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कांग्रेस में अध्यक्ष पद की लड़ाई मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर तक कैसे आई
01-Oct-2022 8:49 AM
कांग्रेस में अध्यक्ष पद की लड़ाई मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर तक कैसे आई

photo/ANI, मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर

-चंदन कुमार जजवाड़े

भारत में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस पार्टी के अगले अध्यक्ष के लिए तीन उम्मीदवारों ने अपना नामांकन दाख़िल किया है. मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर के अलावा झारखंड के कांग्रेस नेता कृष्णा नंद त्रिपाठी इस रेस में तीसरे उम्मीदवार हैं.

के एन त्रिपाठी झारखंड के डाल्टनगंज से कांग्रेस विधायक रहे हैं. त्रिपाठी झारखंड सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं. हालांकि पिछले विधानसभा चुनाव में के एन त्रिपाठी अपना चुनाव हार गए थे.

इस पद के लिए सबसे पहले अशोक गहलोत, फिर दिग्विजय सिंह ने चुनाव लड़ने का एलान किया था. लेकिन राजनीतिक उठापटक के बीच अब दोनों ही चुनाव मैदान से बाहर हैं.

मल्लिकार्जुन खड़गे के नाम का प्रस्ताव अशोक गहलोत, दिग्विजय सिंह, प्रमोद तिवारी, पीएल पुनिया, ए के एंटनी, पवन कुमार बंसल और मुकुल वासनिक जैसे कई बड़े कांग्रेसी नेताओं ने किया है.

इस चुनाव के लिए अपना नाम वापस लेने की आख़िरी तारीख़ 8 अक्टूबर है. तब तक किसी ने अपना नामांकन वापस नहीं लिया तो मुक़ाबला मल्लिकार्जुन खड़गे, शशि थरूर और के एन त्रिपाठी के बीच होगा.

पर्चा भरने के बाद क्या कहा खड़गे ने
यदि 8 अक्टूबर के बाद एक से अधिक उम्मीदवार रह जाते हैं तो 17 अक्टूबर को इसके लिए वोट डाले जाएंगे और 19 अगस्त को वोटों की गिनती के साथ ही विजेता का एलान हो जाएगा.

दिलचस्प बात यह भी है कि इनमें से दो नेता दक्षिण भारत से आते हैं. शशि थरूर का संबंध केरल राज्य से है जबकि मल्लिकार्जुन खड़गे कर्नाटक से आते हैं. इसके अलावा दोनों ही केंद्र सरकार में मंत्री रह चुके हैं. मल्लिकार्जुन खड़गे फ़िलहाल राज्यसभा में विपक्ष के नेता हैं .

मल्लिकार्जुन खड़गे ने अपना नामांकन भरने के बाद कहा, "मैं एक बड़े बदलाव के लिए लड़ रहा हूं." उन्होंने कांग्रेस कार्यकर्ताओं से अपने लिए वोट करने की भी अपील की है.

वहीं शशि थरूर कांग्रेस के अंदर चर्चित बाग़ियों के खेमे जी-23 से भी ताल्लुक रखते हैं. दरअसल जी-23 कांग्रेस के उन नेताओं का ग्रुप है जिन्होंने पार्टी में कई ज़रूरी बदलाव के लिए सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखी थी.

जी-23 में से एक नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद भी थे. वो अब कांग्रेस से अलग होकर अपनी पार्टी बना चुके हैं. अगस्त महीने में पार्टी छोड़ते हुए उन्होंने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को एक चिट्ठी लिखी थी. यह चिट्ठी कांग्रेस के लिए एक धमाके की तरह थी.

इस चिट्ठी में पार्टी नेता राहुल गांधी के ऊपर भी कई तरह के आरोप लगाए गए थे. आज़ाद ने लिखा था, "पार्टी के सभी वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं को किनारे कर दिया गया है और अब अनुभवहीन चाटुकारों की मंडली पार्टी चला रही है."

अशोक गहलोत की दावेदारी
इन चुनौतियों के बीच कांग्रेस के अगले अध्यक्ष पद के लिए चुनाव हो रहे हैं. इस चुनाव कई बार दिलचस्प मोड़ आ चुका है. कई बार-अलग अलग नेताओं के नाम सामने आए जिनके इस चुनाव से लिए उम्मीदवार बनने की संभावना जताई जा रही थी.

इस पद के लिए सबसे पहले चुनाव लड़ने का एलान करने वालों में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत थे.

लेकिन इस एलान के बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री पद को लेकर उठा-पटक शुरू हो गई. इसमें कांग्रेस का एक गुट खुलकर अशोक गहलोत के समर्थन में आ गया जबकि दूसरा गुट सचिन पायलट के समर्थन में खड़ा हो गया. इसे कांग्रेस आलाकमान ने गंभीर अनुशासनहीनता माना.

रुवार को अशोक गहलोत ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाक़ात की और ख़ुद को इस चुनावी रेस से अलग कर लिया. गहलोत ने राजस्थान में हुई घटना को लेकर ख़ेद भी जताया.

राजस्थान में हुए सियासी घमासान के बाद अब मुख्यमंत्री गहलोत की कुर्सी को लेकर भी सस्पेंस खड़ा हो गया है. कांग्रेस पार्टी इस पर भी जल्द ही अपना फ़ैसला करेगी.

बात सरहद पार
वहीं गहलोत के बाद कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए हो रहे चुनाव में गुरुवार को मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की अचानक एंट्री हुई. इस रेस में मुकुल वासनिक, अंबिका सोनी, पवन बंसल और मीरा कुमार के नाम भी ख़बरों में आए थे, लेकिन इनमें से कोई भी कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं लड़ रहा है.

गुरुवार को दिग्विजय सिंह ने पार्टी दफ़्तर से अध्यक्ष पद के नामांकन का फ़ॉर्म लिया था और कहा था कि वो शुक्रवार को नामांकन करेंगे. लेकिन शुक्रवार सुबह मल्लिकार्जुन खड़के का नाम सामने आने के बाद दिग्विजय सिंह ने अपना फ़ैसला बदल लिया. दिग्विजय सिंह ने चुनाव न लड़ने का फ़ैसला करते हुए कहा कि मल्लिकार्जुन खड़गे के सामने वो चुनाव नहीं लड़ेंगे.

इससे पहले राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था. राहुल गांधी ने यह भी कहा था कि कांग्रेस का अगला अध्यक्ष गांधी परिवार के बाहर का कोई व्यक्ति होना चाहिए. फ़िलहाल राहुल गांधी इन चुनावों से दूर 'भारत जोड़ो यात्रा' पर हैं.

नामांकन प्रक्रिया ख़त्म होने के बाद पार्टी की चुनाव समिति के अध्यक्ष मधुसूदन मिस्त्री ने पत्रकारों को बताया, "इनमें से कोई भी गांधी परिवार का उम्मीदवार नहीं है और सारे उम्मीदवार ख़ुद अपने लिए चुनाव प्रचार करेंगे और वोट मांगेंगे."

कैसे होता है कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव
कांग्रेस पार्टी के संविधान के मुताबिक़, अध्यक्ष पद का चुनाव पार्टी का कोई भी सदस्य लड़ सकता है जिसके पास प्रदेश कांग्रेस कमिटी के 10 सदस्यों का समर्थन हो, जिन्हें प्रस्तावक कहा जाता है.

कांग्रेस संविधान के मुताबिक़, अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए सबसे पहले एक रिटर्निंग अधिकारी नियुक्त किया जाता है. केंद्रीय चुनाव समिति का चेयरमैन ही रिटर्निंग अधिकारी नियुक्त किया जाता है.

किसी प्रदेश कांग्रेस कमिटी के 10 सदस्य मिल कर किसी कांग्रेस नेता का नाम अध्यक्ष पद के उम्मीदवार के लिए प्रस्तावित कर सकते हैं. भारत भर में कुल 30 प्रदेश कांग्रेस कमिटी हैं. केंद्र शासित प्रदेशों में पांच कमिटियां हैं जिनमें 9000 से ज़्यादा सदस्य हैं.

साल 1947 यानी आज़ादी के बाद अब तक कांग्रेस पार्टी की कमान 16 लोग संभाल चुके हैं जिनमें गांधी परिवार के पांच अध्यक्ष रहे हैं. वर्तमान में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी हैं और वह कांग्रेस के इतिहास में सबसे लंबे समय तक अध्यक्ष पद पर रहने वाली महिला नेता हैं.

कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुनाव साल 2000 में भी हुआ था. उस समय सोनिया गांधी के सामने उत्तर प्रदेश के बड़े कांग्रेसी नेता जितेंद्र प्रसाद खड़े हुए थे.

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