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एसईसीएल परिवार के वैज्ञानिक मनीष गर्ग बने प्रतिष्ठित ‘मैक्स ऑवर्टर अवार्ड’ से सम्मानित होने वाले पहले भारतीय
02-Oct-2022 11:17 AM
एसईसीएल परिवार के वैज्ञानिक मनीष गर्ग बने प्रतिष्ठित ‘मैक्स ऑवर्टर अवार्ड’ से सम्मानित होने वाले पहले भारतीय

बिलासपुर, 2 अक्टूबर। छत्तीसगढ़ के डॉ मनीष गर्ग विज्ञान जगत के प्रतिष्ठित ‘मैक्स ऑवर्टर अवार्ड’ से सम्मानित होने वाले पहले भारतीय बन गए हैं। यह अवार्ड ऑस्ट्रिया के मैक्स ऑवर्टर फाउंडेशन द्वारा हर दो साल में दिया जाता है। मनीष के पिता एसईसीएल हसदेव क्षेत्र के मनेंद्रगढ़ रेस्क्यू स्टेशन में बतौर रेस्क्यू ब्रिगेड मेम्बर सीनियर ओवरमैन कार्यरत हैं।

सन् 1978 में प्रो. डॉ. मैक्स औवर्टर की पत्नी हिल्डेगार्ड औवर्टर ने अपने पति के 70वें जन्मदिन के अवसर पर मैक्स ऑवर्टर फाउंडेशन की स्थापना की थी। इसके बाद सन 1980 से मैक्स ऑवर्टर पुरस्कार शुरू किया गया था।

मैक्स ऑवर्टर पुरस्कार भौतिकी अथवा कार्बनिक या अकार्बनिक रसायन विज्ञान के क्षेत्र में 35 वर्ष की आयु तक के छात्रों और युवा वैज्ञानिकों को उत्कृष्ट कार्य के लिए प्रदान किया जाता है। इस पुरस्कार में एक प्रशस्ति पत्र तथा 10 हजार यूरो (लगभग आठ लाख रुपये ) दिए जाते हैं। डॉ मनीष को यह अवार्ड ऑस्ट्रिया के लिओबेन शहर में आयोजित ‘ऑस्ट्रियन फिजिकल सोसाइटी’ की 71 वीं वार्षिक बैठक में 28 सितंबर को दिया गया । डॉ मनीष गर्ग ने अपनी अधिकांश वैज्ञानिक खोजें जर्मनी में रहकर की हैं। उनकी वैज्ञानिक उपलब्धियों के कारण आज एक तीसरे देश ऑस्ट्रिया में उन्हें पुरस्कृत  किया गया है, यह देश के लिए एक गौरव का विषय है।

डॉ मनीष ने सन् 2007 में बिना किसी भी स्कूल, ट्यूशन या कोचिंग की मदद के बेहद कठिन इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा आईआईडी जीईई में टॉप रैंक प्राप्त किया था। अनुसंधान में गहरी अभिरुचि होने के कारण उन्होंने आगे की पढाई के लिए प्रतिष्ठित भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान कोलकाता में प्रवेश लिया। भारत सरकार ने उन्हें स्नातकोत्तर में प्रतिष्ठित इंस्पायर फैलोशिप प्रदान की। इस दौरान उनके तीन शोध पत्र अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए थे। इस बीच 'टाटा मूलभूत अनुसन्धान संस्थान, मुंबई तथा 'भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान,कोलकाता' जैसे विश्व प्रसिद्ध वैज्ञानिक संस्थानों में अध्ययन करते हुए उन्होंने कई अनुसन्धान किए। इसके बाद सन 2012 से 2016 तक  'मैक्स प्लांक क्वांटम ऑप्टिक्स संस्थान' म्यूनिख, जर्मनी में शोध करते हुए उन्होंने पीएचडी उपाधि प्राप्त की। जर्मनी में उन्होंने शोध के दौरान इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को चलाने के लिए लेजर लाइट का उपयोग करने की तकनीक की खोज की है जो मौजूदा डिवाइस की गति को लाखों गुना बढ़ा देगी तथा प्रकाश किरणों से संचालित फोटोनिक उपकरणों के युग का मार्ग खोलेगी। उन्होंने ठोस पदार्थ में सबसे तेज विद्युत प्रवाह का रिकॉर्ड भी बनाया। उपरोक्त कार्यों पर चार शोध पत्र शीर्ष वैज्ञानिक पत्रिका नेचर में प्रकाशित हुए। उनकी नवीनतम खोज उस माइक्रोस्कोप तकनीक से सम्बन्धित है जो किसी परमाणु के अन्दर सबसे अस्थिर और तीव्रगामी मूलभूत कण इलेक्ट्रोन की गतिविधियों की लाइव रिकार्डिंग करने में वैज्ञानिकों को सक्षम बनाती है। यह खोज विश्व की प्रतिष्ठित वैज्ञानिक पत्रिका ‘साइंस’ में प्रकाशित हो चुकी है।

 

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