सामान्य ज्ञान
संघ, बौद्घ धर्म की मठीय व्यवस्था है। संघ पारंपरिक तौर पर चार समूहों, भिक्षु, भिक्षुणी, साधारण स्त्रियों और आम पुरुषों से मिलकर बनता है। संघ बुद्घ और धर्म (उपदेश) सहित, बौद्घ धर्म के मूलभूत सिद्घांत त्रिगुण शरण का एक प्रमुख अंग है।
बुद्घ के साथ भ्रमण करने और उनके उपदेश सुनने के लिए भौतिक जीवन त्यागने वाले शिष्यों के समूह से संघ की उत्पत्ति हुई। बुद्घ की मृत्यु के बाद उनके शिष्य एक समुदाय के रूप में साथ रहने लगे। वे एक स्थान से दूसरे स्थान पर भ्रमण करते और भिक्षा प्राप्त कर जीवन व्यतीत करते। पूर्ण एवं नव चंद्र (उपोसथ दिवस) के दिन बुद्घ के अनुयायी एक समुदाय और एक उद्देश्य से जुड़े होने की भावना के प्रति आस्था प्रकट करने के लिए त्रिगुण शरण और आचार संहिता जैसी आस्थाओं का पाठ करते थे।
वर्षा ऋतु में अध्ययन हेतु एक ही स्थान पर रहने के रिवाज ने धीरे-धीरे समुदाय को स्थापित कर दिया। आधुनिक संघ का शासन आनुशासनिक नियम (विनय) से चलता है, जो धर्मग्रंथ संग्रह का एक अंग है। आमतौर पर संघ दान, धन और संपत्ति जैसे आर्थिक समर्थन के लिए आम आदमी पर निर्भर है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि बौद्घ भिक्षु, विशेषकर दक्षिण-पूर्वी एशिया के थेरवाद परंपरा के भिक्षु वाणिज्य या कृषि कार्य स