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नेशनल गेम्स सात साल बाद हो रहे, लेकिन कॉमनवेल्थ गेम्स के तुरंत बाद आयोजन पर सवाल
03-Oct-2022 10:59 AM
नेशनल गेम्स सात साल बाद हो रहे, लेकिन कॉमनवेल्थ गेम्स के तुरंत बाद आयोजन पर सवाल

-चंद्रशेखर लूथरा

सात साल के लंबे इंतज़ार के बाद 36वें नेशनल गेम्स की शुरुआत गुजरात में हो चुकी है.

अहमदाबाद स्थित नरेंद्र मोदी स्टेडियम में गुरुवार की शाम रंगारंग कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेशनल गेम्स का शुभारंभ किया. इसका आयोजन अहमदाबाद, गांधीनगर, सूरत, वडोदरा, राजकोट और भावनगर में 29 सितंबर से 12 अक्टूबर तक होगा. इसमें 36 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों से 7,000 से ज़्यादा खिलाड़ी शामिल हो रहे हैं.

पिछले सात सालों में अलग अलग वजहों के चलते नेशनल गेम्स का आयोजन टलता आया था. इसमें कोविड संक्रमण भी एक वजह थी.

भारतीय खेल के लिहाज से इस गेम्स की वापसी निश्चित तौर पर एक अहम क़दम है लेकिन साथ ही इस आयोजन की टाइमिंग पर भी सवाल उठ रहे हैं. क्योंकि खेल की बारीकियों को समझने वाले लोगों को भलीभांति इसका अंदाज़ा है कि हाल ही में ख़त्म हुई कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान पीक प्रदर्शन को हासिल करने वाले खिलाड़ियों को आराम की ज़रूरत होगी, ताकि वे रिकवर कर सकें. ऐसे वक़्त में उन पर नेशनल गेम्स में एक और बेहतर प्रदर्शन करने का दबाव होगा.

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इस पूरे मसले को समझने के लिए यह जानना ज़रूरी है कि सरकार ने सभी खिलाड़ियों के लिए नेशनल गेम्स में हिस्सा लेना अनिवार्य कर दिया है. इसके अलावा सरकार की ओर से मेडल विनर खिलाड़ियों के लिए कई सम्मान की घोषणा भी की गई है.

खिलाड़ियों पर अप्रत्यक्ष दबाव
ज़ाहिर है 28 जुलाई से आठ अगस्त, 2022 तक बर्मिंघम कॉमनवेल्थ खेलों में हिस्सा ले चुके खिलाड़ी अप्रत्यक्ष रूप से इस गेम्स में हिस्सा लेने को लेकर दबाव में होंगे.

यहां यह भी देखना महत्वपूर्ण है कि नेशनल गेम्स के आयोजन की तारीख़ बहुत पहले निर्धारित हो चुकी थीं. 19वें एशियाई गेम्स के आयोजन को निलंबित किए जाने से पहले. चीन में कोविड संक्रमण के बढ़ते मामले को देखते हुए एशियाई गेम्स के आयोजन को सितंबर, 2023 तक टाला गया है, पहले इसका आयोजन 10 सितंबर से 25 सितंबर, 2022 के बीच होना था. इस लिहाज से देखें तो कॉमनवेल्थ गेम्स और एशियाई गेम्स के ठीक बीच में नेशनल गेम्स का आयोजन किया जा रहा था.

कई खेलों के प्रमुख कोचों से बात करने पर यह पता लगता है कि बैक-टू-बैक टूर्नामेंट में हिस्सा लेने से खिलाड़ियों के चोटिल होने का ख़तरा बढ़ता है.

लगातार दो टूर्नामेंट के बहुत नज़दीक आयोजन होने से खिलाड़ियों पर क्या असर होता है, इसका पता भारतीय टेबल टेनिस के स्टार अचंत शरत कमल के प्रदर्शन से ज़ाहिर होता है.

सूरत में नेशनल गेम्स के मुक़ाबले के दौरान दूसरी वरीयता प्राप्त अचंत शरत कमल को पुरुषों के क्वार्टर फ़ाइनल मुक़ाबले में हरियाणा को सौम्यजीत घोष के सामने पीठ की तकलीफ से मैच को अधूरा छोड़ना पड़ा.

जब चिकित्सा कराने के लिए शरत कमल ने ब्रेक लिया तो वे मैच में दो के मुक़ाबले एक गेम से आगे चल रहे थे. चौथे गेम में उन्होंने 6-1 की बढ़त हासिल कर रखी थी. लेकिन चोट की गंभीरता को देखते हुए उनके फिजियो ने मैच छोड़ने की सलाह दी. इसका नतीज़ा ये हुआ कि कॉमनवेल्थ गेम्स में तीन गोल्ड मेडल और एक सिल्वर मेडल जीतने वाले कमल नेशनल गेम्स में कोई मेडल नहीं हासिल कर सके और इतना ही नहीं, चीन के चेंगदू में 30 सितंबर से हो रहे वर्ल्ड टेबल टेनिस चैंपियनशिप से भी बाहर हो गए हैं.

कॉमनवेल्थ गेम्स के तुरंत बाद आयोजन
सच यही है कि नेशनल गेम्स का आयोजन बीते सात साल से नहीं हो रहा था. ऐसे में इसका आयोजन कुछ महीने बाद भी हो सकता था. लेकिन सरकारी अधिकारियों ने इस आयोजन को कॉमनवेल्थ गेम्स के ठीक बाद ही कराने का फ़ैसला क्यों लिया? ये सवाल बना हुआ है.

बहरहाल, बैडमिंटन खिलाड़ी के श्रीकांत, लॉन्ग जंपर मुरली श्रीशंकर और 3,000 मीटर स्टीपलचेज के रनर अविनाश साबले जैसे कई शीर्ष खिलाड़ी गुजरात के विभिन्न शहरों में आयोजित इस नैशनल गेम्स में हिस्सा ले रहे हैं. इन खिलाड़ियों की फ़िटनेस प्रभावित होने की आशंका बनी हुई है.

दरअसल किसी भी खेल में, ख़ासकर ट्रैक एंड फ़ील्ड इवेंट्स में, कोच और इंस्ट्रक्टर अपने खिलाड़ी के बेहतरीन प्रदर्शन को लेकर एक रणनीति बनाते हैं, जिसके तहत खिलाड़ी टूर्नामेंट विशेष के दौरान अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिए ख़ुद को तैयार करते हैं.

यह इतना आसान भी नहीं होता है. कोचिंग की सभी किताबों में और हर कोच के गाइड बुक में यह लिखा होता है.

ट्रेनिंग की जटिल प्रक्रिया

ट्रेनिंग एक कांप्लैक्स प्रोसेस है जिसे कई चरणों में करना होता है ताकि किसी भी टूर्नामेंट के दौरान सही समय पर खिलाड़ी अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने की स्थिति में हो.

यानी कोई भी खिलाड़ी अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कब करेगा, इसको लेकर एक मुकम्मल तैयारी करनी होती है और इस दौरान खिलाड़ी कई तौर तरीक़े आजमाते हैं. लेकिन कोई भी एथलीट अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने की स्थिति को लंबे समय तक कायम नहीं रख सकता.

यह खिलाड़ी और खेल को लेकर अलग अलग हो सकता है. जैसे कि टेनिस और बैडमिंटन के खिलाड़ी ज़्यादा टूर्नामेंट में हिस्सा लेते हैं तो उनकी ट्रेनिंग कम समय की होती है. ट्रैक एंड फील्ड के एथलीट की ट्रेनिंग लंबे समय तक चलती है और इसकी वजह ये होती है कि वे अगले टूर्नामेंट से पहले शरीर को पूरी तरह से उबरने का मौक़ा देते हैं.

वैसे यह काफ़ी हद तक खिलाड़ियों की अपने दम खम और क्षमता पर निर्भर करता है. ऐसे में सवाल यह है कि क्या जब खिलाड़ियों के शरीर को आराम की ज़रूरत थी तब क्या केवल सरकारी अधिकारियों ने उन्हें नेशनल गेम्स में हिस्सा लेने के लिए मज़बूर कर दिया? ऐसे वक्त में भारतीय ओलंपिक संघ क्या कर रहा था, जिसने सभी खिलाड़ियों के नेशनल गेम्स में हिस्सा लेने के लिए मंजूरी दी है.

एथलीट और कोच से फीडबैक लेगी सरकार
इतना ही नहीं अधिकांश खिलाड़ियों को अपने-अपने खेलों की एशियाई चैंपियनशिप में भी अपने देश की ओर से हिस्सा लेना है. जिनका आयोजन अक्टूबर में होना है.

ऐसे में अधिकांश खिलाड़ियों को लंबे ट्रेनिंग सेशन से गुजरना होगा. वेट कैटगरी वाले इवेंट में सबसे बेहतरीन स्थिति तब मानी जाती है जब खिलाड़ियों को एक प्रतिस्पर्धा से दूसरे प्रतिस्पर्धा में हिस्सा लेने के दौरान, दो महीने का आराम मिलता है. ऐसा नहीं होने पर एथलीट के अनफ़िट होने की आशंका बढ़ जाती है.

इसके अलावा कई एथलीट के लिए यह सीज़न लंबा भी रहा है. लंबी कूद के जसविन एल्ड्रिन और श्रीशंकर के अलावा जैवलिन थ्रोअर रोहित यादव, इस साल फ़रवरी से लगातार एक्शन में है.

मोहम्मद हुसामुद्दीन और आशीष कुमार भी फ़रवरी से लगातार बाक्सिंग रिंग में हैं. इसके अलावा एक और पहलू है, जो खिलाड़ी इतना रिस्क लेकर नेशनल गेम्स में हिस्सा ले रहे हैं, उन्हें यह नहीं मालूम है कि वे जिस राज्य का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, वहां उनके प्रदर्शन को कितनी अहमियत मिलेगी. जैसे तमिलनाडु और हरियाणा जैसे राज्यों को अपवाद मानें तो दूसरे राज्य अपने एथलीटों को प्रोत्साहित करने का कोई नियमित उदाहरण नहीं दिखा है.

इन सबके बाद उम्मीद यही है कि खिलाड़ियों की हर संभव मदद करने वाली सरकार 37वें नेशनल गेम्स के आयोजन से पहले एथलीट और कोच से फीडबैक लेगी और इस बात का ख़्याल रखेगी कि इसका आयोजन, वर्ल्ड कैलेंडर से तालमेल के साथ हो ताकि खिलाड़ियों पर कोई अतिरिक्त दबाव नहीं पड़े. (bbc.com/hindi)

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