंगे.

शाही टिप्पणीकार विक्टोरिया मर्फी कहती हैं, "इसके बावजूद नए शासन का प्रमुख संदेश निरंतरता और स्थिरता होगा. "

वे कहती हैं, "किसी भी बड़े, परेशान करने वाले मतभेदों की अपेक्षा न करें. वे बहुत सावधान रहेंगे."

रॉयल कमेंटेटर और लेखक रॉबर्ट हार्डमैन कहते हैं, "हमने राष्ट्रीय जीवन में रानी को एक स्थिरता का प्रतीक माना है, लेकिन उनके अलावा, चार्ल्स सार्वजनिक जीवन में किसी भी राजनेता की तुलना में सबसे लंबे समय तक रहे हैं."

इतिहासकार और लेखक सर एंथनी सेल्डन का मानना है कि जलवायु परिवर्तन के बारे में चेतावनी जैसे मुद्दों पर सही साबित होने के बाद सम्राट चार्ल्स का कद मज़बूत हुआ है.

हार्डमैन 2021 में ग्लासगो में हुए जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन का उदाहरण देते कहते हैं कि चार्ल्स को यहां अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन जैसे दिग्गजों ने गंभीरता से लिया था. वैश्विक मंच पर उनका कद सम्राट के रूप में उनकी छवि को मज़बूती देगी.

लेकिन नए सम्राट का स्वभाव कैसा होगा?

जो लोग उन्हें जानते हैं, उनका कहना है कि अंदर से वे एक शर्मीले और रिज़र्व व्यक्ति हैं. सीधे-सीधे शब्दों में कहें तो एक "संवेदनशील शख़्स".

स्कूल में पढ़ने के दौरान एक चिट्ठी में उन्होंने स्कूल के छात्रावास में अपने साथ हुए दुर्व्यवहार का ज़िक्र किया था.

चिट्ठी में वे लिखते हैं, "वे रात भर चप्पल फेंकते हैं या मुझे तकिए से मारते हैं या पूरे कमरे में दौड़ते हैं और मुझे जितना हो सके उतनी ज़ोर से मारते हैं."

चिट्ठी पढ़कर उनमें एक अकेले लड़के के निशान मिलते हैं, जिसे स्कूल में एक हद तक परेशान किया गया.

उनकी पत्नी कैमिला, जो अब क्वीन कंसॉर्ट हैं, ने उन्हें "काफी अधीर'' बताया है. वे कहती हैं कि चार्ल्स चाहते हैं कि सभी काम एक दिन पहले ही पूरे हो जाएं. वे इसी तरह काम करते हैं.

चार्ल्स के 70वें जन्मदिन पर एक टीवी साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि सार्वजनिक जगहों पर गंभीर से नज़र आने वाले सम्राट का एक अधिक चंचल पक्ष भी था.

कैमिला कहती हैं, "लोग उन्हें एक बहुत गंभीर व्यक्ति के रूप में देखते हैं, जो वे हैं. लेकिन मैं चाहती हूं कि लोग उनके दूसरे पक्ष को भी देखें. वे अपने घुटनों पर बैठ जाते हैं और बच्चों के साथ खेलते हैं, उन्हें हैरी पॉटर पढ़ाते हैं और आवाज़ें निकालते हैं."

चार्ल्स एक शांत और सुलभ व्यक्ति बन गए हैं. जब वे आम लोगों से मिलते हैं, तो अपनी ही निंदा करने वाले कुछ चुटकुलों के साथ उन्हें आकर्षित करते हैं.

शायद सम्राट बनने के बाद ये बदल जाएगा, लेकिन वेल्स के राजकुमार के रूप में उन्होंने एक मिलनसार और बिल्कुल दादाजी की शैली विकसित की, जिसमें कोई बेगानापन नहीं था.

प्रिंस टीचिंग इंस्टीट्यूट में चार्ल्स के साथ काम करने वाले क्रिस पोप ने नए सम्राट को एक निरंतर व्यस्त, प्रेरित करने वाले और "ऊर्जा का बंडल" के रूप में वर्णित किया, जो अधिक कार्यभार ले लेते हैं.

पोप कहते हैं, "वह वास्तव में अगली पीढ़ी की भलाई के लिए तत्पर हैं. उनके किए गए बहुत सारे कामों में आप ये देखे सकेंगे."

राजकुमार के परोपकारी कार्यों में विरासत की रक्षा करना और पारंपरिक शिल्प कौशल को संरक्षित करना शामिल है, साथ ही नवीनीकरण और परिवर्तन को भी वे प्रोत्साहित करते थे.

पोप कहते हैं, "उन्हें हमेशा इस बात की चिंता रहती है कि परंपराएं खत्म न हो जाएं, लेकिन इसका ये मतलब नहीं होता कि हमें घड़ी को पीछे करना होगा."

नए सम्राट जितना बदलाव चाहते हैं उतना ही पुरानी परंपराओं को बचाकर रखना चाहते हैं. वो दोनों ही चीज़ों को साथ लेकर चलना चाहते हैं.

कभी वे 18वीं सदी की किसी पेंटिंग से निकले एक संपन्न ज़मींदार की तरह नज़र आते हैं, तो कभी एक बौख़लाए परिवर्तनवादी की तरह, जो इस बात से परेशान है कि कैसे कुछ समुदायों को नज़रअंदाज़ किया गया है और वे कहीं पीछे छूट गई हैं.

अपनी मां से विरासत में मिली कर्तव्य की भावना के इतर सम्राट चार्ल्स को उनकी धार्मिक आस्था और मज़बूत सेंस ऑफ ह्यूमर भी विरासत में मिली है.

हितन मेहता ने 2007 में ब्रिटिश एशियन ट्रस्ट की स्थापना में मदद करने के बाद से सम्राट के साथ काम किया है.

मेहता कहते हैं, "वे दिल से एक मानवतावादी हैं. मुझे लगता है कि लोग इस बात को ज़्यादा तरजीह नहीं देते कि वे कितना ध्यान रखते हैं. वे अक्सर उस दुनिया की बात करते हैं जो वह अपने पोते के लिए छोड़ने जा रहे हैं. वे इसकी चिंता करते हैं."

इसका मतलब सीधे कॉल टू एक्शन हो सकता है.

मेहता बताते हैं, "शुक्रवार की रात के नौ बज रहे होंगे और मुझे उनका फोन आया जिसमें कहा गया: 'मैंने अभी-अभी पाकिस्तान में बाढ़ के बारे में सुना है. हम क्या कर रहे हैं?' ऐसा नहीं है कि वह व्यस्त व्यक्ति नहीं हैं, लेकिन उन्होंने समस्या के बारे में सुना और वह काम में जुट गए. वह वास्तव में परवाह करते हैं."

प्रिंस हैरी ने अपने पिता के बारे में कहा, "वे एक ऐसे व्यक्ति हैं जो देर रात डिनर करते हैं और फिर अपनी मेज़ पर जाते हैं और अपने नोट्स पर सो जाते हैं."

जब बीबीसी ने उनके जन्म की घोषणा की, तो ख़बर ये नहीं बनी कि महारानी ने एक लड़के को जन्म दिया है, बल्कि कहा गया कि उनकी मां ने 'सुरक्षित रूप से एक राजकुमार' को जन्म दिया है.

चार साल बाद, वे राजगद्दी के उत्तराधिकारी बन गए.

चार्ल्स ने 2005 के अपने एक साक्षात्कार में कहा था, "मैं खुद को इस विशेष स्थिति में पैदा हुआ पाता हूं. मैं इसका अधिकतम लाभ उठाने के लिए दृढ़ हूं. और जो कुछ भी मैं मदद कर सकता हूं, वह करने के लिए तैयार हूं."

वह 400 से अधिक संगठनों के संरक्षक या अध्यक्ष रहे हैं और 1976 में उन्होंने रॉयल नेवी में मिले अपने वेतन से प्रमुख चैरिटी, दी प्रिंस ट्रस्ट की स्थापना की.

इसने देश के कुछ सबसे गरीब हिस्सों में रहने वाले लगभग 900,000 वंचित युवाओं की मदद की है और उन्हें कई सामाजिक समस्याओं के बारे में जानकारी दी है.

हालांकि प्रिंस ट्रस्ट से जुड़ी उनकी योजना हमेशा सफ़ल नहीं रही.

उन्होंने 2018 में बीबीसी को दिए एक साक्षात्कार में बताया था, "होम ऑफिस ने नहीं सोचा था कि यह एक अच्छा विचार था. इसे धरातल पर उतारना काफी मुश्किल था."

उनके कामों पर राजनीतिक हस्तक्षेप और दख़लअंदाज़ी के आरोप लगे, ख़ासकर तथाकथित "ब्लैक स्पाइडर मेमो" के मामले में.

"ब्लैक स्पाइडर" मेमो किंग चार्ल्स तृतीय, तत्कालीन प्रिंस ऑफ वेल्स द्वारा ब्रिटिश सरकार के मंत्रियों और राजनेताओं को लिखे गए पत्र और ज्ञापन का संग्रह है.

2004 के बाद से चार्ल्स द्वारा सरकारी मंत्रियों को लिखे गए निजी पत्र में खेती, शहरी नियोजन, वास्तुकला, शिक्षा और यहां तक कि पेटागोनियन टूथफिश की रक्षा जैसे मुद्दों पर सरकारी दृष्टिकोण पर सवाल उठाए गए थे.

चार्ल्स की काफ़ी हद तक पैरवी करते हुए एक पूर्व कैबिनेट मंत्री ने कहा कि उन्होंने बहुत दबाव महसूस नहीं किया, लेकिन नए सम्राट से जुड़ी उनकी स्मृति एक ऐसे व्यक्ति की है जिसकी एक निश्चित राय थी. जो अपने पूर्व निर्धारित विचारों के साथ अडिग रहना चाहते थे, न कि विरोधी तर्कों को सुनना और उस पर बात करना.

वे कहते हैं, "मुझे ऐसा महसूस नहीं हुआ कि मैं परेशान था. वे हस्तक्षेप करते थे और आपको पत्र मिलते थे. उन्होंने ज़ोर नहीं दिया, उन्होंने दबाव नहीं बनाया, वे अभद्र नहीं थे.''

दख़लअंदाज़ी के आरोपों पर जवाब देते बुए चार्ल्स ने 2006 के अपने एक इंटरव्यू में कहा था, "अगर यह हस्तक्षेप है, तो मैं इस पर बहुत गर्व करता हूं." लेकिन उन्होंने इस बात को स्वीकारा कि वे कोई अच्छी स्थिति में नहीं थे.

उन्होंने कहा, "यदि आप बिल्कुल कुछ नहीं करते हैं, तो वे इसके बारे में शिकायत करेंगे. यदि आप कोशिश करते हैं और फंस जाते हैं और मदद करने के लिए कुछ करते हैं, तो वे भी शिकायत करेंगे."

बाद में एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि उन्होंने दलगत राजनीति से परहेज किया था, लेकिन कुछ मुद्दों ने उन्हें बोलने के लिए मजबूर कर दिया, जैसे "जिन परिस्थितियों में लोग रह रहे थे."

पूर्व श्रम मंत्री क्रिस मुलिन ने अपनी डायरियों में चार्ल्स के साथ अपनी एक मीटिंग का वर्णन किया और बताया कि वह चार्ल्स के ध्यान केंद्रित करने की क्षमता और जोख़िम लेने की उनकी तत्परता से कितने चकित थे.

वे घूम फिर कर उसी प्वॉइंट पर वापस आ जाते कि कैसे युवाओं के क्षितिज को बड़ा किया जाए, विशेष रूप से वैसे युवा जो अप्रभावित, बदकिस्मत या निंदा के पात्र बन गए हों.

उन्होंने कहा, "मैं स्वीकार करता हूं कि मैं प्रभावित हूं. वे एक ऐसे व्यक्ति हैं, जिसे अगर उन्होंने चुना, तो आलस्य और स्वयं तक सीमित रहने वाली उनकी ज़िंदगी ख़राब कर सकता है."

चार्ल्स ने कहा है, "राजशाही जैसी जिज्ञासु कोई चीज तब तक नहीं टिकेगी जब तक आप लोगों के नज़रिए पर ध्यान नहीं देते. आख़िरकार, अगर लोग इसे नहीं चाहेंगे, तो ये नहीं होगा."

दिसंबर, 2021 में यू गॉव द्वारा किए गए शोध के अनुसार, उनकी लोकप्रियता बढ़ रही है, लगभग दो-तिहाई लोगों ने उन्हें सकारात्मक दृष्टि से देखा है.

लेकिन जनमत सर्वेक्षणों ने उन्हें लगातार अपनी मां महारानी एलिजाबेथ द्वितीय या उनके बेटे प्रिंस विलियम की तुलना में कम लोकप्रिय दिखाया है, इसलिए जनता के एक बड़े हिस्से को अभी भी प्रभावित करना बाकी है. ख़ासकर युवाओं में उनकी लोकप्रियता कम है.

विक्टोरिया मर्फ़ी का कहना है कि इसके पीछे कि वजह टीवी शो और फिल्मों में चार्ल्स का एक निर्दयी चित्रण है. वेल्स की राजकुमारी और चार्ल्स की पहली पत्नी डायना, जिनकी अगस्त 1997 में एक कार दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी, के साथ उनके संबंधों को जिस तरह से दिखाया गया, उनकी सत्यता पर भले ही सवाल उठ सकते हैं, पर उनकी छवि पर इसका गहरा प्रभाव पड़ा है.

मर्फ़ी कहती हैं, "पिछले कुछ वर्षों में डायना और शाही परिवार के इर्द-गिर्द बुनी गई नैरेटिव ने काफ़ी नुकसान पहुंचाया है."

लंदन विश्वविद्यालय के रॉयल होलोवे में सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ द मॉडर्न मोनार्की के प्रोफेसर पॉलीन मैकलारन कहते हैं, "जैसे ही चार्ल्स सिंहासन के करीब पहुंचे, जनता की धारणा को बदलने का प्रयास किया गया है."

प्रोफेसर मैकलारन कहते हैं कि स्पिटिंग इमेज जैसे कॉमेडी शो में पूर्व में जिस तरह उन्हें व्यंग्य का विषय बनाया जाता था, उसे धीरे-धीरे एक अधिक प्रतिष्ठित व्यक्ति, एक "ऋषि" के रूप में बदल दिया गया है, जो पर्यावरण के बारे में गंभीर बातें कहते हैं.

जनता के हित हमेशा इतने उच्च विचारों वाले नहीं हो सकते. वे प्रिंस हैरी, डचेस ऑफ ससेक्स मेगन और शाही परिवार के साथ उनके संबंधों से जुड़ी कहानियां सुनने को बेताब रहेंगे. शाही परिवार के मुखिया के तौर पर चार्ल्स को हमेशा ऐसे लोगों से जूझना होगा.

सम्राट चार्ल्स को दूसरे मुश्किल पारिवारिक निर्णयों का सामना करना पड़ेगा, जैसे वर्जीनिया गिफ्रे के यौन उत्पीड़न के दावों के बाद हुए समझौते के बाद भविष्य में प्रिंस एंड्रयू की क्या भूमिका होगी, या नहीं होगी.

ब्रिटेन के बाहर, एक बड़ी चुनौती राष्ट्रमंडल के साथ अधिक आधुनिक संबंधों को फिर से परिभाषित करना होगा. इसके नए प्रमुख के रूप में, राष्ट्रमंडल देशों की उनकी यात्रा उपनिवेशवाद की कठिन विरासतों और गुलामी जैसे मुद्दों से कैसे निपटेगी?

किंग चार्ल्स 14 देशों के साथ-साथ ब्रिटेन के भी राष्ट्राध्यक्ष बन गए हैं. इनमें से कुछ राष्ट्रमंडल के सदस्यों के रूप में रहते हुए गणतंत्र बनना चाहेंगे, और किंग चार्ल्स ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि वह बदलाव के बारे में बड़े पैमाने पर बातचीत के लिए तैयार हैं.

पहले से ही ऐसे निर्णय लिए जा चुके हैं जिन्होंने उनके नए शासन का मार्ग प्रशस्त किया है. उन्होंने बेशक तब खुशी हुई होगी जब उनकी मां ने कहा कि कैमिला को राजकुमारी के बजाय रानी पत्नी की उपाधि का उपयोग करना चाहिए.

कैमिला एक अहम सहयोगी होंगी क्योंकि वह ऐसी उम्र में दुनिया की सर्वोच्च पद की ज़िम्मेदारी उठाने जा रहे हैं, जब अधिकांश लोग सेवानिवृत्त हो जाते हैं.

ये क्षण, तमाम गंभीर औऱ कठिन माहौल में भी, जीवन भर उनकी प्रतीक्षा करता रहा है.

ये अब सम्राट चार्ल्स का व़क्त है. (bbc.com/hindi)

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