संपादकीय

‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : यह जहर यूनियन कार्बाइड कारखाने के दर्जे का है...
19-Sep-2022 3:51 PM
‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय :  यह जहर यूनियन कार्बाइड कारखाने के दर्जे का है...

उत्तरप्रदेश के योगीराज का एक दिलचस्प मामला सामने आया है। पिछले पांच दिनों से देश के कई उत्साही, समर्पित, राष्ट्रवादी, और हिन्दुत्व-रक्षक टीवी चैनल यूपी के एक डॉक्टर के आंसुओं के साथ बहकर निकलते बयान को देश भर के घरों में पहुंचा रहे थे, और घरों का फर्श गीला कर रहे थे। यह डॉक्टर रोते-रोते बता रहा था कि किस तरह उसे एक अंतरराष्ट्रीय कॉल पर धमकी दी गई है कि उदयपुर और अमरावती के बाद अब सर तन से जुदा की बारी उसकी है। मतलब यह कि हिन्दू होने की वजह से उसका सिर कलम कर दिया जाएगा। मामला भयानक बतलाते हुए बड़े-बड़े टीवी चैनल टूट पड़े थे, और यह डॉक्टर रोते-रोते ही मशहूर हो गया था। इसके आंसुओं के साथ स्क्रीन पर मुस्लिमों के पहले के किसी प्रदर्शन के वीडियो जोडक़र एक बहुत ही भयानक माहौल बना दिया गया था। और फिर यह सब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के राज में हो रहा था, और एक ऐसे व्यक्ति के साथ हो रहा था जो कि भाजपा का पश्चिमी उत्तरप्रदेश का क्षेत्रीय मीडिया प्रभारी भी था। डॉ. अरविंद वत्स च्अकेलाज् नाम के इस नेता-डॉक्टर का फेसबुक भाजपा की तस्वीरों से भरा हुआ है। उसकी पुलिस शिकायत के बाद देश का नफरती मीडिया इस शिकायत को दुहने में लग गया था, और इस आदमी को देश का अगला हिन्दू शहीद साबित करने में लग गया था। लेकिन साइबर-जुर्म अधिक लंबे नहीं चलते, और इस मामले के गुब्बारे की हवा चार-पांच दिन में ही निकल गई।

यूपी के गाजियाबाद की पुलिस ने एक प्रेस नोट जारी करके कल दोपहर बाद यह बताया है कि डॉ. अरविंद की रिपोर्ट की जांच करने पर पता लगा कि उसने वॉट्सऐप पर धमकी की एक फर्जी घटना गढ़ी थी ताकि उसे लोकप्रियता मिल जाए। जिस नंबर से इस डॉक्टर ने धमकी की कॉल आना बताया वह नंबर डॉक्टर के ही एक पुराने परिचित का निकला जिससे इलाज के बारे में डॉक्टर की बात होते रहती थी। उसे सिर तन से जुदा करने की धमकी वाला कॉल बताने की उसने कोशिश की थी, लेकिन इस झूठ का भांडाफोड़ हो गया। उस नंबर वाले ने बताया कि वह इस डॉक्टर से मिल भी चुका है, और उनसे इलाज भी करवाता है। उसने अपनी बीमारी की तस्वीरें पहले भेजी हुई हैं, और डॉक्टर ने दवाईयां भी लिखर भेजी हुई हैं। अब झूठी शोहरत पाने के चक्कर ने इस डॉक्टर ने अपने को सिर कलम करने की धमकी मिलने की रिपोर्ट लिखाई थी। योगी की पुलिस ने ही यह प्रेस नोट जारी किया है कि यह फर्जी रिपोर्ट लिखाने वाले इस डॉक्टर के खिलाफ अब कार्रवाई की जा रही है।

अब एक सवाल यह खड़ा हो रहा है कि देश के बड़े-बड़े विख्यात और कुख्यात टीवी चैनलों ने इस एक रिपोर्ट की जांच भी होने के पहले इसके साथ जोडक़र जिस तरह से मुस्लिमों के किसी प्रदर्शन के वीडियो दिखाए, और इस डॉक्टर को एक हिन्दू शहीद की तरह पेश किया, उस उगले हुए इलेक्ट्रॉनिक जहर को अब कौन निगलेगा? लोगों के बीच तो वह जहर फैलाया जा चुका है, उससे जितने लोगों के मन में नफरत का सैलाब पैदा होना है वह हो चुका है, ऐसे टीवी चैनलों के समाचार बुलेटिनों के वीडियो क्लिप वॉट्सऐप पर इतने फैल चुके हैं कि वे अनंतकाल तक तैरते ही रहेंगे। तो अब यह पूरा मामला झूठा साबित होने के बाद टीवी चैनलों पर इसे लेकर जुटे हुए दो-दो, चार-चार स्टार-एंकर अब कहां जाएंगे? जिन हिन्दूवादी कथित संतों ने इस डॉक्टर के आंसू पोंछते हुए मुस्लिमों के खिलाफ नफरत फैलाई थी, वे अब कहां मुंह छिपाएंगे? वैसे आज हिन्दुस्तान में नफरत की बात करने वालों को मुंह छिपाने की जरूरत नहीं रहती क्योंकि उनके जहर के खरीददार बहुत हैं। जहर जितना अधिक जानलेवा हो, उसकी उतनी ही बड़ी जगह भी टीवी चैनलों पर बन जाती है। और फिर हिन्दुस्तान में आज तक किस टीवी चैनल ने लोगों को मुंह छिपाने को मजबूर किया है? अभी तो वे सारे टीवी एंकर शोहरत के (या बदनामी के?) आसमान पर पहुंचे हुए हैं जिन्होंने दो हजार के नोट में एक चिप रहने का रहस्य खोला था, और बताया था कि जमीन की कितनी गहराई में यह नोट रहने पर भी मोदी का उपग्रह उसकी लोकेशन ढूंढ निकालेगा, और आकर दबोच लेगा। इस तरह की बहुत सारी शानदार मिसालें हाल के बरसों में टीवी समाचार चैनलों ने पेश की हैं, और इनमें से किसी को भी मुंह नहीं छिपाना पड़ा, क्योंकि जब झूठ का भांडाफोड़ होने की नौबत आती है, तो कभी कंगना छा जाती है, तो कभी चीता आ जाता है।

आज इस देश में प्रेस कौंसिल से लेकर ब्रॉडकास्टिंग पर काबू रखने वाले एक संगठन का भी अस्तित्व है। लेकिन मजे की बात यह है कि बड़े-बड़े नामी-गिरामी लोगों की अगुवाई वाले ये संगठन मीडिया के किसी भी तरह के जुर्म के दर्जे के कारनामों पर भी कुछ नहीं करते। नतीजा यह है कि मीडिया एक गंदा शब्द हो गया है, और उसके साथ तरह-तरह के विशेषण इस्तेमाल होने लगे हैं, जो कि असल में गालियां हैं। आज हिन्दुस्तान में यह सोचने की जरूरत है कि भोपाल के यूनियन कार्बाइड के कारखाने से निकली जहरीली गैस सरीखी जो खबरें ये टीवी चैनल पेश कर रहे हैं, और इस देश के लोगों को एक-दूसरे के खिलाफ नफरत से भर रहे हैं, उनका क्या इलाज हो सकता है? आज तो हिन्दुस्तानी समुदाय इनके किए हुए इतना बीमार हो चुका है कि उसकी नफरती सोच का इलाज भी अगले दो-चार चुनावों के गुजर जाने तक मुमकिन नहीं दिख रहा है। जब बात-बात में देश के गद्दार होने के तमगे लोगों को बांटे जाते हैं, तो यूपी के इस डॉक्टर के बारे में तो कानून को तय करना चाहिए कि नफरत फैलाने, साम्प्रदायिकता भडक़ाने, और उसकी शोहरत पाने की यह हरकत कितने बरस कैद के लायक है।
(क्लिक करें : सुनील कुमार के ब्लॉग का हॉट लिंक)

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