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जहां हुआ था हमला, वहीं से शुरू हो रहा है इमरान ख़ान का लॉन्ग मार्च
10-Nov-2022 4:08 PM
जहां हुआ था हमला, वहीं से शुरू हो रहा है इमरान ख़ान का लॉन्ग मार्च

पाकिस्तान, 10 नवंबर । पाकिस्तान तहरीक़-ए-इंसाफ़ पंजाब के वज़ीराबाद से अपना मार्च फिर से शुरू कर रही है, यह वही शहर है जहां 3 नवंबर को पीटीआई अध्यक्ष इमरान खान के काफ़िले पर हमला हुआ था.

मार्च के लिए एक नया कंटेनर वज़ीराबाद लाया गया है, क्योंकि जिस कंटेनर में इमरान ख़ान सवार थे, वह अभी भी हमले की जगह पर है और इसे सबूतों की सुरक्षा के लिए सील कर दिया गया है.

नए कंटेनर पर सामने की ओर बुलेट प्रूफ ग्लास लगाया गया है. वज़ीराबाद में कचहरी चौक को बैनर और फ्लेक्स से सजाया गया है और इमरान ख़ान के भाषण के लिए एक बड़ी स्क्रीन लगाई गई है. इमरान ख़ान अपने समर्थकों को वर्चुअली संबोधित करेंगे.

पीटीआई के उपाध्यक्ष शाह महमूद कुरैशी आज मार्च की अगुवाई करेंगे.

सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम

मार्च की सुरक्षा के लिए कड़े सुरक्षा इंतज़ाम किए गए हैं. ड्रोन और सीसीटीवी कैमरों से इसकी निगरानी की जाएगी.

सड़क के किनारे की इमारतों के ऊपर पुलिस कमांडो तैनात किए जाएंगे.

पीटीआई नेताओं ने कहा है कि मार्च नवंबर के तीसरे सप्ताह में रावलपिंडी पहुंचेगा और यहीं पर इमरान ख़ान इसमें शामिल होंगे और फिर इसे राजधानी इस्लामाबाद की ओर ले जाएंगे.

विश्लेषकों का मानना ​​है कि इमरान खान अपने समर्थकों को सड़क पर मौजूद रखकर दबाव बनाए रखना चाहते हैं.

हालांकि, अब इमरान ख़ान की ग़ैर मौजूदगी और हालिया हमले में एक कार्यकर्ता के मारे जाने के बाद ऐसा लगता है कि अब शायद ही मार्च को जनता का इतना समर्थन ना मिले.

इमरान ख़ान ने कल ही एक अन्य सैन्य अधिकारी का नाम बताने का वादा किया था जो कथित तौर पर नियंत्रण कक्ष में आईएसआई के मेजर जनरल फै़सल नसीर के साथ उनकी हत्या की साजिश को अंजाम दिए जाने की निगरानी कर रहा था.

अब तक, चूंकि पीटीआई प्रमुख अपने आरोपों के सबूतों के बारे में ठोस जवाब नहीं दे पाए हैं, इसलिए कुछ टिप्पणीकारों का मानना ​​​​है कि इस तरह के आरोप भीड़ को भाषणों और रैलियों से जोड़े रखने के लिए हैं.

मार्च इस्लामाबाद पहुंचने में कितना समय लगेगा?

पीटीआई धीरे-धीरे क्यों आगे बढ़ रही है? क्या गतिरोध को तोड़ने का रास्ता खोजने में समय लग रहा है?

क्या वह नए सेना प्रमुख की नियुक्ति की घोषणा को देख रही है? यह कितनी दूर जा सकता है? ये सभी सवाल हवा में हैं, राजनीतिक विश्लेषकों को लगता है कि आने वाले कुछ हफ्तों में कई जवाब मिलने की संभावना है. (bbc.com/hindi)

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