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पाकिस्तान में बाढ़ के दौरान बढ़ रहे 'बाल विवाह' के मामले, क्या हैं कारण?
25-Sep-2022 12:04 PM
पाकिस्तान में बाढ़ के दौरान बढ़ रहे 'बाल विवाह' के मामले, क्या हैं कारण?

-शबीना फ़राज़

"क्यों, क्या बाढ़ में लड़की की शादी नहीं हो सकती है? इस आपदा में अगर हमें अपनी बेटी के रिश्ते के बदले में 50 हज़ार रुपये मिल रहे हैं, तो आप मीडिया वालों को क्या परेशानी है?"

जब क़ादिर बख़्श (बदला हुआ नाम) इस बारे में बात कर रहे थे तो उनकी आवाज़ में गुस्सा साफ़ झलक रहा था क्योंकि उनके मुताबिक़ हम इस बारे में बात करके उनके निजी मामलों में दख़ल दे रहे थे.

वह पहले ही हमारे साथ अपनी बेटी की शादी के विषय पर बात करने के लिए तैयार नहीं थे.

वो कहते हैं, "हमारा घर, सामान सब पानी में बह गया है. कोई हमारी मदद नहीं कर रहा है, सरकार भी मदद नहीं कर रही है, हमें एक किलो आटा तक नहीं मिला. पानी उतरेगा और हम वापस गांव चले जाएंगे, तो वहां खाली हाथ क्या करेंगे? ये पैसे हमारा घर बनाने के काम आएंगे."

दादू ज़िले की मेहड तहसील के एक गांव में रहने वाले क़ादिर बख़्श से हमारी बातचीत फ़ोन पर हुई थी. 50 वर्षीय क़ादिर बख़्श के दो बेटे और दो बेटियां हैं. उनके मुताबिक़ उनकी बड़ी बेटी की उम्र क़रीब 12 साल है तो छोटी की उम्र लगभग दस साल है.

बाढ़ के कारण बेघर होने के बाद उन्होंने अपनी बड़ी बेटी का रिश्ता अपने रिश्तेदारी में तय कर दिया है. क़ादिर बख़्श ने ये रिश्ता 50 हज़ार रुपये में तय किया है. उनके मुताबिक़ उन्हें 25 हज़ार रुख़सती से पहले मिल चुके हैं जबकि बाक़ी रक़म शादी के दिन देने का वादा किया गया है.

क़ादिर के मुताबिक़, उनकी बेटी की शादी एक महीने बाद होने वाली है. उनका कहना है कि वह अपनी दूसरी बेटी के लिए भी रिश्ता तलाश रहे हैं. लेकिन उन्होंने इस बारे में विस्तार से नहीं बताया और यह कहते हुए बात ख़त्म कर दी कि यह उनका निजी मामला है.

पाकिस्तान पहले लंबे समय तक मॉनसून की वजह से होने वाली भारी बारिश से और अब भयानक बाढ़ के कारण पैदा हुई आपदा का सामना कर रहा है. बाढ़ से सबसे अधिक प्रभावित सिंध प्रांत में 23 ज़िलों को आपदाग्रस्त घोषित किया जा चुका है. एनडीएमए के अनुसार एक करोड़ 45 लाख से अधिक लोग बाढ़ के कारण पूरी तरह से या फिर आंशिक तौर पर प्रभावित हैं.

इस हालात में महिलाओं, विशेष रूप से कम उम्र की लड़कियों के लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं. कई प्रभावित क्षेत्रों से अब ये ख़बरें सामने आ रही है कि लोग अपनी कम उम्र लड़कियों के रिश्ते तय कर रहे हैं.

जब क़ादिर बख़्श को बताया गया कि 12 साल की लड़की की शादी करना क़ानूनन अपराध है, तो उन्होंने कहा, "पहले सरकार से हमारी मदद करने के लिए कहो, फिर हमें समझाना कि क्या ग़लत है और क्या सही है."

इसके बाद वो बोले, "हम छह लोग खाना कहां खाएंगे, मेरी पत्नी बीमार है उसके लिए दवा का इंतज़ाम कौन करेगा? पता नहीं पानी कब उतरेगा और कब हम वापस घर जाएंगे? तब तक हमारा गुज़ारा कैसे होगा? हमारी समस्याओं का समाधान कौन करेगा?"

ज़ाहिर है कि क़ादिर बख़्श के इन सवालों का जवाब हमारे पास नहीं था.

ग़ैर-सरकारी संगठन 'ज़िंदगी डेवलपमेंट ऑर्गेनाइज़ेशन' से जुड़ी मेहताब सिंधु आजकल सिंध के दादू ज़िले और उसके आसपास के इलाक़ों में बाढ़ पीड़ितों के लिए राहत कार्यों में लगी हुई हैं.

उनका दावा है कि इस तरह के फ़ैसले लेने वालों में क़ादिर बख़्श अकेले नहीं हैं, बल्कि उनके गांव में अलग-अलग परिवारों में अब तक दो दर्जन लड़कियों की शादी तय कर दी गई हैं और उनमें से कोई भी बच्ची अठारह साल की नहीं है. हालांकि, बीबीसी मेहताब सिंधु के इस दावे की स्वतंत्र रूप से पुष्टि नहीं कर सका है.

"हमारा घर, सामान सब पानी में बह गया है. राहत के लिए एक किलो आटा तक नहीं मिला है. पानी उतरेगा और हम वापस अपने गांव चले जाएंगे, तो हम वहां खाली हाथ क्या करेंगे?'

'बेटी की उम्र कम है, तो क्या फ़र्क़ पड़ता है'

मेहताब का दावा है कि जिन पुरुषों से इन लड़कियों की शादी तय की गई है उनमें से कुछ की उम्र बहुत ज़्यादा है.

उन्होंने दावा किया कि ये सभी रिश्ते पैसों के लिए तय किए गए हैं और इसका मुख्य कारण बाढ़ के कारण बेघर होने वालों की पुनर्वास और कच्चे घर की ज़रूरत है.

ऐसी ही 16 साल की एक बच्ची की मां नज़ीरां से जब फ़ोन पर हमारी बात हुई तो उन्होंने स्वीकार किया कि वो पैसों के लिए बेटी की शादी कर रही हैं. वो कहती हैं, "हां, हम रिश्ते के बदले पैसे लेते हैं. हम पर क़र्ज़ भी है और बाढ़ की वजह से लाचार भी हैं, तो हम और क्या करें?"

जब नज़ीरां को हमने कहा कि उनकी बेटी की उम्र कम है, तो उन्होंने कहा, कि "इससे क्या फ़र्क़ पड़ता है?"

पिछले दिनों यहां के हैदराबाद के एक राहत कैंप में भी दो शादियां हुई हैं. रिश्ता करने वालों ने बताया कि लड़कों की उम्र 25 साल और लड़कियों की उम्र 18 साल से ज़्यादा है. लेकिन इलाक़े में काम करने वाले कुछ सामाजिक कार्यकर्ता और राहतकर्मी इस बात को लेकर शक़ जता रहे हैं.

बाल विवाह में पाकिस्तान छठे स्थान पर
कम उम्र में लड़कियों की शादी की रोकथाम के बारे में, संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूनिसेफ़ का कहना है कि सिंध को छोड़कर पाकिस्तान में 16 साल की लड़कियों की शादी क़ानूनन रूप से स्वीकार्य है, जिसके कारण पाकिस्तान लड़कियों के बाल विवाह के मामले में दुनिया में छठे स्थान पर है. और यहां ऐसी लड़कियों की संख्या क़रीब 19 लाख है.

यूनिसेफ़ के मुताबिक़, पाकिस्तान में 21 फ़ीसद से ज़्यादा लड़कियों की शादी 18 साल की उम्र से पहले कर दी जाती है और तीन फ़ीसदी अपना 15वां जन्मदिन ससुराल में ही मनाती हैं.

बाढ़ प्रभावित इलाक़ों में काम करने वाले कार्यकर्ताओं का कहना है कि अगर बाढ़ पीड़ितों में कम उम्र बच्चियों की शादी नहीं रोकी गई तो पाकिस्तान निश्चित रूप से इस सूची में और ऊपर आ जाएगा और इसे सुधारने के लिए अब तक जो प्रयास किए गए हैं, वो सब मिट्टी में मिल जाएंगे.

एक अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट के अनुसार, आपदाओं के दौरान महिलाओं के उत्पीड़न के मामले कम-से-कम तीस से चालीस प्रतिशत तक बढ़ जाते हैं और कुछ विशेषज्ञों के अनुसार, माता-पिता लड़कियों को उत्पीड़न से बचाने के लिए भी जल्द से जल्द शादी करने के लिए मजबूर हो जाते हैं.

प्राकृतिक आपदाओं के दौरान कम उम्र में विवाह करने के संबंध में जाने-माने क़ानून विशेषज्ञ जिब्रान नासिर का कहना था कि ऐसा होता है. 2005 के भूकंप में हमने ऐसे कई मामले देखे थे. वो कहते हैं, "न केवल बाल विवाह बल्कि बच्चियों के अपहरण की भी ख़बरें आई थीं."

जिब्रान नासिर का कहना है कि बाल विवाह के लिए क़ानून मौजूद हैं जिनमें क़ाज़ी, शादी के गवाहों और माता-पिता तक के लिए सज़ा का प्रावधान हैं.

जिब्रान नासिर ने कहा कि चाइल्ड प्रोटेक्शन अथॉरिटी, पुलिस और ज़िलाधिकारी तीनों की ज़िम्मेदारी है कि इस तरह की शादियों को रोकें.

उन्होंने कहा कि "अगर कोई लड़की की शादी सिर्फ़ इसलिए कर रहा है कि उसके पास ख़र्च के लिए पैसे नहीं हैं, तो इसके लिए उन ग़रीब माता-पिता से कहीं ज़्यादा ज़िम्मेदार सरकार है. यह सरकार की ज़िम्मेदारी है कि वह लोगों की समस्याओं का समाधान करे. अगर इस समय कोई स्वायत्त निकाय व्यवस्था होती तो निश्चित तौर पर समस्याएं कुछ कम होतीं."

सिंध के सूचना मंत्री शरजील इनाम मेमन ने बाढ़ पीड़ितों में बच्चियों की शादी के बारे में बात करते हुए कहा कि अभी तक ऐसी कोई जानकारी उनके पास नहीं पहुंची है. वो कहते हैं कि सरकार हर तरह से लोगों की ज़रूरतों का ध्यान रख रही है.

वो कहते हैं, "उन्हें खाना, पानी, राशन और टेंट उपलब्ध कराया जा रहा है और हम यह भी वादा करते हैं कि सरकार सभी को घर बना कर देगी. फिर लोग परेशान क्यों हैं?"

शरजील इनाम मेमन ने कहा कि नाबालिग लड़कियों की शादी रोकने को लेकर क़ानून मौजूद हैं. उन्होंने कहा, "अगर हमें सूचना मिलती है, तो निश्चित रूप से क़ानून के तहत उन्हें रोका जाएगा."

बाल विवाह को ख़त्म करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर स्थापित 'नेशनल चैंपियन कॉकस ऑफ़ पार्लियामेंट' की सदस्य सीनेटर कृष्णा कुमारी का कहना है कि इस तरह की शादियों को किसी भी क़ीमत पर रोकना होगा.

वो कहती हैं, "यह क़ानून और मौलिक मानवाधिकारों का उल्लंघन है. ऐसी किसी भी घटना में लोगों को क़ानूनी मदद लेनी चाहिए."

इंडस रिसोर्स सेंटर नाम की एक ग़ैर सरकारी संगठन ने जमशोरो के पास दस टेंटों का एक छोटा-सा राहत शिविर स्थापित किया है. यहां दस परिवार रहते हैं.

इस संस्था की डिस्ट्रिक्ट मैनेजर फ़रज़ाना बोरेरो कहती हैं, "शादी कोई खेल या मनोरंजन नहीं है, यह एक बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी है. इन परिस्थितियों में कोई विवाहित जोड़ा अपना नया जीवन कैसे शुरू कर सकता है? और फिर अगर ये लड़कियां इतनी कम उम्र में गर्भवती हो जाएंगी तो उनकी देखभाल कैसे होगी?"

वो सवाल करती हैं, "इन लड़कियों और उनके होने वाले बच्चों की जान जोखिम में क्यों डाली जा रही है?"

सिंध में क़ानून बाल विवाह का विरोध तो करता है, लेकिन बाढ़ में डूबे इन ग़रीब लोगों तक शायद सरकार की तरह क़ानून भी न पहुंच सके. (bbc.com/hindi)

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