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गायों के बाद अब हिरणों में फैली महामारी-आश्चर्यजनक है प्रधानमंत्री की चुप्पी
02-Oct-2022 2:19 PM
गायों के बाद अब हिरणों में फैली महामारी-आश्चर्यजनक है प्रधानमंत्री की चुप्पी

-डॉ. चन्दर सोनाने
देश में पिछले तीन माह से भी अधिक समय से गायों में लंपी वायरस की महामारी फैली हुई है। इससे करीब 70 हजार से ज्यादा गायों की मौत हो गई है। लाखों गायें मौत से जूझ रही है। हाल ही में एक ओर डरावनी खबर आई है। वह यह कि राजस्थान के सरहदी जिले बाड़मेर के कातरला गाँव में करीब 35 हिरणों में इस लंपी वायरस के लक्षण पाए गए हैं। इनमें से 25 हिरणों की मौत से चारों और खलबली मच गई है। ये सभी हिरण अमृता देवी वन्य जीव संरक्षण संस्थान से सम्बद्ध थे। गायों के बाद हिरणों में इस महामारी के फैलने की खबर ने सबको चिंता में डाल दिया है। आश्चर्य और दु:खद बात यह है कि देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने तीन माह में एक बार भी इस महामारी के संबंध में चिंता व्यक्त नहीं की है। उनकी इस संबंध में चुप्पी और चीतों के नामकरण के बारे में चिंता हैरत में डाल रही है !

दु:खद यह भी है कि अभी तक इस लंपी वायरस का टीका बना नहीं है। इसलिए वैकल्पिक टीके गोट पॉक्स से काम चलाया जा रहा है। यह टीका बकरी और भेड़ों को दिया जाता है। गायों को इसकी तीन गुना ज्यादा डोज देनी पड़ती है। वह भी पर्याप्त मात्रा में नहीं है। कई राज्यों में इस वैकल्पिक टीके गोट पॉक्स की कमी की खबर आ रही है। उदाहरण के लिए मध्यप्रदेश की हालत देखे तो पता चलता है कि मध्यप्रदेश के आधे जिलों में यह महामारी फैली हुई है। इस प्रदेश के 53 जिलों में से 26 जिलों में यह महामारी फैली हुई है। सवा सौ के लगभग गायों की मौत हो गई है और हजारों गाय इससे पीडि़त है।

इस प्रदेश में करीब 35 लाख से अधिक गौवंशी पशु है, किन्तु सितम्बर माह के अंत तक केन्द्र से केवल 14 लाख वैकल्पिक टीके ही प्रदेश को मिले है। इसे प्रदेश के चार केन्द्रों इन्दौर, भोपाल, ग्वालियर और उज्जैन को भेजे गए है। इन केन्द्रों से संभाग के अन्य जिलों में और जिलों से पशु चिकित्सा विभाग के अस्पतालों में भेजे जा रहे है। उन अस्पतालों में टीकाकरण शुरू कर दिया गया है। महामारी से मृत पशु को गाँव या शहर से बाहर स्थानीय प्रशासन की मदद से गड्ढा खोद कर चूना और नमक के साथ दफनाने के लिए समझाइश भी दी जा रही है। किन्तु इसके बावजूद प्रदेश के कई जिलों से वैकल्पिक टीके की कमी की खबर भी आ रही है। यह कहा जा सकता है कि मध्यप्रदेश में ही जितने टीकों की जरूरत है, उससे आधे ही अभी तक पहुँचे है। यह देश की हालत मध्यप्रदेश के उदाहरण से अच्छी तरह से समझी जा सकती है।

देश में यह महामारी 16 से अधिक राज्यों में फैल चुकी है। इन 16 राज्यों में सबसे अधिक प्रभावित 8 राज्यों में गुजरात,राजस्थान, पंजाब,हरियाणा,उत्तरप्रदेश,उत्तराखंड,मध्य प्रदेश और जम्मू-कश्मीर है। इन राज्यों में से सबसे खराब हालत राजस्थान की है। इस राज्य में रोजाना करीब 600-700 पशु महामारी से मर रहे हैं। इस राज्य के सबसे अधिक प्रभावित जिलों में से एक जिला है बाड़मेर । इस जिले में सबसे ज्यादा भयावह स्थिति है। यहाँ मृत पशुओं को दफनाने के लिए जगह कम पड़ गई है। सैकड़ों मृत पशु खुले में पड़े हैं। उन्हें कुत्ते और अन्य पशु-पक्षी नोंच  रहे हैं। इससे यह बीमारी और अधिक फैलने की संभावना व्यक्त की जा रही है।
 

यह महामारी जुलाई माह से फैलना आरम्भ हुई है। इस महामारी के प्रकोप से किसान और पशुपालक दु:खी और अचंभित है। किन्तु, अभी तक इस महामारी के प्रकोप के नियंत्रण में केन्द्र सरकार तेजी से और व्यापक स्तर पर प्रयास कर रही है, यह कहीं देखने में नहीं आ रहा है ! प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले जुलाई माह के बाद तीन माह के दौरान अपने मन की बात कही है। पिछले माह सितम्बर के अंतिम रविवार को भी प्रधानमंत्री ने अपनी मन की बात कही। किन्तु इस बार भी उन्होंने गायों में और हिरणों में फैल रही इस महामारी का जिक्र तक नहीं किया। उन्होंने जिक्र किया मध्यप्रदेश के कूनो अभ्यारण्य में उनके जन्मदिन पर उनके द्वारा छोड़े गए चीतों के नामकरण के बारे में । प्रधानमंत्री ने लोगों से चीतों के नामकरण के लिए सुझाव देने का भी आव्हान किया। किन्तु पिछले तीन महीनों के बाद सितम्बर माह में भी मन की बात में उन्होंने देश के 16 राज्यों में गौ माता और हिरणों में फैल रही इस महामारी का जिक्र तक नहीं किया। प्रधानमंत्री की इस चुप्पी और मौन के बारे में क्या कहा जाए ?

विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल के गौरक्षक भी गौमाता में फैल रही इस भयंकर बीमारी में सेवा करते हुए कहीं दिखाई नहीं दे रहे हैं ! ये वही गौरक्षक हैं, जो गौ परिवहन में लगे लोगों पर जरा सी बात पर मार-काट पर उतारू हो उठते है और लोगों की हत्या तक कर देते हैं। यदि ये सच्चे गौरक्षक हैं तो उन्हें गायों में फैल रही इस महामारी के नियंत्रण में आगे आकर पीडि़त गायों की सेवा करनी चाहिए!
देश में जिस तरह कोरोना महामारी के नियंत्रण के लिए देशव्यापी महाअभियान आरंभ किया गया था और देश में नए हजारों टीकाकरण केन्द्र स्थापित कर नागरिकों का टीकाकरण किया गया था। ठीक उसी प्रकार गौमाता और हिरणों को बचाने के लिए भी कोरोना नियंत्रण के महाअभियान की तरह ही गायों में और हिरणों में फैल रही इस लंपी वायरस के नियंत्रण के लिए टीकाकरण का महाअभियान आरंभ करने की आज सख्त आवश्यकता है, तभी इस पर नियंत्रण पाया जा सकेगा। अन्यथा यह महामारी देश के उन राज्यों में भी फैल सकती है, जहाँ अभी तक इसका प्रकोप नहीं पहुँचा है।

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