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रोहिंग्या शरणार्थियों का लंबे समय तक रहना बांग्लादेश की सुरक्षा, स्थिरता के लिए खतरा: हसीना
12-Sep-2022 9:36 PM
रोहिंग्या शरणार्थियों का लंबे समय तक रहना बांग्लादेश की सुरक्षा, स्थिरता के लिए खतरा: हसीना

ढाका, 12 सितंबर। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने सोमवार को कहा कि देश में शिविरों में 10 लाख से अधिक रोहिंग्या शरणार्थियों का लंबे समय तक रहना सुरक्षा और स्थिरता के लिए एक गंभीर चिंता का विषय बन गया है।

शेख हसीना ने भारत-प्रशांत क्षेत्र के 24 देशों के सैन्य अधिकारियों की तीन दिवसीय बैठक के उद्घाटन समारोह में कहा, ‘‘रोहिंग्या शरणार्थियों के लंबे समय तक रहने से उनके अपने कष्टों के अलावा बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था, पर्यावरण, सुरक्षा और सामाजिक-राजनीतिक स्थिरता पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है।’’

बांग्लादेश सेना के साथ अमेरिका ‘हिंद-प्रशांत सैन्य प्रबंधन संगोष्ठी’ का सह-मेजबान है। इसमें हिस्सा लेने वाली देशों की सेनाएं आपदा प्रबंधन, अंतरराष्ट्रीय अपराध, सुरक्षा मुद्दों और महिला सशक्तिकरण पर चर्चा कर रही हैं, वहीं बांग्लादेश मंच का उपयोग म्यांमार में हिंसा के चलते भागे रोहिंग्या शरणार्थियों के मुद्दे को उजागर करने के लिए कर रहा है।

बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल एस एम शफीउद्दीन अहमद ने कहा कि बैठक में भाग लेने वाले प्रतिभागी रोहिंग्या शरणार्थी शिविरों का दौरा करेंगे जिसमें अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, जापान, इंडोनेशिया, भारत, चीन और वियतनाम के प्रतिभागी शामिल हैं।

अहमद ने कहा कि सैन्य अधिकारियों को कॉक्स बाजार जिले के शिविरों में ले जाया जा रहा है ताकि उन्हें शरणार्थी संकट की गंभीरता और यह ‘‘स्पष्ट रूप से समझाया’’ जा सके कि उन्हें म्यांमार वापस भेजना क्यों आवश्यक है।

हसीना ने कहा कि शरणार्थियों को वापस भेजना ही इस संकट का एकमात्र समाधान है, लेकिन बांग्लादेश उन्हें म्यांमार वापस जाने के लिए मजबूर नहीं करेगा।

चीन द्वारा मध्यस्थता में एक द्विपक्षीय समझौते के तहत शरणार्थियों को वापस भेजने के कम से कम दो प्रयास विफल होने के बाद बांग्लादेशी अधिकारियों ने निराशा व्यक्त की है। मुस्लिम रोहिंग्या ने कहा है कि बौद्ध बहुल म्यांमार में स्थितियां बहुत खतरनाक हैं, जहां उन्हें व्यापक भेदभाव का सामना करना पड़ता है।

यूएस आर्मी पैसिफिक के कमांडिंग जनरल चार्ल्स ए फ्लिन ने संवाददाताओं से कहा कि वह नीतिगत सवालों का जवाब नहीं दे सकते, जैसे कि सेनाएं कैसे रोहिंग्या को म्यांमार वापस भेजने में मदद कर सकती हैं। उन्होंने हालांकि प्रतिनिधिमंडल के शरणार्थी शिविरों के दौरे की व्यवस्था करने के लिए बांग्लादेश को धन्यवाद दिया।

रोहिंग्या संकट अंतरराष्ट्रीय अदालतों में चला गया है, जहां म्यांमार ने कुछ भी गलत करने से इनकार किया है।

पिछले महीने, अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा था कि अमेरिका रोहिंग्या और म्यांमार के सभी लोगों के लिए ‘‘न्याय और जवाबदेही को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध’’ है। (एपी)

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