सेहत-फिटनेस
क्या खाना सेहतमंद है और क्या नहीं इस पर आये दिन नये रिसर्च सामने आते हैं. कभी खबर आती है कि रेड मीट स्वास्थ्य के लिए बढ़िया है तो अगले हफ्ते कहा जाता है कि इससे स्ट्रोक का खतरा है. लोग इन खबरों से उलझन में पड़ जाते हैं.
हाल ही में एक बड़ी रिसर्च की समीक्षा प्रकाशित हुई जो ना सिर्फ ताजा रिसर्च के नतीजों और सबूतों के आधार पर सेहत के लिए बेहतर चीजों को परखती है बल्कि उन्हें स्टार रेटिंग भी देती है. अमेरिका का इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैलुएशन यानी आईएचएमई सेहत से जुड़े आंकड़ों का अब ग्लोबल रेफरेंस बन गया है.
180 क्षेत्रों में अब तक हुए रिसर्चों का विश्लेषण कर इसने यह पता लगाने की कोशिश की गई है कि कोई खास जोखिम का कारण किस तरह की बीमारी से जुड़ा है. उदाहरण के लिए धूम्रपान का सेहत पर क्या असर हो सकता है और फेफड़े के कैंसर से यह किस तरह जुड़ा है.
स्टार रेटिंग
धूम्रपान और फेफड़े के कैंसर के बीच संपर्क को सबसे अधिक पांच सितारा रेटिंग दी गई है. इसी तरह हाई ब्लड प्रेशर और दिल की बीमारियों के बीच संबंध को भी यही रेटिंग मिली है. इसका मतलब है कि सबूत पक्के हैं और भविष्य में इनके बदलने के आसार नहीं के बराबर हैं.
हालांकि खतरे वाली लगभग दो-तिहाई चीजों या बीमारियों से उनके संबंध को केवल एक या दो स्टार ही दिये गये हैं. इसका मतलब है कि ऐसा माने जाने के पीछे जो सबूत है वो जितना समझा गया था उससे कमजोर हैं. जैसे कि बिना प्रॉसेस किया हुआ रेड मीट (बकरा, भेड़, सूअर या गाय का मांस) खाने वालों में स्ट्रोक के खतरे को केवल एक स्टार दिया गया है. इसका मतलब है कि इन दोनों के बीच संबंध का कोई सबूत मौजूद नहीं है. रेड मीट और कोलन कैंसर, स्थानीय खून की कमी से होने वाली दिल की बीमारियों और मधुमेह यानी डायबिटीज के संबध को दो स्टार दिये गये हैं.
हर ताजा रिपोर्ट को मानते हैं लोग
आईएचएमई के निदेशक और नेचर मेडिसिन जर्नल में "बर्डेन ऑफ प्रूफ" नाम से छपी कई रिसर्च रिपोर्टों के लेखक क्रिस्टोफर मर्रे का कहना है कि वह, "इस बात से बहुत हैरान हुए कि कई खाने पीने की चीजें और उनसे होने वाले खतरों के बीच रिश्ता तुलनात्मक रूप से काफी कमजोर है." मर्रे ने एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान बताया कि यह विश्लेषण इस चिंता की वजह से किया गया क्योंकि, "हर कोई ताजा छपी रिसर्च रिपोर्ट को मानता है," जबकि अकसर नतीजे, "एक रिसर्च से दूसरे रिसर्च के बीच बदलते रहते हैं."
मर्रे का कहना है कि रिसर्चरों ने उस विषय पर हुए सभी मौजूदा रिसर्चों को देखा और खंगाला है और आंकड़ों के जरिये उनकी निरंतरता को परखा है उसके बाद पूछा है, "इस सबूत की सबसे संकुचित व्याख्या क्या है?"
रिसर्चरों ने इस बात की छानबीन की है कि ज्यादा सब्जियां खाने से सेहत पर क्या असर पड़ता है. इसके लिए 50 रिसर्चों को खंगाला गया. ये रिसर्च 34 देशों के 46 लाख लोगों पर किये गये थे. खाने में सब्जियों की मात्रा हर दिन 0 से चार तक बढ़ाने पर शरीर के किसी खास हिस्सों में रक्त की कमी के कारण होने वाले स्ट्रोक का जोखिम 23 फीसदी घट गया. इस विश्लेषण के बाद इसे तीन स्टार दिये गये. इसी तरह सब्जी खाने और टाइप2 डायबिटिज के बीच जो रिश्ता मिला उसे सिर्फ एक ही स्टार दिया गया. रिसर्च रिपोर्ट के सह लेखक जेफ्री स्टैनवे का कहना है, "बहुत संकुचित व्याख्या के आधार पर भी देखें तो सब्जियों का इस्तेमाल लंबे समय की बीमारियों में कमी से प्रमुखता के साथ जुड़ा है."
स्टार रेटिंग के खतरे
इस रिसर्च में शामिल नहीं रहे विशेषज्ञों का कहना है कि यह दिलचस्प है लेकिन इसे जरूरत से ज्यादा सरल करके नहीं देखना चाहिए. ब्रिटेन की ओपन यूनिवर्सिटी में सांख्यिकी विज्ञानी केविन मैककॉनवे ने चिंता जताई है कि जब जटिल रिसर्चों को साथ मिला कर स्टार रेटिंग दी जाती है तो उसका "एक बड़ा हिस्सा जाहिर तौर पर नष्ट हो जाता है." ब्रिटेन की ही एस्टन यूनिवर्सिटी के डायटीशियन डुआने मेलर का कहना है कि रेड मीट पर हुई रिसर्च हैरान नहीं करती क्योंकि इसमें बिना प्रॉसेसिंग वाले मीट के उत्पाद पर ध्यान दिया गया है. उनका कहना है, "भोजन में शामिल प्रोसेस्ड रेड मीट जैसे कि बेकन और सॉसेज बीमारी के ज्यादा जोखिम से जुड़े हुए हैं जिसके बारे में इन पेपरों में रिपोर्ट नहीं दी गई है."
आईएचएमई का कहना है कि उसकी योजना अपनी खोजों को नई रिसर्च आने पर अपडेट करने की है. उन्हें उम्मीद है कि नया तरीका लोगों और नीतियां बनाने वालों को रास्ता दिखायेगा. जल्दी ही कई और चीजों के सेहत से संबंधों पर अपनी खोज संस्थान जारी करेगा इनमें अल्कोहल, वायु प्रदूषण और दूसरी चीजों के बारे में जानकारी होगी.
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