सामान्य ज्ञान
महामना 113 (एचयूबी 113), जौ (क्चड्डह्म्द्यद्ग4) की एक नई प्रजाति है, जिसे वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों ने विकसित की है। संस्थान के आनुवांशिकी एवं पादप प्रजनन विभाग के डॉ. लाल चंद प्रसाद (मुख्य प्रजनक) के नेतृत्व में यह प्रजाति विकसित की गई। जौ की यह नई प्रजाति प्रति हेक्टेयर 47-59 कुंतल उपज देती है। बुआई के बाद 30-35 दिन पहली सिंचाई तथा फूल आने पर दूसरी सिंचाई करनी पड़ती है। यह लगभग 120 दिन में तैयार हो जाती है। इस प्रजाति की विशेषता सीमित संसाधनों में अधिक उपज देने की है, साथ ही इसमें अधिक प्रोटीन तथा पीली गेरुई, धब्बा रोग के प्रति अधिक प्रतिरोधक गुण हैं।
संभावना व्यक्त की जा रही है कि इस प्रजाति के विकसित होने से न केवल जौ का क्षेत्रफल उत्तरी-पूर्वी भारत विशेष रूप से उत्तर प्रदेश में बढ़ेगा, बल्कि जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाले दुष्प्रभावों को भी आंशिक रूप से कम करने में सहायता मिलेगी।