संपादकीय

‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : चाइल्ड पोर्नोग्राफी पर आज हो रही कार्रवाई काफी नहीं, और जरूरी
25-Sep-2022 4:23 PM
‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय :  चाइल्ड पोर्नोग्राफी पर आज हो रही कार्रवाई काफी नहीं, और जरूरी

दुनिया भर की पुलिस और साइबर जांच एजेंसियों से मिली जानकारी के आधार पर कल हिन्दुस्तान में सीबीआई ने 21 राज्यों में करीब पांच दर्जन जगह तलाशी ली, और कई लोगों को बच्चों से जुड़ी हुई सेक्स सामग्री रखने के जुर्म में गिरफ्तार किया। कुछ अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां लगातार चाइल्ड-सेक्स सामग्री पर नजर रखती हैं, और जो लोग इन्हें इंटरनेट पर किसी जगह रखते हैं, एक-दूसरे को भेजते हैं, डाउनलोड करते हैं, या अपलोड करते हैं, उन पर लगातार नजर रखी जाती है, और उसी के तहत हर कुछ महीनों में भारत में दर्जनों लोग गिरफ्तार भी होते हैं। बच्चों से जुड़ी सेक्स सामग्री कुछ खास दिमागी हालत के लोग पसंद करते हैं, और ऐसे लोग दुनिया के कई पर्यटन केन्द्रों पर भी जाते हैं जहां पर बच्चों को सेक्स के धंधे में उतारा जाता है। कई देश इस बात के लिए खासे बदनाम हैं, और बच्चों से सेक्स में दिलचस्पी रखने वाले, पीडोफाइल, इन जगहों पर चक्कर लगाते रहते हैं।

मनोविज्ञान ऐसे लोगों को मानसिक रूप से बीमार मानता है, और कानून इन लोगों को मुजरिम मानता है। लेकिन समाज में घर-परिवार के भीतर, या जान-पहचान की जगहों पर, स्कूल और खेल के मैदानों पर, और अनाथाश्रमों से लेकर बच्चों को रखने की दूसरी कई किस्म की जगहों पर ऐसे शौक रखने वाले मुजरिम मंडराते रहते हैं। यह खासकर ऐसी जगहों पर अधिक होता है जहां पर परेशानी में फंसे हुए बच्चों को रखा जाता है। ऐसे बच्चों की मानसिक हालत अधिक नाजुक रहती है, और उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से जीतना अधिक आसान समझा जाता है। दुनिया में कई जगहों पर सरकारों और जांच एजेंसियों का यह तजुर्बा रहा है कि परेशानहाल बच्चों को रखने की ऐसी जगहों पर स्वयंसेवक और समाजसेवी बनकर पहुंचने वाले लोगों में भी बहुत से लोग बच्चों से सेक्स की मानसिकता वाले होते हैं, और वे सोच-समझकर आसान निशाना पाकर इन बच्चों तक पहुंचते हैं।

दुनिया के अधिकतर देशों में बच्चों से सेक्स, या उनकी सेक्स सामग्री बनाना जुर्म है, लेकिन विकसित देशों से परे बहुत से देशों में जांच एजेंसियां इस बारे में खासी लापरवाह रहती हैं, और उनकी नजर में यह जुर्म बहुत प्राथमिकता में नहीं आता। लेकिन अब अंतरराष्ट्रीय जांच एजेंसियों के दबाव से, उनकी निगरानी में पकड़ में आने वाले लोग आज कम्प्यूटर, मोबाइल, और इंटरनेट की वजह से तुरंत ही शिनाख्त के घेरे में आ जाते हैं, और उन पर गिरफ्तारी जैसी कार्रवाई भी तुरंत हो जाती है। हिन्दुस्तान में जिस तरह के आम लोग इस जुर्म में पकड़ा रहे हैं, उससे यह भी लगता है कि उन्हें इसकी गंभीरता का अहसास नहीं रहता, और अपनी सेक्स-प्राथमिकताओं की वजह से, या किसी सनसनी के लिए वे ऐसे वीडियो आगे बढ़ाते चलते हैं। इन लोगों को देखकर यह भी लगता है कि लोगों में एक साइबर-जागरूकता की जरूरत है ताकि वे ऐसे जुर्म से बच सकें। आज कम्प्यूटर और फोन की वजह से लोगों की पहुंच ऐसी मैसेंजर सर्विसों तक है जिनसे वे एक पल में कोई ऑडियो या वीडियो दसियों हजार लोगों तक भेज सकते हैं। जब संचार के औजार इतने सहज सुलभ हो गए हैं, तो लोगों को ही कानून और सही-गलत की जानकारी देना जरूरी है। सोशल मीडिया के बड़े विकराल कारोबार में अरबों डॉलर कमाने वाले फेसबुक और ट्विटर जैसे कारोबार भी हैं, जो कि अपने प्लेटफॉर्म पर कई तरह की नग्न और अश्लील सामग्री रोकते हैं। लेकिन ये प्लेटफॉर्म भी लोगों को चाइल्ड-पोर्नोग्राफी जैसी बातों के लिए जागरूक नहीं करते हैं, किसी के पोस्ट करने के बाद उसकी सामग्री को हटा भर देते हैं। इनकी एक सामाजिक जवाबदेही यह भी है कि वे अपने सदस्यों को जागरूक करते चलें, अभी ऐसा कोई अभियान फेसबुक और ट्विटर की तरफ से दिखाई नहीं पड़ता है।

हिन्दुस्तान में लोगों में जितनी साइबर-जागरूकता आई है, उससे कई गुना अधिक रफ्तार से साइबर-औजार आ गए हैं। लोग इनके खतरों को समझ सकें, उसके पहले वे खुद खतरे में पड़ जाते हैं। आज सोशल मीडिया पर बड़े नामी-गिरामी लोग भी यह नहीं समझ पाते कि कौन सी चीजें पोस्ट करना गलत हो सकता है, और वे कानून के घेरे में आ सकते हैं। चूंकि चाइल्ड-पोर्नोग्राफी के शिकार बच्चे जिंदगी भर के लिए जख्म पाते हैं, इसलिए समाज को इस बारे में अधिक सावधान रहना चाहिए। बच्चों के साथ सेक्स-जुर्म करने वाले लोग उनकी पूरी जिंदगी के लिए उनकी मानसिकता को घायल कर जाते हैं, इसलिए इस बारे में हर देश-प्रदेश को बहुत सावधानी से और तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए। अभी हिन्दुस्तान में बीच-बीच में जो कार्रवाई होती है, वह दुनिया के दूसरे देशों के संगठनों से मिली हुई जानकारी और सुबूत के आधार पर होती है। ऐसी कार्रवाई का दायरा बढऩा चाहिए, और ऐसे मुजरिमों पर की गई कार्रवाई का प्रचार भी होना चाहिए, ताकि दूसरे लोग सावधान हो जाएं, और सुधर जाएं।
(क्लिक करें : सुनील कुमार के ब्लॉग का हॉट लिंक)

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