ताजा खबर

यूपी में 40 दिनों से हो रहा बेटे के शव का इंतज़ार, सऊदी अरब से कब आएगा राम मिलन का शव- ग्राउंड रिपोर्ट
28-Sep-2022 10:14 PM
यूपी में 40 दिनों से हो रहा बेटे के शव का इंतज़ार, सऊदी अरब से कब आएगा राम मिलन का शव- ग्राउंड रिपोर्ट

इमेज स्रोत,BBC/SARTAJ ALAM

मोहम्मद सरताज आलम

26 साल के राम मिलन के शव का इंतज़ार उत्तर प्रदेश के कौशांबी के 'अमुरा' गांव में उनके परिवार को कई हफ़्तों से है.

राम मिलन की मौत 18 अगस्त 2022 को सऊदी अरब के दम्माम शहर में हो गई थी जहां राम मिलन 'प्रिंस मोहम्मद बिन फ़हद यूनिवर्सिटी' में सफ़ाई कर्मचारी थे.

"बेटे की मौत की ख़बर के बाद घर में दस दिन तक चूल्हा नहीं जला. पास-पड़ोस व रिश्तेदार दो वक़्त के खाने की व्यवस्था करते थे. लेकिन ये कब तक चलता क्योंकि बेटे का शव न आने के कारण शोक की अवधि बढ़ती जा रही थी." ये कहना है राम मिलन की 65 साल की मां नत्थी देवी का.

जब उनसे राम मिलन की मौत के बारे में पूछा गया तो उनके आंसू रुक नहीं रहे थे और वो एक ही वाक्य दोहराती जा रही थीं कि "किसी तरह मेरे बेटे का चेहरा एक बार मुझे दिखा दें."

राम मिलन की दो बेटियां हैं, संजना की उम्र महज़ छह महीने है तो बड़ी बेटी संध्या तीन साल की है.

राम मिलन की पत्नी राजवंती ने बताया कि दोनों बेटियों को बेहतर शिक्षा मिल सके, ये सपना आंखों में संजोए ही उनके पति सऊदी अरब गए थे.

भर्राती हुई आवाज़ में उन्होंने बताया, "अरब जाने से पहले वह कभी ईंट भट्ठे में काम करते तो कभी खेतों में, कभी दिल्ली तो कभी मुम्बई जाकर मज़दूरी करते. इस तरह साल में 20 से 30 हज़ार रुपये ही बचा पाते. इसका एक बड़ा हिस्सा मेरी सास व ससुर के इलाज में ख़र्च हो जाता. इसलिए राम मिलन ने अरब का रुख़ किया."

उनकी मां नत्थी देवी ने कहा कि बेटे को अरब भेजने में एक लाख तीस हज़ार रुपये ख़र्च हुए थे. वे कहती हैं, "इनमें से लगभग 85 हज़ार रुपये मैंने रिश्तेदारों से क़र्ज़ लिया, जो अभी तक अदा नहीं हो सका है. जबकि कुछ रक़म मेरी बहू ने अपने गहने बेचकर जुटाई."

बात सरहद पार
राजवंती ने कहा, "मैंने गहने बेच दिए कि कल जब पैसे होंगे तब वापस गहने ख़रीद लूंगी, लेकिन भविष्य कौन जानता है. अब वो इस दुनिया में नहीं हैं. दो बेटियों और सास-ससुर की ज़िम्मेदारी मुझ पर है, जीविका चलाने के लिए अब वह गहने भी नहीं हैं जिन्हें बेच सकूं."

राम मिलन के 70 वर्षीय पिता इंद्रजीत सरोज दमा के मरीज़ हैं. वह बताते हैं, "मैंने चार बेटों को रिक्शा चला कर पाला-पोसा. दमा के कारण आठ वर्षों से घर पर हूं. तीन बेटे अलग रहते हैं. मैं राम मिलन के परिवार के साथ रहता हूं. पांच वर्ष पहले मुझे प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत ये घर मिला, तब जाकर सर ढकने को छत नसीब हुई. जब बेटा अरब गया तो लगा कि हालात बदल जाएंगे, लेकिन नियति को कुछ और ही मंज़ूर था."

बेटे के बारे में पिता बताते हैं, "इस साल 27 फ़रवरी को मैन पावर सप्लाई कंपनी के एक हज़ार रियाल के वेतन पर मेरा बेटा जेद्दाह गया. पहले महीने उसे सिर्फ़ पंद्रह दिनों तक काम मिला जिसकी सैलरी भी मिली. लेकिन फिर तीन महीने तक उसका काम बंद रहा. हालांकि इस दौरान कंपनी उन्हें खाने के लिए तीन सौ रियाल देती रही. वे फ़ोन करके कहते थे कि परेशान न हों, काम शुरू होते ही क़र्ज़ चुकता कर दूंगा."

मुआवजे़ की प्रक्रिया क्या है?
"जून में राम मिलन की कंपनी ने उनको दम्माम भेज दिया. 18 अगस्त को उन्होंने कहा कि जून, जुलाई, अगस्त की पेमेंट पांच सितंबर को एक साथ भेजूंगा ताकि क़र्ज़ का कुछ हिस्सा अदा हो जाए."

अब सवाल ये भी है कि बेटे की मौत के बाद उसकी पेमेंट कब और कैसे मिलेगी.

राम मिलन के बक़ाया वेतन पर दम्माम में मौजूद उनके सुपरवाइज़र सूर्या नारायण ने बताया कि उनकी कंपनी ने पेमेंट की प्रक्रिया पूरी कर दी है. जो जल्द ही राम मिलन के परिवार को भेज दी जाएगी.

प्रवासी मज़दूरों को लेकर काम करने वाले एक्टिविस्ट्स के मुताबिक़, मुआवज़े की प्रक्रिया मौत की परिस्थितियों के आधार पर भिन्‍न-भिन्‍न होती हैं. जैसे- काम के दौरान दुर्घटना पर अलग मुआवज़ा है जबकि नैचुरल मौत पर बहुत कम है. जबकि मुआवज़े के दावे को निपटाने में लगने वाला समय मामला-दर-मामला बदलता रहता है जो मामले की जटिलता पर निर्भर करता है.

विदेश मंत्रालय के अनुसार वेबलिंक के माध्यम से आवेदन दाख़िल करने के बाद, संबंधित भारतीय दूतावास नश्वर अवशेषों को भारत वापस लाने और मृत्यु मुआवज़ा प्राप्त करने के लिए सभी आवश्यक क़दम उठाता है.

मानक पद्धति के अनुसार, यह दूतावास के ज़रिए भारत में संबंधित ज़िलाधिकारी के माध्यम से भेजा जाता है. वैकल्पिक रूप से, यह राशि नियोक्ता सीधे परिवार को भी हस्तांतरित कर सकता है.

कैसे हुई मौत, बेटे ने आखिरी बार क्या बताया था?
राम मिलन से अंतिम बार क्या बात हुई, इस प्रश्न पर राम मिलन की माता नत्थी देवी ने कहा कि 18 अगस्त की सुबह बेटे से अंतिम बार बात हुई. उस दिन ड्यूटी पर जाने से पहले राम मिलन ने वीडियो कॉल की थी. बातचीत के दौरान उसने कहा कि "अम्मा मुझे सीने में दर्द हो रहा है. उसके बाद उसने अपनी शर्ट उतार कर दिखाया कि अम्मा देखिए कितना पसीना आ रहा है."

नत्थी देवी ने बताया कि राममिलन से मैंने कहा कि आज तुम काम पर मत जाओ. अपने कमरे में आराम करो. ज़रूरत पड़े तो डॉक्टर को दिखा दो. इसके बाद राममिलन ने कॉल डिस्कनेक्ट कर दी.

राजवंती ने कहा, "पति के सीने में दर्द वाली बात से मैं बहुत परेशान थी. इसलिए खाना बनाने के बाद लगभग 11 बजे से मैंने उनको कॉल लगाना शुरू किया. लेकिन उनसे बात नहीं हुई. उसके बाद पुणे में रहने वाले मेरे भाई ने शाम को कॉल कर के बताया कि राम मिलन की हार्ट अटैक से मौत हो गई है. ये ख़बर उन्होंने फ़ेसबुक पर उनके किसी मित्र की टाइमलाइन पर पढ़ी."

राजवंती ने बताया, "हम सभी को यक़ीन नहीं हुआ क्योंकि छह वर्षों के अपने वैवाहिक जीवन में राम मिलन को कभी बीमार पड़ते नहीं देखा. बहरहाल ख़बर मिलते ही मैंने जेठ उमेश कुमार को बताया. उन्होंने राम मिलन के सुपरवाइज़र सूर्या नारायण को दम्माम कॉल लगाई."

राम मिलन के 28 वर्षीय भाई उमेश कुमार सरोज कहते हैं, "मैंने फ़ौरन सुपरवाइज़र से संपर्क करते हुए कहा कि आपने मेरे भाई का इलाज डॉक्टर से क्यों नहीं कराया. उन्होंने कहा कि राम मिलन ने इतना समय ही नहीं दिया कि हम कुछ कर पाते."

1 मई: रोज़ाना सिर्फ़ 8 घंटे काम की मांग का वो आंदोलन जिसकी याद में मनता है मज़दूर दिवस
अमेरिका में ट्रक में मिली लाशों के मामले में अब आया नया मोड़

बताया गया कि हार्ट अटैक से हुई मौत
दम्माम में मौजूद राममिलन के सुपरवाइज़र सूर्या नारायण ने राम मिलन के बारे में बताया, "हादसे के दिन यूनिवर्सिटी में ड्यूटी पर जाने के लिए राम मिलन तैयार थे. बस पर बैठने से पहले उन्हें चेस्ट पेन महसूस हुआ, तो उन्होंने साथी चंद्र बाबू को बताया कि काम पर नहीं जा सकेंगे. बीस मिनट बाद चंद्रबाबू ने यूनिवर्सिटी पहुंचकर मुझे बताया कि राम मिलन की तबीयत ख़राब है, वह रेस्ट करेगा. इसके फौरन बाद राम मिलन के रूम पार्टनर मोहम्मद ग़ालिब ने मुझे फ़ोन कर के बताया कि हार्ट अटैक से उनकी मौत हो गई."

राम मिलन की मौत को 40 दिन गुज़र चुके हैं. लेकिन उनका शव अभी तक भारत नहीं आया. राममिलन के गांव 'अमुरा' की आबादी मिश्रित है. 20 घर यादव, 45 घर लोधी समाज के हैं, 20 घर मुस्लिमों के होंगे, जबकि एससी समाज के पचास घर हैं. इस गांव के सभी समाजों के युवा खाड़ी के देशों में काम करते हैं.

लिहाजा राम मिलन के परिवार के इस ग़म में गांव के हर समाज के लोग उनके साथ हैं. हर सुबह राम मिलन के घर पर ये इस उम्मीद से आते हैं कि आज शव आने की ख़बर ज़रूर मिलेगी.

स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता अमान रिज़वी उनके शव भारत मंगवाने की लगातार कोशिश में जुटे हैं.

अमान रिज़वी ने बीबीसी से बताया, "20 अगस्त को मैं मृतक के परिवार को लेकर कौशांबी डीएम के आवास गया. वहां वे नहीं थे, फ़ोन पर उन्होंने एसडीएम से मिलने को कहा. एसडीएम ने जो कहा हमने उसी प्रकार सारा पेपर वर्क किया."

आखिर अब तक क्यों नहीं आया शव?
"दस दिनों बाद सऊदी अरब स्थित इंडियन एम्बेसी से कॉल आई कि एनओसी बनाकर भेजिए. हम अगले दिन एनओसी बनवाकर एडीएम ऑफिस गए. लेकिन वहां से जवाब मिला कि "अगर उनको एनओसी चाहिए तो मेरे भेजे हुए लेटर का जवाब देते हुए एनओसी के लिए लिखें, ऐसे फ़ोन पर बोलने से हम एनओसी नहीं भेज सकते."

अमान रिज़वी ने बताया, " इसके बाद रियाद स्थित भारतीय दूतावास को कॉल कर मामले की जानकारी दी. उन्होंने एक ईमेल दी, जिसपर एनओसी और आवेदन मेल कर दिया. फिर हफ्ते गुज़र गए."

"मैं स्थानीय सांसद विनोद सोनकर से मिला. उन्होंने विदेश सचिव से मेल के ज़रिए राम मिलन से संबंधित सभी जानकारी मांगी. वहां से जवाब आया कि एनओसी से संबंधित सभी डॉक्युमेंट मिल गए हैं, कंपनी की ओर से कुछ फॉर्मलिटीज़ बाक़ी हैं, आगे की प्रक्रिया के बारे में सूचित किया जाएगा. ग्यारहवां दिन है लेकिन अभी आगे कोई अपडेट नहीं है."

40 दिनों बाद भी उनका शव न आने पर कौशांबी के डीएम सुजीत कुमार ने कहा, "मैं पता कर के बताऊंगा." लेकिन अब तक कोई अपडेट मिला नहीं.

जब कौशांबी ज़िला प्रशासन से सूचना नहीं मिली तब बीबीसी ने रियाद स्थित भारतीय दूतावास के कम्युनिटी वेलफेयर के काउंसिलर एमआर संजीव से संपर्क किया.

उन्होंने बताया कि "स्वर्गीय श्री राम मिलन की मृत्यु 18/08/2022 को हुई थी और दूतावास ने मृत्यु संबंधी अनिवार्य रिपोर्ट प्राप्त होने पर 14/09/2022 को भारत को पार्थिव शरीर भेजने के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी किया था. अब यह सूचित किया गया है कि कार्गो बुकिंग प्रक्रियाधीन है और दो से तीन दिनों के भीतर पार्थिव शरीर भेजे जाने की उम्मीद है."

अगर विदेश में हो गई हो मौत
भारत शव पहुंचने का मामला सिर्फ राम मिलन का नहीं है. दरअसल ऐसे मामले लगातार अंतराल पर भारत के अलग-अलग क्षेत्रों से सुर्ख़ियों में आते रहते हैं.

यही कारण हैं कि अमान रिज़वी सवाल उठाते हैं, "सऊदी अरब से किसी भारतीय मज़दूर का शव आने में इतना वक़्त क्यों लगता है."

खाड़ी देशों की जेलों में विभिन्‍न कारणों से बंद कई भारतीय मज़दूरों को वापस भारत लाने में अहम भूमिका निभाने वाले सैयद आबिद हुसैन बताते हैं, "जब कोई भारतीय रोज़गार के लिए विदेश जाता है, तब गारंटी देने वाले के साथ हुए उनके एग्रीमेंट में मेडिकल से लेकर अन्य बिंदुओं का ज़िक्र होता है."

"किसी की मौत हो गई, तो दो रास्ते होते हैं, एक ये कि उसी मुल्क में मृतक के धर्म के रीति रिवाज से उसका अंतिम संस्कार हो जाए. दूसरा ये कि परिवार शव भारत मंगवाए, ऐसा होने पर गारंटर की ज़िम्मेदारी है कि वह प्रवासी मज़दूर का शव भारत भेजे. इस प्रक्रिया में पांच लाख रुपये तक का ख़र्च आता है, ये ख़र्च गारंटी देने वाले को वहन करना पड़ता है."

शव लाने की क्या है प्रक्रिया?
"अगर गारंटर शव को भारत नहीं भेजता तब दूतावास को सूचित करते हुए मृतक से संबंधित सारे डॉक्युमेंट भारत से भेजे जाते हैं. इनमें एनओसी भी होती है जो एमप्लॉयर या गारंटर व एम्बेसी को पावर ऑफ अटॉर्नी बनने में सहायता करती है. उसके बाद शव आने की प्रक्रिया उस मुल्क में आरंभ होती है."

"कभी-कभी पैसे के अभाव में एंप्लायर सक्षम नहीं होता या किसी और कारण से मृतक का शव भेजने में वह रूचि नहीं लेता, तब भारतीय दूतावास से संपर्क करना चाहिए, इसके बाद हमारी सरकार अपने ख़र्च पर मृतक के शव को भारत मंगवा लेती है. लेकिन इस प्रक्रिया में एम्बेसी को बहुत फॉलो करना पड़ता है क्योंकि एम्बेसी दूसरे कार्यों में भी बहुत व्यस्त होती है. इसके लिए सरकारी 'मदद' ऐप का इस्तेमाल ही करना चाहिए."

विदेश मंत्रालय के आईएफ़एस मोहम्मद अलीम बताते हैं, "सऊदी में होने वाली प्रक्रिया में समय लगता है. इन प्रक्रिया में सबसे पहले मृतक की मेडिकल रिपोर्ट चाहिए, उसके बाद पुलिस का क्लीयरेंस चाहिए, मृतक के शव पर पर कोई क्रिमिनल एक्टिविटी है तो पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट चाहिए, उसके बाद संबंधित विदेशी मुल्क के स्थानीय गवर्नर का अप्रूवल चाहिए, इसके बाद ट्रांस्पोर्टेशन की प्रक्रिया होती."

"उपरोक्त प्रक्रिया में उनको (विदेशी सरकार) को 'पॉवर ऑफ़ अटॉर्नी' चाहिए कि एम्पलायर या एम्बेसी को ऑथराइज़ कीजिए कि मृतक का शव भारत भेजें. शव को भारत भेजने और इसके खर्च की ज़िम्मेदारी एंप्लायर (नियोक्ता) पर होती है. यदि वह नहीं तैयार होते हैं तब एम्बेसी से गुजारिश करने पर भारतीय दूतावास सहायता करेगी."

आईएफ़एस मोहम्मद अलीम कहते हैं, "क़तर सिंगल सिटी कंट्री है, वहां सारे ऐक्सेस एक साथ हैं. इसलिए वहां शव लाने की प्रक्रिया आसान है, जो कम समय लेती है. जबकि सऊदी अरब में मान लीजिए जहां मृत्यु हुई है वहां से गारंटर या एंप्लायर (नियोक्ता) सौ-दो सौ किलोमीटर दूर किसी दूसरी जगह बैठा हो, फिर आप कुछ भी कर लीजिए प्रॉसेस तब तक शुरू नहीं होगा जब तक वह पूरी प्रक्रिया को फॉलो नहीं करेगा. क्योंकि वही कंसर्न पर्सन है. यही कारण है कि सऊदी अरब से शव लाने में समय लग जाता है."

 


गांधी जयंती से प्रदेश के सभी जिला अस्पतालों में सिकल सेल केंद्र की होगी शुरुआत 

कोविड टीकाकरण में उल्लेखनीय कार्यों के लिए सम्मानित हुए स्वास्थ्य योद्धा 

स्वास्थ्य मंत्री श्री सिंहदेव ने ली स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा बैठक

रायपुर, 28 सितंबर / स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा है कि राज्य में सिकलसेल की जांच एवं उपचार की सुविधा सभी जिला अस्पतालों में आगामी 02 अक्टूबर से शुरूआत होगी। उन्होंने कहा कि आगामी माह से लोगों को सस्ते दर पर पैथोलॉजी लैब की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए सभी हमर लैब के आस-पास के क्षेत्रों से सैंपल एकत्र किए जाएंगे जिससे लोगों को निकटतम स्वास्थ्य केंद्र में पैथोलॉजी की सुविधा मिल सके। श्री सिंहदेव आज यहां स्वास्थ्य विभाग के कार्यों की समीक्षा कर रहे थे। 

स्वास्थ्य मंत्री श्री सिंहदेव ने बैठक में स्वास्थ्य अधिकारियों से सिकलसेल प्रबंधन केंद्रों के संबंध में की जा रही आवश्यक तैयारियों की जानकारी ली और आवश्यक निर्देश दिए। उन्होंने स्वास्थ्य अधिकारियों से मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लिनिक योजना, वेलनेस सेंटर, बायो मेडिकल वेस्ट प्रबंधन सहित विभिन्न स्वास्थ्य कार्यक्रमों की समीक्षा की। उन्होंने स्वास्थ्य अधिकारियों को बैठक में सभी अस्पतालों में आने वाले अधिक से अधिक मरीजों को उपचार एवं परामर्श सुविधा उपलब्ध कराने कहा। बैठक में स्वास्थ्य विभाग के सचिव श्री प्रसन्ना आर., स्वास्थ्य सेवाओं के संचालक श्री भीम सिंह, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के संचालक श्री भोसकर विलास संदीपन, संचालक महामारी नियंत्रण डॉ. सुभाष मिश्रा तथा सभी जिलों के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी और सिविल सर्जन भी मौजूद थे।

स्वास्थ्य योद्धा हुए सम्मानित

स्वास्थ्य मंत्री ने बैठक में कोविड वैक्सीनेशन में उल्लेखनीय योगदान के लिए बीजापुर जिले के उसूर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के तीन स्वास्थ्य अधिकारी (त्भ्व्) श्रीमती ज्योति सिदार, श्रीमती नागमणी चिलमुल और श्री रमेश गड्डेम को प्रशस्ति पत्र एवं शाल भेंट कर सम्मानित किया। इन तीनों स्वास्थ्य योद्धाओं ने कोविड वैक्सीनेशन के लिए घुटने तक पानी से भरे तीन नदियों को पैदल पार कर ग्राम मारूड़बाका पहुंच लोगों का वैक्सीनेशन किया था।

टी.बी. नियंत्रण के लिए बढ़ेगी जांच सुविधा

स्वास्थ्य विभाग के सचिव श्री प्रसन्ना आर. ने भी प्रदेश में टीबी के बढ़ते मामले के मद्देनजर सभी जिलों के साथ तीन जिले कोरबा, जशपुर व जगदलपुर में विशेष रूप से टीबी मरीज़ों की जाँच हेतु हर सीएचसी में लैब टेक्नीशियन की उपलब्धता सुनिश्चित कर टीबी मरीज़ों की जांच बढ़ाने को कहा। उन्होंने लेप्रोसी मरीज़ों की पहचान सभी जिलों में गृह भ्रमण कर सुनिश्चित करने करने के निर्देश दिए। उन्होंने परिवार कल्याण के सभी संसाधनों की उपलब्धता प्रदेश के सभी सीएचसी स्तर पर विशेष रूप से करने के निर्देश दिए। श्री प्रसन्ना ने सभी जिला अस्पतालों में विशेष रूप से रात के समय जिला अस्पतालों में आईपीडी सर्विसेज की सुविधा उपलब्ध कराने के निर्देश दिए। (bbc.com/hindi)

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news