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जौहर विश्वविद्यालय: एक मामले में आजम खान को उच्च न्यायालय से राहत मिली, दूसरे में झटका
01-Oct-2022 9:09 AM
जौहर विश्वविद्यालय: एक मामले में आजम खान को उच्च न्यायालय से राहत मिली, दूसरे में झटका

प्रयागराज, 1 अक्टूबर। समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री आजम खान को जौहर विश्वविद्यालय से संबंधित एक मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय से शुक्रवार को राहत मिली जबकि दूसरे मामले में उन्हें झटका लगा।

उच्च न्यायालय ने रामपुर नगरपालिका से गायब हुई मशीनों के विश्वविद्यालय से कथित रूप से बरामद होने के मामले में आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला खान की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी, लेकिन विश्वविद्यालय के लिए किसानों की जमीन हड़पने के आरोप में दर्ज प्राथमिकियों को रद्द करने से इनकार कर दिया।

रामपुर नगरपालिका की लापता मशीनों के विश्वविद्यालय परिसर से बरामद होने के मामले को लेकर आजम खान और अन्य द्वारा दायर एक रिट याचिका पर न्यायमूर्ति सुनीत कुमार और न्यायमूर्ति सैयद वैज मियां की पीठ ने सुनवाई की।

आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम खान ने रामपुर के कोतवाली थाने में 19 फरवरी, 2022 को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 409, 120-बी और लोक संपत्ति क्षति रोधी अधिनियम की संबद्ध धाराओं के तहत दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने का अनुरोध करते हुए याचिका दायर की थी।

याचिका में उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगाने की भी गुहार लगाई गई थी।

याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि उनके मुवक्किलों के खिलाफ आईपीसी की धारा 409 के तहत कोई मामला नहीं बनता क्योंकि कथित घटना 2017 की है और उस दौरान याचिकाकर्ता जनसेवक नहीं थे, बल्कि जौहर विश्वविद्यालय के महज कुलाधिपति थे। उन्होंने दावा किया कि दूसरे याचिकाकर्ता को प्रथम याचिकाकर्ता का बेटा होने की वजह से फंसाया गया है।

संबद्ध पक्षों की दलीलें सुनने के बाद पीठ ने कहा, “इस मामले के तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करते हुए अंतरिम उपाय के तौर पर सुनवाई की अगली तारीख तक याचिकाकर्ताओं की गिरफ्तारी नहीं की जाएगी, बशर्ते वे जांच में सहयोग करें।”

विश्वविद्यालय के पक्ष में किसानों से कथित तौर पर जबरदस्ती बिक्री अभिलेख लिखवाने और फिर उनकी जमीन पर बलपूर्वक कब्जा करने के मामले में दर्ज आपराधिक मुकदमों को रद्द करने के अनुरोध वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई न्यायमूर्ति समित गोपाल ने की और उन्होंने याचिकाओं को खारिज कर दिया।

रिकॉर्ड और दलीलों पर गौर करने के बाद न्यायमूर्ति समित गोपाल ने कहा, “ प्राथमिकियों में लगाए गए आरोपों से पता चलता है कि कैसे प्रथम शिकायतकर्ता का अपहरण कर उसके साथ मारपीट की गई, उसे धमकी दी गई और उसकी जमीन हड़प ली गई।”

अदालत ने कहा, “इस मामले के तथ्यों, याचिकाकर्ताओं के खिलाफ प्रथम दृष्टया आरोपों और तय कानून को देखते हुए इस मामले में हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं बनता।”

बारह सितंबर 2019 को रामपुर की सदर तहसील के खौद क्षेत्र के राजस्व निरीक्षक मनोज कुमार ने आजम खान और अन्य के खिलाफ अजीम नगर थाने में भारतीय दंड संहिता की धारा 384, 506, 447 और 342 के तहत प्राथमिकी दर्ज कराई थी।

इस प्राथमिकी के बाद कई भू-स्वामियों ने आजम खान एवं अन्य के खिलाफ बलपूर्वक जमीन हड़पने का मुकदमा दर्ज कराया था। (भाषा)

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