अंतरराष्ट्रीय
-फ़्रांसेस माओ
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने अपने हालिया इंटरव्यू में कहा है कि अगर चीन ने ताइवान पर हमला किया तो अमेरिकी फ़ौज उसकी रक्षा करेगी.
बाइडन इससे पहले भी इस तरह का बयान दे चुके हैं.
लेकिन अमेरिकी न्यूज़ मीडिया समूह सीबीएस को दिए इंटरव्यू में उन्होंने स्पष्ट रूप से इस बारे में बात की है.
इस इंटरव्यू में उनसे पूछा गया था कि क्या ऐसी स्थिति सामने आने पर अमेरिकी फौज़ ताइवान की सुरक्षा करेगी.
इसका जवाब उन्होंने 'हां' में दिया था.
चीन ने राष्ट्रपति बाइडन के बयान की आलोचना की है. चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि उन्होंने अमेरिका से अपना विरोध जताया है.
चीन की विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने नियमित प्रेस ब्रीफ़िंग में कहा कि चीन को सभी ज़रूरी क़दम उठाने का अधिकार है.
उन्होंने अमेरिका से अपील की कि वो ताइवान से जुड़े मुद्दों पर सावधानी पूर्वक व्यवहार करे और ताइवान की आज़ादी के लिए अलगाववादी गुटों को ग़लत संदेश न भेजे.
माओ निंग ने कहा कि दुनिया में एक ही चीन है और ताइवान चीन का हिस्सा है.
फिर व्हाइट हाउस से आया स्पष्टीकरण
लेकिन बीते रविवार इस इंटरव्यू के प्रसारण के बाद व्हाइट हाउस ने एक बार फिर कहा है कि ताइवान को लेकर अमेरिका की नीति में किसी तरह का बदलाव नहीं आया है.
इस मुद्दे को लेकर अमेरिकी नीति में हमेशा एक तरह की "रणनीतिक अस्पष्टता" रही है. इसका आशय ये है कि अमेरिका ताइवान की रक्षा करने का वादा नहीं करता और न ही वह इससे इनकार करता है.
ताइवान चीन के पूर्वी तट से थोड़ी दूरी पर स्थित एक द्वीप है जिसे चीन अपना क्षेत्र बताता आया है. अमेरिका इस मुद्दे पर लंबे समय से कूटनीतिक असमंजस का शिकार रहा है क्योंकि अमेरिका 'वन चाइना पॉलिसी' का पालन करता है जो उसके और चीन के रिश्तों के लिहाज़ से बेहद अहम है.
इस नीति के तहत ताइवान चीन का एक हिस्सा है और इस पर किसी को आपत्ति नहीं है. ऐसे में अमेरिका ताइवान को एक अलग मुल्क के रूप में नहीं स्वीकार करता है और इसके साथ अमेरिका के कूटनीतिक संबंध भी नहीं हैं.
लेकिन वह ताइवान से क़रीबी संबंध रखता है और ताइवान रिलेशंस ऐक्ट के तहत हथियार भी बेचता है. इस क़ानून के तहत अमेरिका को ताइवान को वो सब देना चाहिए जिससे वह ख़ुद की रक्षा कर सके.
बाइडन ने इस नीति को सीबीएस को दिए इंटरव्यू के दौरान भी दोहराया है.
उन्होंने कहा, "एक वन चाइना पॉलिसी है और ताइवान अपनी स्वतंत्रता को लेकर फ़ैसला कर सकता है. हम किसी तरह का बदलाव नहीं कर रहे हैं और उनके स्वतंत्र होने की सराहना नहीं कर रहे हैं, ये उनका अपना फ़ैसला है."
बाइडन ने पहले क्या कहा था
बाइडन ने इससे पहले मई में भी कहा था कि ताइवान पर हमला होने की स्थिति में वह सैन्य दखल देंगे.
इसके तुरंत बाद व्हाइट हाउस की ओर से बयान आया था कि अमेरिकी दीर्घकालिक चीन नीति में किसी तरह का परिवर्तन नहीं किया गया है.
इस बार भी व्हाइट हाउस ने ऐसा बयान दिया है जो राष्ट्रपति जो बाइडन के बयान की तुलना में विरोधाभासी नज़र आता है.
व्हाइट हाउस ने कहा है कि ''राष्ट्रपति इस बारे में इस साल की शुरुआत में टोक्यो में भी कह चुके हैं. उन्होंने ये स्पष्ट कर दिया था कि हमारी ताइवान नीति नहीं बदली है."
लेकिन ये साल 2022 में तीसरा मौक़ा है जब राष्ट्रपति बाइडन ने अमेरिका के आधिकारिक रुख़ से आगे बढ़कर सैन्य कार्रवाई के संकेत दिए हैं. इससे पहले उन्होंने अक्तूबर 2021, मई 2022 और अब सितंबर 2022 में इस तरह के संकेत दिए हैं.
अमेरिका ने किया हथियार बेचने का सौदा
इस महीने की शुरुआत में अमेरिका ने ताइवान के साथ 1.1 अरब डॉलर का हथियार और मिसाइल डिफ़ेंस सिस्टम बेचने का क़रार किया है. इसके बाद चीन की नाराज़गी सामने आई है.
और हाल ही में अमेरिकी हाउस स्पीकर नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा की वजह से अमेरिका और चीन के बीच तनाव अपने चरम पर पहुँच गया था.
स्पीकर नैंसी पेलोसी और कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने ताइवान पहुँचने पर एक बयान जारी कर कहा था- ''हमारे कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल की ताइवान यात्रा यहाँ के जीवंत लोकतंत्र का समर्थन करने के लिए अमेरिका की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाती है. ये हमारी इंडो-पैसिफ़िक यात्रा का हिस्सा है जिसमें सिंगापुर, मलेशिया, दक्षिण कोरिया और जापान शामिल हैं. ये यात्रा सुरक्षा, आर्थिक साझेदारी और लोकतांत्रिक शासन के मुद्दों पर केंद्रित है.
इसके बाद चीन ने पाँच दिन तक चलने वाला सैन्य अभ्यास किया था.
चीन की सरकारी मीडिया 'ग्लोबल टाइम्स' ने एक ट्वीट में लिखा था कि 'चीनी सेना ताइवान के चारों ओर छह जगहों पर एक महत्वपूर्ण सैन्य अभ्यास करेगी जिसमें लाइव फ़ायर ड्रिल शामिल होगा.'
इसके बाद अमेरिका ने दावा किया है कि इस अभ्यास के दौरान चीन ने कुछ मिसाइलें लॉन्च की थीं जो ताइवान के आसमान से होकर गुजरी थीं. लेकिन चीन ने इसकी पुष्टि नहीं की.
ताइवान ने इस पर कहा था कि चीन द्वारा लॉन्च की गई मिसाइलें काफ़ी ऊँचाई से होकर गुजरी थीं जिन्होंने द्वीप के लिए किसी तरह का ख़तरा पेश नहीं किया. (bbc.com/hindi)