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सूर्यकुमार यादव के शॉट्स जिनसे आप ही नहीं, वो ख़ुद भी हैरान हैं
21-Nov-2022 2:20 PM
सूर्यकुमार यादव के शॉट्स जिनसे आप ही नहीं, वो ख़ुद भी हैरान हैं

-दिनेश उप्रेती

नई दिल्ली, 21 नवंबर ।  अगर आप कार्टून्स सीरियल्स देखते हैं तो पाएँगे कि इसमें क्रिकेट खेलना कितना आसान होता है.

गेंद कैसी भी, कितनी भी रफ़्तार से बल्लेबाज़ की तरफ़ आ रही हो, ख़तरनाक बाउंसर हो या फिर पैर के अंगूठे को कुचल देने के इरादे से फेंकी गई 'टो ब्रेकर' हो, यॉर्कर हो , गुगली हो या फिर 'दूसरा'.

कार्टून करेक्टर अपना बल्ला घुमाता है और गेंद हवा में लहराती हुई सीमा रेखा के पार पहुँच जाती है.

बच्चे इन शॉट्स पर जमकर हँसते हैं, तालियाँ पीटते हैं और मन ही मन ऐसे दमदार शॉट खेलने की हसरत पालने लगते हैं. लेकिन कल्पना की ये उड़ान मैदान पर पहुँचते ही धुआँ-धुआँ हो जाती है.

लेकिन इन दिनों एक खिलाड़ी जो 'कार्टून' को हक़ीक़त बनाता दिख रहा है, वो हैं सूर्यकुमार यादव.

दाएँ हाथ के टी20 क्रिकेट के इस उस्ताद की तारीफ़ में इन दिनों क्या एक्सपर्ट और क्या प्रशंसक... हर कोई जमकर उनके कसीदे पढ़ रहा है.

एक बानगी देखिए...

"नंबर वन ने दिखा दिया है कि वह क्यों दुनिया में बेस्ट है. मैंने मैच लाइव नहीं देखा लेकिन मैं निश्चित रूप से कह सकता हूँ कि यह पारी भी एक वीडियो गेम की तरह होगी."- विराट कोहली

"हम खुशकिस्मत हैं कि हमें मैदान पर सूर्यकुमार की बल्लेबाज़ी के साक्षात दर्शन हो रहे हैं"- मोहम्मद कैफ़

"मुझे सांस लेने की मशीन चाहिए, सूर्य कुमार यादव हमारी सांसें रोक रहा है."- हर्षा भोगले

"आसमान इन दिनों. हमेशा आग उगलते हुए. अपनी ही लीग में."- वीरेंदर सहवाग

"बेशक. दुनिया में टी20 का सबसे बेहतरीन बल्लेबाज़"- लक्ष्मण शिवरामकृष्णन

टी20 वर्ल्ड कप में अपनी धाक जमाने के बाद सूर्यकुमार ने न्यूज़ीलैंड की धरती पर भी चमक बिखेरनी शुरू कर दी है.

पहला मैच तो बारिश की वजह से धुल गया था, लेकिन दूसरे मैच में सूर्य ने जो आग उगली उसके आगे कीवी छिपते-भागते नज़र आए.

सूर्य ने शतकीय तूफ़ानी पारी खेली. सूर्यकुमार ऐसा दबदबा बनाते हैं कि दूसरे छोर पर खड़ा बल्लेबाज़ दर्शक बनकर रह जाता है फिर चाहे वह विराट कोहली जैसा धाकड़ बल्लेबाज़ ही क्यों न हो.

सूर्य कुमार जब क्रीज़ पर आए तो उसके बाद दूसरे बल्लेबाज़ सिर्फ़ 38 गेंदों पर 44 रन ही बना सके, जबकि सूर्यकुमार ने 51 गेंदों पर 111 रन बनाए.

इस पारी में उन्होंने 7 चौके और 11 छ्क्के उड़ाए, जबकि बाक़ी के बल्लेबाज़ सात चौके और दो छक्के ही लगा सके.

72 मिनट की इस पारी में सूर्य कुमार यादव ने कई ऐसे शॉट खेले जो अविश्वसनीय नहीं तो कम से कम ऐसे ज़रूर थे, जिन पर ख़ूब चर्चा हो रही है.

मसलन इस पारी में भारतीय पारी के 19वें ओवर की बात करें, तो तेज़ गेंदबाज़ लोकी फर्गुसन के हाथों में गेंद थी.

जोश के साथ होश भी

सूर्यकुमार मेज़बान टीम के गेंदबाज़ों को मैदान के चारों खानों की सैर करा रहे थे, ज़ाहिर है डेथ ओवर्स में गेंदबाज़ी का अच्छा-ख़ासा अनुभव रखने वाले 32 साल के फर्गुसन के पास सूर्य कुमार के लिए कुछ ख़ास योजना थी.

फर्गुसन ने क़रीब 150 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से ऐसे मौकों (जब पावर हिटर बेहद आक्रामक होकर बल्ला चला रहा हो) के लिए सबसे कारगर मानी जानी वाली यॉर्कर गेंद फेंकी और वो भी बल्लेबाज़ से दूर वाइड लाइन के बिल्कुल क़रीब.

आम तौर पर इतनी तेज़ गेंद को सामान्य बल्लेबाज़ के लिए छू पाना तक मुश्किल होता है, लेकिन सूर्य ने इसे भी सीमा रेखा के पार पहुँचा दिया.

कमेंटेटर्स की चर्चा चौके को लेकर नहीं थी, बल्कि वो हैरान इस बात पर थे कि कैसे सूर्य कुमार ने बेहद तेज़ फेंकी गई इस गेंद तक भी अपने बल्ले को पहुँचा दिया था.

दरअसल, किसी शॉट को खेलने के लिए सूर्यकुमार अपनी ग्रिप इतनी जल्दी बदलते हैं कि उनके लिए गेंद को मारना आसान हो जाता है. ये कहना ग़लत नहीं होगा कि इनमें से कई शॉट हैं, जो क्रिकेट कोचिंग की किताबों में नहीं हैं और उन्होंने खुद इजाद किए हैं.

ऐसा नहीं कि सूर्यकुमार के पास बस 'पावर हिटिंग' का ही हुनर है, मुक़ाबले में हालात के हिसाब से कहाँ गियर बदलना है, ये भी उन्हें बखूबी आता है.

ऐसे विकेट पर जो बारिश से खूब भींगा हुआ था और मेज़बान टीम धीमे गेंदबाज़ों से इन परिस्थितियों का फ़ायदा उठाना चाहती थी.

लेकिन सूर्यकुमार ने इस रणनीति को बेअसर साबित किया. कीवी फ़िरकी गेंदबाज़ों ने अपनी गेंदों को सूर्यकुमार के बल्ले के आसपास घुमाया, लेकिन सूर्यकुमार इन गेंदों को सीमा पार पहुँचाने में कतई नहीं चूके.

मैच की तैयारी के लिए क्या करते हैं?

सूर्यकुमार यादव ने कहा, "जब आप अच्छा कर रहे होते हैं तो आप अपनी सभी काम दूसरे दिनों की ही तरह करते हैं. मैच वाले दिन भी मैं 99 प्रतिशत वही करने की कोशिश करता हूँ. मसलन मुझे जिम करना हो, लंच करना हो या 15-20 मिनट की नींद हो... इसके बाद जब मैं मैदान पर उतरता हूँ तो अच्छा महसूस करता हूँ."

और जब क्रिकेट नहीं खेल रहे होते हैं तो...

"तब मैं अपनी पत्नी के साथ काफ़ी समय गुज़ारता हूँ. अपने माता-पिता से बात करता हूँ. एक बात जो मुझे ज़मीन पर बनाए रखती है, वो ये है कि हम कभी मैच के बारे में बात नहीं करते. खेल के बारे में कोई चर्चा नहीं होती और इससे मैं उस दौरान लंबे समय तक ख़ुश रहता हूँ."

क्या अपने शॉट्स के रीप्ले देखते हैं?

"बिल्कुल.. जब मैं हाइलाइट्स देखता हूँ तो अपने कुछ शॉट देखकर ख़ुद भी हैरान हो जाता हूँ. चाहे मैं अच्छा खेलूँ या न खेलूँ, मैं हर बार मैच के हाइलाइट्स देखता हूँ."

रोहित शर्मा का 11 साल पुराना ट्वीट वायरल

सूर्य कुमार यादव को 20 महीने पहले ही टीम इंडिया की कैप मिली है.

कई साल तक इंडियन प्रीमियर लीग यानी आईपीएल में शानदार प्रदर्शन करने के बाद उन्हें आख़िरकार नीली जर्सी नसीब हुई थी.

लेकिन टी20 टीम में आते ही सूर्य ने ऐसा तहलका मचाया कि अब वो दुनिया के नंबर एक बल्लेबाज़ बन गए हैं.

न्यूज़ीलैंड के ख़िलाफ़ शतकीय पारी खेलने के बाद भारत के नियमित क्रिकेट कप्तान रोहित शर्मा का 11 साल पुराना एक ट्वीट फिर से चर्चा में आ गया, जिसमें उन्होंने भविष्यवाणी की थी कि सूर्यकुमार भविष्य के खिलाड़ी हैं.

राजस्थान रॉयल्स ने रोहित के ट्वीट को रीट्वीट किया है. 10 दिसंबर 2011 को रोहित ने ट्वीट किया था, "अभी चेन्नई में बीसीसीआई अवॉर्ड्स का काम पूरा हुआ. कुछ रोमांचक क्रिकेटर आ रहे हैं. भविष्य के लिए मुंबई के सूर्यकुमार यादव पर रहेगी नज़र."

सूर्य का लंबा इंतज़ार

15 दिसंबर 2010 को प्रथम श्रेणी क्रिकेट की शुरुआत करने वाले यादव को 14 मार्च, 2021 को देश के लिए खेलने का पहला अवसर मिला था. यानी घरेलू क्रिकेट से इंटरनेशनल क्रिकेट के सफ़र के लिए उन्हें 11 साल लंबा इंतज़ार करना पड़ा.

जब वे घरेलू क्रिकेट में रन बटोर रहे थे तब उन्हें टीम में जगह नहीं मिल रही थी. लेकिन सूर्यकुमार ने उम्मीद नहीं छोड़ी. संघर्ष के दिनों में सूर्यकुमार ऑस्ट्रेलिया के एक क्रिकेटर को अपना आदर्श मानते रहे. उनके दिमाग़ में हमेशा ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर माइकल हसी रहते थे.

ऑस्ट्रेलियाई टीम में महान खिलाड़ियों की मौजूदगी के चलते हसी को भी दस साल तक इंतज़ार करना पड़ा था. हसी ने इसकी कोई शिकायत नहीं की, नाराजगी नहीं जताई, बस रन बटोरते रहे.

सूर्यकुमार ने महसूस किया कि भारतीय टीम के दरवाजे तब तक नहीं खुलेंगे जब तक वे ताबड़तोड़ रन नहीं बनाएंगे.

आईपीएल टूर्नामेंट में फिनिशर के तौर पर कभी मिडिल ऑर्डर के तौर पर उनकी भूमिका बदलती रही.

सूर्यकुमार तब भी निराश नहीं हुए जब उनके साथियों को भारत के लिए खेलने का मौक़ा मिल रहा था. और जब उन्हें मौका मिला तो वो 30 के हो चुके थे. ठीक ऐसा ही सूर्य कुमार के साथ भी हुआ.

उन्हें भी तब भारतीय टीम में शामिल किया गया जब वह उम्र के तीसरे दशक पर थे, ऐसा पड़ाव जो खिलाड़ियों के लिए अंतिम पड़ाव माना जाता है.

बहरहाल, सूर्यकुमार ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक ऐसे खिलाड़ी के रूप में अपनी पहचान बना ली है, जो मुश्किल हालात में भी अपनी शैली में बदलाव लाए बिना खेलते हैं और बेख़ौफ़ खेलते हैं. (bbc.com/hindi)

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