अंतरराष्ट्रीय
इमेज स्रोत,HILARY HOSIA/MARSHALL ISLANDS JOURNA
एक चीनी दंपति की प्रशांत क्षेत्र में स्थित मार्शल द्वीपों में एक मिनी स्टेट बनाने की साज़िश की इन दिनों खूब चर्चा है.
इस फ़र्जीवाड़े को लेकर चले मुकदमे से जुड़े अमेरिकी वकीलों का कहना है कि उन्होंने अपना काम निकालने के लिए सांसदों और अधिकारियों को रिश्वत दी.
मार्शल आईलैंड्स हवाई और ऑस्ट्रेलिया के बीच कई द्वीपों की एक श्रृंखला है. पहले यह अमेरिका के अधीन था, लेकिन 1979 में इसे आज़ादी मिल गई थी.
हालांकि ये प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका का रणनीतिक अड्डा बना रहा. यहां अमेरिका अपने सुरक्षा गठजोड़ के साथ कायम है, लेकिन चीन यहां तेज़ी से अपना असर बढ़ाने की कोशिश में है.
दोनों ने मार्शल आइलैंड्स के एक सुदूर द्वीप में अर्द्ध स्वायत्त क्षेत्र कायम करने के लिए वहां के सांसदों पर दबाव डालने की कोशिश की.
इस तरह प्रशांत क्षेत्र में स्थित इस देश में विदेशी पहुंच का संदेह पैदा हो गया है.
मार्शल आईलैंड्स की संप्रभुता पर चोट की कोशिश
हालांकि मार्शल आइलैंड्स सरकार ने ऐसे आरोपों का अब तक कोई जवाब नहीं दिया है. जबकि अमेरिका के विपक्षी दल इस बारे में कई बार सवाल उठा चुके हैं.
अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि मिनी स्टेट बनाने की कोशिश करने वाले केरी यान और जिना झाऊ ने इस द्वीपीय देश की संप्रभुता को नुक़सान पहुंचाने का काम किया है.
अमेरिकी वकीलों (सरकारी अभियोजकों) का कहना है कि इन दोनों की वजह से मार्शल आईलैंड्स की संसद में 2018 और 2020 में अर्द्ध स्वायत्त क्षेत्र के गठन पर चर्चा हुई थी.
इन लोगों का कहना है कि चार्जशीट में मार्शल आईलैंड्स के जिन अनाम सांसदों ने इस बिल के समर्थन में वोट दिया उन लोगों को सात हज़ार से लेकर 22 हज़ार डॉलर तक रिश्वत दी गई.
कैसे हुआ साज़िश का भंडाफोड़
बहरहाल मार्शल आईलैंड्स में मिनी स्टेट बनाने की साज़िश रचने वाले इस जोड़े को 2020 में थाईलैंड में हिरासत में लिया गया था. पिछले सप्ताह उन्हें अमेरिका ले जाया गया.
न्यूयॉर्क में सदर्न डिस्ट्रिक्ट के अटॉर्नी डेमियन विलियम्स ने कहा, '' यान और झाऊ ने मार्शल आईलैंड्स की संप्रभुता और संसदीय मर्यादा का खुल्लमखुल्ला उल्लंघन करते हुए रिश्वत दी ''
वकीलों का कहना है कि यान और झाऊ न्यूयॉर्क में एक एनजीओ चलाते थे. इसी के ज़रिये इन लोगों ने मार्शल आईलैंड्स के अधिकारियों से संपर्क किया और उन्हें रिश्वत दी.
ये एनजीओ 2016 में शुरू हुआ था. एक सुदूर द्वीप रॉन्जलेप पर एक अर्द्ध स्वायत्त क्षेत्र बनाने की कोशिश में इन लोगों ने मार्शल आईलैंड्स के सांसदों से संपर्क किया था. 1950 में यहां अमेरिका ने हाइड्रोजन बम की टेस्टिंग की थी. इसके बाद से इस द्वीप को यूं ही छोड़ दिया गया था.
अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि यान और झाऊ का इरादा काफ़ी हद तक इस द्वीप के क़ानून को बदल देने का था. मसलन, वो चाहते थे कि इस द्वीप में लोगों की टैक्स में कटौती की जाए. यहां लोगों के आने पर जो पाबंदी लगी है उन्हें भी शिथिल किया जाए.
आरोप है कि इन लोगों ने मार्शल आईलैंड्स के छह सांसदों के साथ खाना-पीना किया था. न्यूयॉर्क और हॉन्गकॉन्ग के होटलों में उनके ठहरने और फ़्लाइट टिकट का इंतज़ाम किया गया था. यहां अर्द्ध स्वायत्त क्षेत्र के गठन के लेकर एक कॉन्फ्रेंस हुई थी और ये लोग उनके खर्चे पर यहां आए थे.
इनमें से एक अधिकारी ने रिश्वत लेकर यान को मार्शल लैंड्स का विशेष सलाहकार बनाया था.
जिन सांसदों ने रिश्वत ली थी उन्होंने 2018 में संसद में अर्द्ध स्वायत्त क्षेत्र के गठन के समर्थन में बिल पेश किया था.
हालांकि ये बिल पारित नहीं हो सका क्योंकि उस वक्त आईलैंड्स की राष्ट्रपति हिल्दा हिन ने इसका कड़ा विरोध किया था. हिल्दा ने उस समय कहा था कि विपक्षी दल चीन की ओर से काम कर रहे हैं और सुदूर द्वीपीय क्षेत्र में 'देश के भीतर देश' कायम करना चाहते हैं.
2019 में हिल्दा चुनाव हार गईं. नई संसद के गठन के बाद 2020 में एक प्रस्ताव पारित हुआ जिसने अर्द्ध स्वायत्त क्षेत्र का समर्थन किया. इसने इस तरह के क्षेत्र के गठन के लिए एक नए बिल का रास्ता साफ़ किया.
लेकिन पिछले साल यान और झाऊ थाईलैंड में पकड़ लिए गए. उन पर अमेरिका में विदेश में साज़िश रचने का आरोप लगाया गया. उनके ख़िलाफ़ मनी लॉन्ड्रिंग और रिश्वत देने से जुड़े मुकदमे किए गए. पिछले सोमवार को पूर्व राष्ट्रपति हिल्दा हिन ने ये मामला उठाया और कहा कि मार्शल आईलैंड्स की सरकार इस मुद्दे को सुलझाए.
उन्होंने पूछा कि नितिजेला ( संसद) और सरकार मार्शल आईलैंड्स से जुड़े इस मुद्दे को सुलझाने के लिए आख़िर क्या कर रही है. (bbc.com/hindi)