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कैसा देश है कतर
12-Nov-2022 12:50 PM
कैसा देश है कतर

दुनिया के मंच पर खाड़ी देश कतर इस तरह से कभी सामने नहीं आया. ऊर्जा का धनी कतर इस महीने के आखिर में दुनिया भर के खेलप्रेमियों की नजर पर होगा जब फुटबॉल वर्ल्डकप का मुकाबला इसकी जमीन पर खेला जायेगा.

  (dw.com)

हाथ के अंगूठे जैसी आकृति वाला प्रायद्वीपीय देश कतर फारस की खाड़ी में मौजूद है. समुद्र में मौजूद प्राकृतिक गैस के विशाल भंडार के दम पर यह दुनिया में प्रति नागरिक धन के मामले में दुनिया के शीर्ष देशों में शामिल हो गया है.

इस पैसे ने इसे अरब जगत के सबसे जाने पहचाने सेटेलाइट न्यूज चैनल अल जजीरा को खड़ा करने के साथ ही, अमेरिकी सैनिकों के एक बड़े सैन्य अड्डे के निर्माण और पश्चिम के एक प्रमुख मध्यस्थ की अहम भूमिका हासिल करने में मदद दी है जिसका इस्तेमाल तालिबान के साथ बातचीत में भी हो रहा है.

दुनिया में कतर का स्थान
अरब प्रायद्वीप कतर की जमीनी सीमा सऊदी अरब से लगती है इसके साथ ही यह द्वीपीय देश बहरीन और संयुक्त अरब अमीरात के भी करीब है. फारस की खाड़ी में इसकी सीमा ऊरान से लगती है और यहीं पर प्राकृतिक गैस के इसके विशाल भंडार हैं. कतर अमेरिका के डेलावेयर राज्य से आकार में दोगुना है. करीब 29 लाख लोगों की इसकी आबादी का ज्यादातर हिस्सा पूर्वी तट पर मौजूद राजधानी दोहा के आसपास ही रहता है.

बुनियादी रूप से कतर समतल है और गर्मियों में इसका तापमान 40 डिग्री के ऊपर चला जाता है और तब ह्यूमिडिटी भी काफी ज्यादा रहती है.

कतर की सरकार
कतर में एक निरंकुश सरकार है जो यहां के अमीर शेख तमिम बिन हमाद अल थानी के मुताबिक चलती है. 42 साल के अमीर ने जून 2013 में सरकार की बागडोर संभाली थी जब उनके पिता ने गद्दी छोड़ दी थी. देश में 45 सदस्यों वाली एक सलाहाकर परिषद भी है लेकिन असल ताकत अमीर के पास ही है.

खाड़ी के दूसरे देशों की तरह ही कतर में भी राजनीतिक दलों पर पाबंदी है. यूनियन बनाने या फिर हड़ताल का अधिकार अत्यधिक सीमित है. देश में कोई स्वतंत्र मानवाधिकार संगठन भी नहीं है. आबादी का महज 10 फीसदी हिस्सा ही यहां का मूल नागरिक है और इन्हें पालने से लेकर कब्र तक सारी सरकारी सुविधायें मिलती हैं. कतर की नागरिकता मिलना दुर्लभ है.

कतर का इतिहास
अल थानी का परिवार 1847 से कतर पर राज कर रहा है. हालांकि यह पहले ओटोमन साम्राज्य और फिर ब्रिटिश राज के अधीन रहा था. कतर 1971 में आजाद हुआ जब ब्रिटेन ने इस इलाके को अलविदा कहा. कतर से तेल का निर्यात दूसरे विश्वयुद्ध केबाद शुरू हुआ. 1997 में कतर ने दुनिया को लिक्विफाइड नेचुरल गैस भेजने की शुरूआत की.

गैस बेचने से मिले पैसे ने कतर के क्षेत्रीय महत्वाकांक्षाओं को हवा दी. उसने अल जजीरा सेटेलाइट न्यूज नेटवर्क बनाया जिससे मास मीडिया में अरब धारणाओं को प्रचारित करने में मदद मिली. खासतौर से 2011 के अरब वसंत के प्रदर्शनों के दौरान. कतर ने कतर एयरवेज को भी खड़ा किया जो पूरब और पश्चिम को जोड़ने वाली दुनिया की अच्छी एयरलाइनों में शामिल है.

अंतरराष्ट्रीय राजनीति में कतर
कतर सु्न्नी इस्लाम की अत्यंत रुढ़िवादी धारा का पालन करता है जिसे वहाबी कहा जाता है. हालांकि पड़ोसी देश सऊदी अरब से उलट यहां विदेशी लोगों को शराब पीने की छूट है. कतर ने 2011 में अरब वसंत के दौरान इस्लामी ताकतों का समर्थन किया इसमें मिस्र का मुस्लिम ब्रदरहुड और मिस्र के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद मुर्सी भी शामिल थे. इनके अलावा सीरिया के राष्ट्रपति बशर अहमद के विरोधियों को कतर ने समर्थन दिया. अल जजीरा अल कायदा के नेता ओसामा बिन लादेन के बयानों को चलाने के लिए काफी मशहूर हुआ.

कतर ने चरमपंथी गुट हमास के साथ ही मध्यस्थ की भूमिका निभाई है और अमेरिका की तालिबान के साथ बातचीत में भी जिसका नतीजा 2021 में अमेरिका की अफगानिस्तान से वापसी के रूप में सामने आया. बहरीन, मिस्र, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात ने कई सालों तक कतर का बहिष्कार किया और इसके पीछे इस्लामी ताकतों का समर्थन करना ही कुछ हद तक कारण था. यह बहिष्कार तब खत्म हुआ जब अमेरिका में जो बाइडेन राष्ट्रपति का चुनाव जीत गये.

कतर का सैन्य महत्व

1991 में खाड़ी युद्ध के दौरान पश्चिमी देशों के सैनिकों को ठिकाना बनाने की अनुमति दे कर कतर नरे अल उदैद एयर बेस पर एक अरब डॉलर से ज्यादा का निवेश किया. अमेरिकी सैनिकों ने 11 सितंबर के हमलों और उसके नतीजे में अफगानिस्तान पर हमले के बाद खुफिया तौर पर इस सैनिक अड्डे का इस्तेमाल शुरू किया. इस सैनिक अड्डे के अमेरिका इस्तेमाल का पता दुनिया को मार्च 2022 में चला जब उप राष्ट्रपति डिक चेनी मध्यपूर्व के दौरे पर आये.

इसके बाद अमेरिकी सेना के सेंट्रल कमांड का मुख्यालय 2003 में अल उदैद में चला आया. इशके बाद अफगानिस्तान, इराक और सीरिया में यहीं से एयर ऑपरेशन चले. इस्लामिक स्टेट के खिलाफ जंग में भी इसने अहम भूमिका निभाई और आज भी यहां 8000 से ज्यादा अमेरिकी सैनिक मौजूद हैं. अमेरिका के अलावा यहां तुर्की की सेना भी तैनात है.

एनआर/ओएसजे (एपी)

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